हमारे प्रधानमंत्री जी ने फिर एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है कि उन्हें हीरो की उपाधि मिल गई है. एक तरफ यूपी चुनाव में व्यस्त प्रधानमंत्री रैलियां कर रहे हैं और दूसरी तरफ खबर आती है कि मोदी ने असम की एक 8 दिन की बीमार बच्ची की जान बचाई है.
पहली बार नहीं हुआ है ऐसा-
ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि मोदी जी ने किसी को बचाया हो. 2015 में मोदी सरकार ने यमन से 3,500 भारतीयों को सुरक्षित बाहर निकाला था. युद्ध प्रभावी क्षेत्र से अपने नागरिकों को निकालने वाला ये ऑपरेशन दुनिया के कुछ सबसे बड़े रेस्क्यू ऑपरेशनों में से एक था.
यमन में इतना बड़ा ऑपरेशन करने के बाद 26 देशों ने भारत...
हमारे प्रधानमंत्री जी ने फिर एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है कि उन्हें हीरो की उपाधि मिल गई है. एक तरफ यूपी चुनाव में व्यस्त प्रधानमंत्री रैलियां कर रहे हैं और दूसरी तरफ खबर आती है कि मोदी ने असम की एक 8 दिन की बीमार बच्ची की जान बचाई है.
पहली बार नहीं हुआ है ऐसा-
ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि मोदी जी ने किसी को बचाया हो. 2015 में मोदी सरकार ने यमन से 3,500 भारतीयों को सुरक्षित बाहर निकाला था. युद्ध प्रभावी क्षेत्र से अपने नागरिकों को निकालने वाला ये ऑपरेशन दुनिया के कुछ सबसे बड़े रेस्क्यू ऑपरेशनों में से एक था.
यमन में इतना बड़ा ऑपरेशन करने के बाद 26 देशों ने भारत से मदद मांगी थी कि उनके नागरिकों को यमन से बाहर निकाला जाए.
2013 में भी उत्तराखंड की आपदा के समय मोदी ने (तत्कालीन चीफ मिनिस्टर गुजरात) 15000 गुजरातियों को दो दिन के अंदर ही उत्तराखंड से बाहर निकाला था. हालांकि, इस आंकड़े को लेकर काफी कॉन्ट्रोवर्सी हुई थी, लेकिन एक बात तो है कि इस दौरान नरेंद्र मोदी ने वाकई काबिले तारीफ काम किया था. जैसे ही उत्तराखंड में बादल फटने की खबर आई थी गुजरात सरकार काम पर लग गई थी.
हो सकता है गुजरात का आफ्टर इफेक्ट-
मोदी जी ने एक बार नहीं कई बार ये साबित किया है कि किसी आपदा के दौर पर वो तेजी से और बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं. शायद ये 2001 में आए गुजरात भूकंप का आफ्टर इफेक्ट है कि मोदी को ये अंदाजा है कि आपदा के समय लोगों की क्या हालत होती है.
गुजरात ने इतने विनाशकारी भूकंप के बाद भी 10 सालों में काफी तरक्की कर ली थी. एक ऐसी आपदा जिसने हर इंसान को हिला कर रख दिया था.
अब बात ये है कि क्या मोदी व्यस्त नहीं थे, जरूर थे, लेकिन फिर भी किसी की जान बचाने के लिए अपनी व्यस्तता के बारे में नहीं सोचा उन्होंने. हमारे प्रधानमंत्री लाख बुरे सही, लेकिन कई मामलों में उनकी तत्परता से कई लोगों का भला हुआ जरूर हुआ है.
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