1993 ब्लास्ट और उसकी दहशत आज भी मुंबई वाले महसूस कर सकते हैं. मैं ऐसा दावे के साथ इसलिए कह सकती हूं क्योंकि कुछ वक्त मैंने भी इस शहर में बिताया है और अब बूढ़े हो चुके लोग उस दौर के किस्से सुनाते हुए अभी भी उनकी आखें नम हो जाती हैं. मैंने भी इस शहर और उस 12 मार्च से जुड़े कुछ किस्से सुने हैं.
12 मार्च 1993 का वो दिन जब एक के बाद एक लगातार 12 धमाकों ने मुंबई शहर को दहला दिया था. शहर में सिलसिलेवार धमाके हुए थे. उस समय मुंबई बॉम्बे हुआ करता था. आज उन्हें मुंबई वासियों को शायद थोड़ी राहत मिली होगी क्योंकि आज टाडा कोर्ट ने मुंबई ब्लास्ट के मामले में 7 दोषियों पर फैसला सुनाया है.
क्या रहा फैसला...
अबु सलेम और मुस्तफा दौसा को दोषी करार दिया है. दौसा का भाई मोहम्मद दौसा अभी भी भगौड़ा है. वो अभी भी दाऊद के साथ काम कर रहा है इसकी गुंजाइश जताई जा रही है. ये कुछ-कुछ टाइगर मेमन और याकूब मेमन वाला केस है जैसे याकूब मेमन ने फांसी से पहले कहा था कि टाइगर असली दोषी है और मैं फंस गया और यहां भी यही हाल दौसा भाइयों के साथ है.
1993 ब्लास्ट और उसकी दहशत आज भी मुंबई वाले महसूस कर सकते हैं. मैं ऐसा दावे के साथ इसलिए कह सकती हूं क्योंकि कुछ वक्त मैंने भी इस शहर में बिताया है और अब बूढ़े हो चुके लोग उस दौर के किस्से सुनाते हुए अभी भी उनकी आखें नम हो जाती हैं. मैंने भी इस शहर और उस 12 मार्च से जुड़े कुछ किस्से सुने हैं.
12 मार्च 1993 का वो दिन जब एक के बाद एक लगातार 12 धमाकों ने मुंबई शहर को दहला दिया था. शहर में सिलसिलेवार धमाके हुए थे. उस समय मुंबई बॉम्बे हुआ करता था. आज उन्हें मुंबई वासियों को शायद थोड़ी राहत मिली होगी क्योंकि आज टाडा कोर्ट ने मुंबई ब्लास्ट के मामले में 7 दोषियों पर फैसला सुनाया है.
क्या रहा फैसला...
अबु सलेम और मुस्तफा दौसा को दोषी करार दिया है. दौसा का भाई मोहम्मद दौसा अभी भी भगौड़ा है. वो अभी भी दाऊद के साथ काम कर रहा है इसकी गुंजाइश जताई जा रही है. ये कुछ-कुछ टाइगर मेमन और याकूब मेमन वाला केस है जैसे याकूब मेमन ने फांसी से पहले कहा था कि टाइगर असली दोषी है और मैं फंस गया और यहां भी यही हाल दौसा भाइयों के साथ है.
इसके अलावा, फिरोज अब्दुल राशिद खान को धारा 120B यानि क्रिमिनल कॉन्सपिरेसी, टाडा एक्ट और 302 के तहत दोषी पाया गया है. इसका नाम अबु सलेम के कन्फेशन में दिया गया था. फिरोज ब्लास्ट के बाद ओमान भाग गया था, लेकिन बाद में नवी मुंबई से ही पकड़ा गया था. फिरोज कस्टम अधिकारियों को घूस देकर हथियारों को मुंबई पहुंचाने के आरोपी थे.
