अंग्रेजों के जमाने के जेलर पता नहीं कैसे थे, पर नॉर्वे के जेलर अजीब हैं. उन्हें गवर्नर कहा जाता है. कई कथाएं हैं.
नॉर्वे की पुलिस, जो कैदियों पर रौब नहीं झाड़ती |
एक युवा को तीन हफ्ते की जेल होती है क्योंकि जनाब स्कूल एरिया में आधी रात में 100 की स्पीड में गाड़ी दौड़ा रहे थे और फाइन के पैसे नहीं थे. जेल में उनके कमरे में टी.वी., मिनी-फ्रिज, शॉवर, लैपटॉप और खुली खिड़की है.
ये भी पढ़ें- ऐसे देश में डॉक्टर होने का क्या रुतबा !!!
जेल की ऐसी सेल की कल्पना की थी कभी? |
वो साधारण अपराधी हैं, उनको मोबाइल भी दिया गया. वो अपनी मां को मेसेज भेजते हैं, "माँ! मैं तीन हफ्ते की छुट्टी पर हूं. जगह शानदार है और यहां का खाना लाजवाब है." उनके ऑफिस से तीन हफ्ते की छुट्टी कैजुअली मिल गई और कारण में 'पुलिस डिटेंशन" भी कैजुअली लिखा.
अंग्रेजों के जमाने के जेलर पता नहीं कैसे थे, पर नॉर्वे के जेलर अजीब हैं. उन्हें गवर्नर कहा जाता है. कई कथाएं हैं.
एक युवा को तीन हफ्ते की जेल होती है क्योंकि जनाब स्कूल एरिया में आधी रात में 100 की स्पीड में गाड़ी दौड़ा रहे थे और फाइन के पैसे नहीं थे. जेल में उनके कमरे में टी.वी., मिनी-फ्रिज, शॉवर, लैपटॉप और खुली खिड़की है. ये भी पढ़ें- ऐसे देश में डॉक्टर होने का क्या रुतबा !!!
वो साधारण अपराधी हैं, उनको मोबाइल भी दिया गया. वो अपनी मां को मेसेज भेजते हैं, "माँ! मैं तीन हफ्ते की छुट्टी पर हूं. जगह शानदार है और यहां का खाना लाजवाब है." उनके ऑफिस से तीन हफ्ते की छुट्टी कैजुअली मिल गई और कारण में 'पुलिस डिटेंशन" भी कैजुअली लिखा.
इससे अधिक क्या होगा गर कैदी को उसके सेल की चाभी भी दे दी गई हो. नॉर्वे में कुछ खतरनाक अपराधियों को छोड़ हर कैदी खुद ही अपना सेल लॉक करता है और खोलता है. एक भी गार्ड बंदूक लेकर कैदियों के सामने नहीं घूमते. ये भी पढ़ें- कहानी नॉर्वे के पाकिस्तानियों की...
परिवार वाले हफ्ते में दो दिन एक गेस्ट-हाउस में मिलते हैं जहां बच्चों के खेलने की व्यवस्था है. सजा के आखिरी महिनों में आपको घर जाने या नौकरी के इंटरव्यू के लिये छुट्टियां दी जाती हैं. और कोई कैदी देख नाक-भौं नहीं सिकोड़ता.
पर क्या यह मॉडल सफल है? अपराधी बिगड़ नहीं जाएँगें? नॉर्वे का 'रेसीडीवज्म रेट' यानी पुन: अपराध करने की दर विश्व में सबसे कम दरों में है. यहां का 'इन्कांसरेशन रेट' यानी जेल जाने की दर भी सबसे कम है. 'क्राइम इंडेक्स' कम है. वैसे भारत में गर जेल हो, तो ऑफिस वाले 'कैजुअल लीव' देते हैं क्या? इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये भी पढ़ेंRead more! संबंधित ख़बरें |