आस्था का कोई चेहरा नहीं होता है. वह तो बस एक विश्वास है. लेकिन आस्था अगर बहुत बलवान हो तो वह एक तस्वीर बन जाती है. ईश्वर के प्रति गहरी आस्था से आपके मन में उसकी छवि बन जाती है. आप जब भी उसे याद करते हैं तो ईश्वर की वही छवि आपके मन में आती है. लेकिन उस ईश्वर की आपके मन में बनी छवि अचानक बदल जाए तो?
यानी यूं कहें कि अगर ईश्वर का चेहरा ही बदल जाए तो क्या आपकी आस्था को झटका नहीं लगेगा? तो जीजस क्राइस्ट के अनुयायियों के लिए यह खबर चौंकाने वाली हो सकती है. दरअसल एक वैज्ञानिक ने टेक्नोलॉजी की मदद से जीजस क्राइस्ट का ऐसा चेहरा तैयार किया है जो पहले कभी नहीं दिखा और जिस पर एकबारगी शायद लोग यकीन न कर पाएं. दरअसल इस वैज्ञानिक ने गोरे जीजस को काला दिखा दिया है. हैरान रह गए न आप! तो आइए जानें इस वैज्ञानिक के मुताबिक लोगों की कल्पना से उलट कैसे दिखते थे जीजस.
गोरे नहीं बल्कि काले थे जीजस क्राइस्ट?
मैनेचेस्टर यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर रिचर्ड नीव ने फॉरेंसिक एंथ्रोपोलॉजी (मानवशास्त्र) का प्रयोग करके और इजरायली ऑर्कियोलॉजिस्ट के साथ मिलकर जीजस क्राइस्ट का चेहरा तैयार किया है और दावा किया है कि जीजस दरअसल गोरे नहीं बल्कि काले रंग के थे. जीजस के लुक को लेकर पहले भी कई तरह के दावे किए जाते रहे हैं लेकिन नीव की टीम ने इसके लिए वैज्ञानिक तरीका अपनाया है. नीव की टीम ने उत्तरी इजराइल के गैलीली के आसपास के उन क्षेत्रों के तीन यहूदियों की खोपड़ियों का प्रयोग जहां जीजस का निवास स्थान होने की संभावनाएं सबसे ज्यादा हैं.
एक एक्सपर्ट मेडिकल आर्टिस्ट प्रोफेसर नीव ने इसके लिए कम्प्युटराइज्ड टेमोग्राफी की मदद से खोपड़ियों की एक्स-रे स्लाइसेज तैयार कीं और खोपड़ियों के कुछ हिस्सों की मोटाई के आधार पर चेहरे की त्वचा और मांसपेशियों को बनाया. नीव ने इनका परीक्षण उसी ढंग से किया जैसे कुछ वर्षों पहले किसी पीड़ित की पहचान के लिए किया जाता था.इसके बाद नीव ने जीजस का वह चेहरा तैयार किया जोकि सुनहरे बाल और दाढ़ी और गोरे रंग...
आस्था का कोई चेहरा नहीं होता है. वह तो बस एक विश्वास है. लेकिन आस्था अगर बहुत बलवान हो तो वह एक तस्वीर बन जाती है. ईश्वर के प्रति गहरी आस्था से आपके मन में उसकी छवि बन जाती है. आप जब भी उसे याद करते हैं तो ईश्वर की वही छवि आपके मन में आती है. लेकिन उस ईश्वर की आपके मन में बनी छवि अचानक बदल जाए तो?
यानी यूं कहें कि अगर ईश्वर का चेहरा ही बदल जाए तो क्या आपकी आस्था को झटका नहीं लगेगा? तो जीजस क्राइस्ट के अनुयायियों के लिए यह खबर चौंकाने वाली हो सकती है. दरअसल एक वैज्ञानिक ने टेक्नोलॉजी की मदद से जीजस क्राइस्ट का ऐसा चेहरा तैयार किया है जो पहले कभी नहीं दिखा और जिस पर एकबारगी शायद लोग यकीन न कर पाएं. दरअसल इस वैज्ञानिक ने गोरे जीजस को काला दिखा दिया है. हैरान रह गए न आप! तो आइए जानें इस वैज्ञानिक के मुताबिक लोगों की कल्पना से उलट कैसे दिखते थे जीजस.
गोरे नहीं बल्कि काले थे जीजस क्राइस्ट?
मैनेचेस्टर यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर रिचर्ड नीव ने फॉरेंसिक एंथ्रोपोलॉजी (मानवशास्त्र) का प्रयोग करके और इजरायली ऑर्कियोलॉजिस्ट के साथ मिलकर जीजस क्राइस्ट का चेहरा तैयार किया है और दावा किया है कि जीजस दरअसल गोरे नहीं बल्कि काले रंग के थे. जीजस के लुक को लेकर पहले भी कई तरह के दावे किए जाते रहे हैं लेकिन नीव की टीम ने इसके लिए वैज्ञानिक तरीका अपनाया है. नीव की टीम ने उत्तरी इजराइल के गैलीली के आसपास के उन क्षेत्रों के तीन यहूदियों की खोपड़ियों का प्रयोग जहां जीजस का निवास स्थान होने की संभावनाएं सबसे ज्यादा हैं.
एक एक्सपर्ट मेडिकल आर्टिस्ट प्रोफेसर नीव ने इसके लिए कम्प्युटराइज्ड टेमोग्राफी की मदद से खोपड़ियों की एक्स-रे स्लाइसेज तैयार कीं और खोपड़ियों के कुछ हिस्सों की मोटाई के आधार पर चेहरे की त्वचा और मांसपेशियों को बनाया. नीव ने इनका परीक्षण उसी ढंग से किया जैसे कुछ वर्षों पहले किसी पीड़ित की पहचान के लिए किया जाता था.इसके बाद नीव ने जीजस का वह चेहरा तैयार किया जोकि सुनहरे बाल और दाढ़ी और गोरे रंग की जीजस की छवि के एकदम उलट काले रंग का है.
नीव ने इस प्रयोग को ज्यादा मजबूत बनाने के लिए बाइबल पढ़ी और यह उस जमाने के यहूदियों के बाल के रंग और लंबाई को जानने की कोशिश की. इतना ही नहीं नीव की टीम जीजस का लुक तैयार करने के बाद इस नतीजे पर पहुंची कि वह महज 150 सेंटीमीटर के ही थे और उनका रंग काला और उनके बाल और दाढ़ी घुंघराले थे.
जीजस कैसे दिखते थे यह बहस वर्षों से जारी है, नीव के इस प्रयोग के बावजूद इसे ही आखिरी सच नहीं माना जा सकता है.लेकिन जीजस की प्रचलित छवि के एकदम ही उलट नीव द्वारा तैयार यह लुक दुनिया भर में चर्चा का विषय जरूर बन गया है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.