इसके अलावा, अनीस अब्राहिम के राइट हैंड माने जाने वाले ताहिर मर्चेंट को भी दोषी करार दिया गया. इसके अलावा, करीमुल्ला शेख को भी दोषी माना गया. अबु सलेम को भी क्रिमिनल कॉन्सपिरेसी और अन्य मामलों में दोषी पाया गया है, इसी के साथ रियाज सिद्धिकी को भी दोषी मान लिया गया है. इसके अलावा, अब्दुल कयूम अंसारी को धमाकों के मामले में बरी कर दिया गया है क्योंकि उसके खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं थे.
वो दो घंटे और 10 मिनट...
सबसे पहला ब्लास्ट मुंबई में 1.30 बजे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में हुआ था और अंतिम ब्लास्ट 3.40 मिनट पर हुआ था. 257 लोगों की मौत का फरमान लिखने वाले इन सिलसिलेवार धमाकों में 1400 लोग किसी न किसी तरह से जख्मी हुए थे.
उन दो घंटों में पूरी मुंबई अपनों को तलाश रही थी. चारों तरफ हाहाकार और भगदड़ मची थी. 12 मार्च को जो अटैक हुआ था वो सबसे ज्यादा ऑर्गेनाइज्ड टेरर अटैक माना जाता है. 1.30 बजे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में ब्लास्ट हुआ जिसमें 84 लोगों की मौत हो गई. इसके बाद दूसरा ब्लास्ट 2.15 मिनट पर कालबादेवी में हुआ जहां 5 लोगों की मौत हुई. तीसरा ब्लास्ट शिवसेना भवन में हुआ ढाई बजे. इस ब्लास्ट में 4 लोगों की मौत हुई थी. चौथा ब्लास्ट 2.33 मिनट पर एयर इंडिया बिल्डिंग नरिमन प्वाइंट पर हुआ जिसमें 20 लोग मारे गए.
पांचवा ब्लास्ट 2.45 मिनट पर फिशरमैन कॉलोनी माहिम में हुआ जिसमें 3 लोगों की हत्या हो गई थी. इसके बाद वर्ली सेंचुरी बाजार में भी 2.45 मिनट पर ही ब्लास्ट हुआ था जिसमें 113 लोग मारे गए थे. ठीक 3 बजे मुंबई शहर का सातवां ब्लास्ट हुआ ज़वेरी बाजार में जिसमें 17 लोग मारे गए थे.
आठवा ब्लास्ट 3.10 मिनट पर हुआ था जिसमें कोई भी जनहानी नहीं हुई थी. इसके अलावा, प्लाजा सिनेमा दादर में ब्लास्ट हुआ जिसमें 10 लोगों की मौत हुई थी. होटल जूहू सेनटॉर में 3.20 मिनट पर ब्लास्ट हुआ था जिसमें 3 लोग घायल हुए थे. इसके बाद सहर एयरपोर्ट पर 3.30 बजे ब्लास्ट हुआ जिसमें कोई हताहत नहीं हुआ था. आखिरी ब्लास्ट होटल एयरपोर्ट सेनटॉर में हुआ था 3.40 मिनट पर जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई थी.
पुलिस की 150 से ज्यादा मेंबर की टीम लगाई गई थी जिसे राकेश मारिया हेड कर रहे थे. मारिया उस समय डीसीपी हुआ करते थे. पुलिस को एक वैन और एक स्कूटर मिला था जिसमें हैंड ग्रेनेड और हथियार थे. उस वैन का पता लगाने के लिए जब उसका पता लगाया गया तो वैन रुबीना मेमन के नाम दर्ज पाई गई. मेमन परिवार माहिम में एक 8 मंजिला बिल्डिंग में रहता था जिसे घर और बिजनेस के लिए इस्तेमाल किया जाता था. जब पुलिस वहां पहुंची तो पता चला कि मेमन परिवार ब्लास्ट से दो दिन पहले ही मुंबई छोड़ चुका था.
