आपने महिलाओं की शॉर्ट ड्रेस और जींस पहनने पर बहस सुनी होगी. फ्री द निप्पल और नो ब्रा डे पर लोगों के बीच वाद विवाद भी देखा होगा. आपने ऐसे लोगों के बारे में भी सुना होगा जो अपने घरों में काम कर रही बाइयों के कपड़ों पर नजर रखते हैं. वही जिनकी निगाहें छुप-छुपाकर उनके ब्लाउज़ के डीप नेक पर टिकी रहती हैं. लेकिन एक दुनिया ऐसी भी है, जहां ऐसी बहस के लिए कोई जगह ही नहीं है. कपड़े होंगे तब तो बहस होगी न. न रहे बांस, न बजे बांसुरी.
लंदन में एक क्लीनिंग यानी साफ सफाई कराने वाली कंपनी Naturist Cleaners न्यूड क्लीनिंग सर्विस देती है. ये कंपनी खुद को नेचुरिस्ट यानी प्रकृतिवादी कहती है. नेचुरिस्ट सोच वाली इस कंपनी के क्लाइंट्स भी न्यूडिस्ट ही हैं. इसीलिए कंपनी ने अपने न्यूडिस्ट क्लाइंट्स के लिए ये सेवा शुरू की है. ये मानव के मूल रूप की स्वतंत्रता में यकीन रखते हैं. इन्हें सफाई के साथ-साथ निर्वस्त्र रहना और नेचुरिस्ट लोगों के आस-पास होना पसंद है.
कंपनी में साफ सफाई का काम महिलाएं ही संभालती हैं. ये प्रोफेशनल सफाईकर्मी महिलाएं निर्वस्त्र होकर घरों में साफ सफाई का काम करती हैं. अलग-अलग उम्र और फिगर वाली ये महिलाएं कपड़े नहीं बल्कि हाथों में सिर्फ दस्ताने और पैरों में चप्पल पहने होती हैं. ये कंपनी अपने क्लाइंट की पसंद के अनुसार दोनों तरह की सेवाएं देती है, कपड़ों के साथ और कपड़ों के बिना भी.
एक घंटे के काम के लिए ग्राहक को 65 पाउंड (करीब साढे पांच हजार रुपये) देने होते हैं और इसके बाद हर घंटे के 55 पाउंड. अगर महिलाएं कपड़े पहनकर सफाई करें तो एक घंटे के केवल 25 पाउंड देने होंगे.
पॉलिसी के तहत क्लाइंट अपने यहां काम करने वाली सफाईकर्मी को केवल देख सकता है. वो उसे न तो छू सकता है और न ही उसकी तस्वीरें ले सकता है. कंपनी का दावा है कि ये सफाई कर्मी न केवल खूबसूरत हैं बल्कि अपना काम भी बहुत अच्छी तरह से करती हैं. ये काम करते वक्त अपने क्लाइंट का मनोरंजन भी करेंगी.
पर हम लोगों के लिए ये जानना समझना भी जरूरी है कि आखिर ये सोच है क्या. इन्हें आप Naturist, Naturalist या Nudist, कुछ भी कह सकते हैं. ये वो लोग हैं जो खुद को प्रकृतिवादी कहते हैं और कपड़े पहनने में यकीन नहीं रखते. ये उसी रूप में रहते हैं जैसा प्रकृति ने उन्हें बनाया है. आप भले ही सड़क पर किसी नंगे व्यक्ति को देखकर असहज हो जाएं, उसे पागल कहें, लेकिन प्रकृतिवादियों के लिए यही जीवन का मूल रूप है और ये उसी रूप में खुद को सहज, आजाद और बंधनों से मुक्त महसूस करते हैं. ये न सिर्फ खुद ऐसे रहते हैं बल्कि अपने आसपास भी ऐसे ही लोगों को देखना चाहते हैं.
न्यूडिस्ट या नेचुरिस्ट लोगों का एक वर्ग है, जिसमें ये एक साथ प्रकृति का आनंद लेते हैं. दुनिया भर में कई न्यूडिस्ट क्लब हैं. जहां इन लोगों के लिए ऐसे कई आयोजन रखे जाते हैं जहां ये लोग एक साथ छुट्टियां मना सकें, जैसे प्राकृतिक जगहों पर घूमना, ट्रैकिंग करना, खेलना, तैराकी वगैरह. ये लोग आए दिन न्यूड पार्टियों का आयोजन करते हैं. विदेशों में तो इन लोगों के लिए खास न्यूड बीचेज़ भी हैं, जहां बिना रोक टोक आप नग्न होकर घूम सकते हैं. और अब तो न्यूड रेस्टोरॉन्ट के बारे में भी चर्चाएं होती ही रहती हैं, जहां नग्न होकर ही खाना खाया जाता है. न्यूड योग भी आजकल प्रचलन में है.
दुनिया भर में बहुत से नू्यूड बीचेज़ हैं जहां न्यूडिस्ट का जमावड़ा लगा रहता है
इसमें कोई दो राय नहीं कि लोग न्यूडिज्म का मतलब सेक्स से जोड़ते हैं, क्योंकि इन लोगों में सिर्फ यही एक चीज तो है जो किसी को भी असहज कर सकती है. लेकिन प्रकृतिवादियों को सेक्स से जोड़ना ठीक नहीं. क्योंकि इसके पीछे की सोच को आप नकार नहीं सकते.
इंसान हर उस चीज को देखना चाहता है जो छिपी होती है. महिला के बदन को देखकर आनंद लेने वाले लोग ऐसा सिर्फ इसलिए करते हैं क्योंकि वो सहज उपलब्ध नहीं है. इससे एक स्तर ऊपर के लोग महिलाओं के ट्रायल रूम और बाथरूम जैसी जगहों पर स्पाई कैमरे छुपाते हैं. लेकिन न्यूडिस्ट कम्यूनिटी के लोगों ने कुछ भी छिपाया नहीं, उन्होंने उस चीज को ही सहज कर दिया, जिसको लेकर मन में कुंठाएं घर करती हैं. सब कुछ सामने, कुछ भी छिपा नहीं और जब आंखों को सबकुछ प्राकृतिक रूप में देखने की आदत हो तो किसी भी चीज के लिए आकर्षण खत्म हो जाता है. कई देशों में आदिवासी लोग अपने प्राकृतिक रूप में ही रहते हैं.
तो भले ही आप इसे अजीब कहें, स्वीकार न कर पाएं. लेकिन सच्चाई तो ये हैं कि टैबू ही सही, लेकिन न्यूडिस्ट कम्यूनिटी में लोगों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ रही है, और आप इन्हें इग्नोर नहीं कर सकते.
ये भी पढ़ें-
ये महिला क्यों चाहती है कि उसके बेटे उसे निर्वस्त्र देखें, जानिए
महिला की नग्न मूर्ति कैसे दे रही सुरक्षा का संदेश, देखिए
इन महिलाओं ने 'निर्वस्त्र' होकर दुनिया को झकझोरा
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.