ये दास्तानें इन पांचों युवतियों के साथ वर्षों से जी रही हैं. हर पल उनके साथ रहती है. उनका अभिन्न अंग बनकर. वे चाहकर भी इससे मुक्त नहीं हो पातीं. किसी ने एक पल में इनके जीवन में यह खौफनाक अध्याय जोड़ दिया है.
ये सब इनके साथ तब हुआ जब वे 5 से 15 साल के बीच रही होंगी. जिनकी जिंदगी में जहरीली यादें घोल देने वाला कोई उनका अपना नौकर ही था तो किसी के साथ ये ज्यादती बस और ट्रेन जैसी सार्वजनिक जगहों पर हुई.
वे खुलकर बता रही हैं. क्या क्या हुआ उनके साथ...
लेकिन, इन कहानियों के अलावा भी एक हकीकत है. हकीकत ये है कि ऐसी ज्यादातर ज्यादतियों का पता चल ही नहीं पाता. वे उन ज्यादतियों के साथ शिकार हुई बच्चियों और महिलाओं के सीने में दबकर रह जाती हैं. उनके व्यक्तित्व का हिस्सा बनकर, उसे खराब करके. क्योंकि, वे मानकर चलती हैं कि ऐसी कहानियों को शेयर करके न तो उन्हें परिवार से कुछ खास सपोर्ट मिलेगा और न ही समाज से. समाज से तो उन्हें ही उलटे सलाह दी जाएगी कि ऐसा करो और ऐसा मत करो.
लेकिन, एक हकीकत उन पुरुषों से जुड़ी भी है, जिसे शायद वे कभी महसूस नहीं करते. कि जैसा सुलूक वे जानी अनजानी बच्चियों के साथ कर रहे हैं, वैसा ही सुलूक उनकी मां-बेटियों के साथ कोई उनके जैसा ही दरिंदा कहीं और कर रहा होगा.
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