2002 की बात है, पाकिस्तान के मस्तोई में 14 साल के एक लड़के अब्दुल शकूर पर एक मस्तोई लड़की के यौन शोषण का इल्जाम लगा. और न्याय दिलाने के लिए मस्तोइयों ने फैसला लिया कि लड़के के घर की किसी महिला की इज्जत भी लूटी जाएगी. हालांकि सुलह कराने की बहुत कोशिशें की गईं, लेकिन लोगों ने इज्जत का बदला इज्जत से लिया, और 4 लोगों ने शकूर की बड़ी बहन मुख्तारन माई के साथ सामूहिक बलात्कार किया और उसे निर्वस्त्र गांव में घुमाया.
मुख्तारन माई का गैंगरेप कर निर्वस्त्र घुमाया गया |
ऐसे मामलों में अक्सर महिलाएं खामोश हो जाती हैं या उन्हें चुप करा दिया जाता है, मुख्तारन को भी ये कहकर चुप कराने की कोशिश की गई कि 'ये तो किस्मत का लिखा है, मुंह मत खोलना नहीं तो बदनामी होगी'. लेकिन इस जिल्लत को चुपचाप बर्दाश्त करने के बजाए मुख्तारन माई ने पुलिस में जाकर शिकायत दर्ज कराई. और अपने गुनहगारों को सजा दिलवाने के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी है. आज मुख्तारन माई न सिर्फ पाकिस्तान में, बल्कि पूरी दुनिया के सामने एक मिसाल हैं.
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मुख्तारन माई 14 आरोपियों को सजा दिलवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लड़ीं और सभी को सलाखों के पीछे पहुंचाया. लेकिन आरोपियों को बाद में छोड़ दिया गया. फिलहाल वो अपने गांव मीरवाला में एक चैरिटी चला रही हैं...
2002 की बात है, पाकिस्तान के मस्तोई में 14 साल के एक लड़के अब्दुल शकूर पर एक मस्तोई लड़की के यौन शोषण का इल्जाम लगा. और न्याय दिलाने के लिए मस्तोइयों ने फैसला लिया कि लड़के के घर की किसी महिला की इज्जत भी लूटी जाएगी. हालांकि सुलह कराने की बहुत कोशिशें की गईं, लेकिन लोगों ने इज्जत का बदला इज्जत से लिया, और 4 लोगों ने शकूर की बड़ी बहन मुख्तारन माई के साथ सामूहिक बलात्कार किया और उसे निर्वस्त्र गांव में घुमाया.
मुख्तारन माई का गैंगरेप कर निर्वस्त्र घुमाया गया |
ऐसे मामलों में अक्सर महिलाएं खामोश हो जाती हैं या उन्हें चुप करा दिया जाता है, मुख्तारन को भी ये कहकर चुप कराने की कोशिश की गई कि 'ये तो किस्मत का लिखा है, मुंह मत खोलना नहीं तो बदनामी होगी'. लेकिन इस जिल्लत को चुपचाप बर्दाश्त करने के बजाए मुख्तारन माई ने पुलिस में जाकर शिकायत दर्ज कराई. और अपने गुनहगारों को सजा दिलवाने के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी है. आज मुख्तारन माई न सिर्फ पाकिस्तान में, बल्कि पूरी दुनिया के सामने एक मिसाल हैं.
ये भी पढ़ें- गैंगरेप के मामलों में नया ट्रैंड मासूम नहीं, खौफनाक है !
मुख्तारन माई 14 आरोपियों को सजा दिलवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लड़ीं और सभी को सलाखों के पीछे पहुंचाया. लेकिन आरोपियों को बाद में छोड़ दिया गया. फिलहाल वो अपने गांव मीरवाला में एक चैरिटी चला रही हैं जिसका काम महिलाओं को आसरा देना है. इसके साथ-साथ वो लड़कियों के लिए स्कूल भी चलाती हैं.
सुप्रीम कोर्ट के न्याय से बेहद आहत थीं मुख्तारन माई |
मुल्क चाहे भारत हो या पाकिस्तान, यहां के गांवों कस्बों की शायद एक सी कहानी है. भारत के कुछ गावों में भी फैसले पंचायतों ने लिए हैं. बहरहाल, आज एक तस्वीर ने उस मुल्क से जुड़ी कुछ धारणाओं को तोड़ने का काम किया है. इस तस्वीर में यही मुख्तारन माई नजर आ रही हैं. उनका चेहरा दमक रहा था, तो शायद उन चेहरों पर शर्मिंदगी होगी जो उन्हें पीछे धकेलना चाहते होंगे.
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पाकिस्तान फैशन वीक पर रैंप पर चलीं मुख्तारन माई |
उस घिनौने वाकिए के 14 सालों के बाद 44 साल की मुख्तारन माई पाकिस्तान फैशन वीक में रैंप पर नजर आईं. ये पाकिस्तानी महिलाओं में हिम्मत और साहस की प्रेरणा देने के लिए एक प्रयास था.
इस तस्वीर को देखकर पाकिस्तान जैसे मुल्क में महिलाओं की स्थिति में आ रहे बदलाव को लेकर उम्मीद बंधती है. न सिर्फ मुख्तारन माई बल्कि, उनके आस पास खड़ी मॉडल जो ताली बजाकर उनकी हौसलाफजाई कर रही हैं, उनको देखकर भी वो सोच अब टूटती नजर आ रही है कि वहां की महिलाएं बंदिशों में जीती हैं. इस तस्वीर को दुनिया की सबसे सशक्त तस्वीर कहना गलत नहीं होगा.
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डिजाइनर रोज़ीना मुनीब के साथ मुख्तारन माई |
इस शो पर मुख्तारन माई का कहना था कि ‘मैं उन तमाम पाकिस्तानी महिलाओं के साथ हूं जिसके साथ अन्याय हुआ है. वो खुद को अकेला ना समझें. हम कमजोर नहीं हैं. हमारे पास भी दिल और दिमाग है. अन्याय होने पर हिम्मत नहीं हारनी चाहिए क्योंकि एक दिन हमें न्याय जरूर मिलेगा.'
महिला सशक्तिकरण की इससे अच्छी तस्वीर और क्या होगी, जिसमें एक गैंगरेप पीड़िता सम्मान के साथ चलती दिख रही हो, वो भी एक ऐसे मुल्क में जो महिलाओं पर अन्याय किए जाने को लेकर बदनाम रहा हो. बल्कि यहां तो भारत को इस तस्वीर से प्रेरित होने की जरूरत है. यहां भी रेप के बाद ज्यादातर महिलाएं या तो आत्महत्या कर लेती हैं, या फिर शर्मिंदगी झेलने के डर से आरोपियों के खिलाफ आवाज उठाने के बजाए चुप्पी साध लेती हैं.
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