2013 में दिए एक इंटरव्यू में मारिया ने बताया था कि मेमन बिल्डिंग की तलाशी लेते समय फ्रिज के ऊपर एक चाभी मिली थी. ये चाभीउसी स्कूटर की थी जो पुलिस को मिला था. इस तरह पुलिस ने पूर्व क्रिकेटर अब्दुल रज्जाक मेमन और उसके पांच बेटों टाइगर, याकूब, सुलेमान, ईसा, युसुफ और आयुब को इस केस से जोड़ा. अबु सलेम का इस मामले में हाथ हथियार पहुंचाने से काफी ज्यादा था. कस्टम और इंटेलिजेंस एजेंसियों को कहीं ना कहीं भनक थी कि भारत में हथियार आ रहे हैं. गुल मोहम्मद खान जिसे 1992 बाबरी मस्जिद कांड के बाद धार्मिक दंगे फैलाने का दोषी पाया गया था उसने ये बात कबूली थी कि धमाके पहले से ही प्लान हुए थे. दिसंबर 1992 में दुबई में इसको लेकर मीटिंग भी हुई थी. उसने कहा था कि उसे पाकिस्तान और दुबई भेजा गया था ट्रेनिंग के लिए, लेकिन उसका यकीन पुलिस ने नहीं किया. ऐसा माना जाता है कि खान के धोखे के कारण ही ब्लास्ट की डेट बदली गई थी जो पहले अप्रैल में होने थे.
याकूब मेमन जिसे फांसी दे दी गई उसे दिल्ली में 1994 में पकड़ा गया था. परिवार वालों का कहना था कि याकूब इसलिए वापस आया था क्योंकि वो ये बताना चाहता था कि वो बेगुनाह है. बाकी मेमन बंधू ईसा और यूसुफ आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हैं और सुलेमान को रिहा कर दिया गया था. अभी भी टाइगर मेमन, दाऊद इब्राहिम, जावेद चिकना जैसे आरोपी फरार हैं.
कैसे संजय दत्त जुड़े इस मामले में...
संजय दत्त ने कहा था कि उन्होंने इसलिए हथियार लिए थे क्योंकि उस दौर में 1992 दिसंबर से लेकर 1993 जनवरी तक मुंबई में हिंदू-मुस्लिम दंगे फैल गए थे. इन दंगों में 575 मुस्लिम और 275 हिंदुओं की मौत हो गई थी.
इन दंगों के दौरान संजय दत्त ने अनी इब्राहिम से हथियार खरीदे थे. अनीस दाऊद का छोटा भाई है. संजय दत्त ने 3 एके 56 राइफल, 9 मैगजीन, 450 गोलियां, एक 9mm पिस्टल और 20 हैंड ग्रेनेड लिए थे. इन्हें संजय दत्त ने अबु सलेम, बाबा मूसा चौहान और समीर हिंगोरा ने पहुंचाया था. संजय दत्त ने अनीस इब्राहिम को अपने घर के नंबर से भी फोन लगाया था. जब संजय दत्त को लगा कि कुछ गड़बड़ है तो एक एके 56 छोड़कर उन्होंने सारे हथियार वापस करने की बात कही. संजय दत्त का कहना है कि उन्हें ब्लास्ट के बारे में कुछ नहीं पता था.
क्या था आलम...
ये दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहला ऐसा आतंकी हमला था जिसमें इतनी बड़ी मात्रा में RDX का इस्तेमाल किया गया था. 28 करोड़ के लगभग की प्रॉपर्टी बर्बाद हो गई थी. मुंबई पुलिस ने बाद में अपना केस CBI को सौंप दिया था और CBI ने सबसे पहली चार्जशीट 189 लोगों के खिलाफ दायर की थी और इसमें संजय दत्त का नाम भी शामिल था. कई सालों के ट्रायल के बाद 100 लोगों को टाडा कोर्ट की तरफ से दोषी पाया गया और इनमें से कई अभी भी भगौड़े हैं जिनका इंतजार पूरे देश को है.
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