इस बात की कल्पना ही की जा सकती है कि जब नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की होगी, तो मौके पर माहौल क्या रहा होगा. लोग स्तब्ध रह गए होंगे. नफरत से भर उठे होंगे. गोडसे के लिेए द्वेष रहा होगा. चौराहे पर फांसी देने की मांग उठी होगी. कोर्ट के बाहर प्रदर्शन होते होंगे. अपराधियों को भारी सुरक्षा में कोर्ट लाया जाता होगा. गोडसे और उसके साथी तनाव से भरे रहते होंगे. बापू का समाधिस्थल राजघाट लोगों से भरा रहता होगा. लेकिन हकीकत में ऐसा तिनका भर भी नहीं हुआ.
इस बात का सबूत है ब्रिटिश एजेंसी पाथे की ओर से लिया गया एक दुर्लभ वीडियो. जो बिलकुल अलग ही तस्वीर दिखाता है. यह वीडियो गांधी जी की हत्या के बाद हुए मुकदमे की सुनवाई शुरू होने का है. आपकी सोच से अलग इसमें दिखाया गया है कि मुकदमे के वक्त अदालत में किस तरीके का माहौल था. लोग मज़े में आ-जा रहे हैं. आरोपी से बात भी कर रहे हैं. कैमरा मैन और पत्रकारों में हलचल है. सब कुछ बिलकुल नॉर्मल चल रहा है. मानो कोई दीवानी मुकदमा.
नाथूराम गोडसे, नारायण दत्तात्रेय आप्टे और विष्णु रामकृष्ण करकरे कठघरे में ऐसे बैठे हैं जैसे उन्हें इस काम का कोई पछतावा ही नहीं हो. उन्हें इस बात का भी एहसास नहीं है कि उन्होंने कितना बड़ा जुर्म किया है. ऐसा लग रहा है जैसे कि वो अपने बैडरूम में बैठे हैं. देखें वीडियो -
इसके साथ आज गोडसे के जन्मदिन पर उनसे जुड़ी एक और बात सामने आई है. द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि गोडसे की अस्थियों को अभी तक विसर्जित नहीं किया गया है. उसकी अस्थियों को पुणे के शिवाजी नगर में एक रियल एस्टेट कम्पनी (अजिंक्य डेवलपर्स) में रखा गया है. अजिंक्य डेवलपर्स नाम की ये कंपनी नाथूराम गोडसे के पोते अजिंक्य गोडसे की है. इंडियन एक्सप्रेस ने सवाल किया कि-...
इस बात की कल्पना ही की जा सकती है कि जब नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की होगी, तो मौके पर माहौल क्या रहा होगा. लोग स्तब्ध रह गए होंगे. नफरत से भर उठे होंगे. गोडसे के लिेए द्वेष रहा होगा. चौराहे पर फांसी देने की मांग उठी होगी. कोर्ट के बाहर प्रदर्शन होते होंगे. अपराधियों को भारी सुरक्षा में कोर्ट लाया जाता होगा. गोडसे और उसके साथी तनाव से भरे रहते होंगे. बापू का समाधिस्थल राजघाट लोगों से भरा रहता होगा. लेकिन हकीकत में ऐसा तिनका भर भी नहीं हुआ.
इस बात का सबूत है ब्रिटिश एजेंसी पाथे की ओर से लिया गया एक दुर्लभ वीडियो. जो बिलकुल अलग ही तस्वीर दिखाता है. यह वीडियो गांधी जी की हत्या के बाद हुए मुकदमे की सुनवाई शुरू होने का है. आपकी सोच से अलग इसमें दिखाया गया है कि मुकदमे के वक्त अदालत में किस तरीके का माहौल था. लोग मज़े में आ-जा रहे हैं. आरोपी से बात भी कर रहे हैं. कैमरा मैन और पत्रकारों में हलचल है. सब कुछ बिलकुल नॉर्मल चल रहा है. मानो कोई दीवानी मुकदमा.
नाथूराम गोडसे, नारायण दत्तात्रेय आप्टे और विष्णु रामकृष्ण करकरे कठघरे में ऐसे बैठे हैं जैसे उन्हें इस काम का कोई पछतावा ही नहीं हो. उन्हें इस बात का भी एहसास नहीं है कि उन्होंने कितना बड़ा जुर्म किया है. ऐसा लग रहा है जैसे कि वो अपने बैडरूम में बैठे हैं. देखें वीडियो -
इसके साथ आज गोडसे के जन्मदिन पर उनसे जुड़ी एक और बात सामने आई है. द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि गोडसे की अस्थियों को अभी तक विसर्जित नहीं किया गया है. उसकी अस्थियों को पुणे के शिवाजी नगर में एक रियल एस्टेट कम्पनी (अजिंक्य डेवलपर्स) में रखा गया है. अजिंक्य डेवलपर्स नाम की ये कंपनी नाथूराम गोडसे के पोते अजिंक्य गोडसे की है. इंडियन एक्सप्रेस ने सवाल किया कि- ‘गोडसे की अस्थियों का विसर्जन अभी तक क्यों नहीं किया गया?’ इसके जवाब में उनके भतीजे नाना गोडसे ने बताया कि, 'इन अस्थियों का विसर्जन सिंधु नदी में होगा. तभी जब नाथूराम गोडसे का अखंड भारत का सपना पूरा हो जाएगा.' यानी कि उनके अनुसार जब भारत और पाकिस्तान एक हो जाए, उसके बाद ही सिंधु नदी में उनकी अस्थियों को प्रवाहित किया जाएगा.
कंटेंट : सुंदरम झा ( इंटर्न, आईचौक )
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