मक्का में 15 दिन में दो बड़े हादसे हुए. दोनों में कुल जमा एक हजार तक हाजी मारे गए. सैकड़ों घायल हो गए. सऊदी अरब सरकार की लचर व्यवस्था के कारण हादसे हुए. दुनिया उसे कोस रही है. पर, भारतीय मुसलमानों को लगता है कि सऊदी सरकार पाक साफ है. आप सोशल मीडिया में मक्का में हादसों के बाद के मूड को देख लें. बेशक, भारतीय मुसलमान गमगीन हैं. पर, वे हादसों के लिए सऊदी सरकार के प्रबंधन को दोषी मानने के लिए तैयार नहीं हैं.
हैदराबाद के इंश्योरेस सेक्टर के पेशेवर मिर्जा बेग सवाल करते हैं कि मक्का में हुए दोनों हादसों के लिए सऊदी सरकार को क्यों जिम्मेदार माना जाए? वे दावा करते हैं कि चूंकि सबको शैतान पर पत्थर फेंकने की जल्दी थी, इसलिए हादसा हुआ.
इलाहाबाद के सोशल वर्कर मोहम्मद जाहिद ने अपनी फेसबुक वॉल में लिखा है, जब 30 लाख लोग एक जगह एक ही काम करने के लिए आते हों उस जगह पर इतनी उम्दा व्यवस्था कहीं देखने को नहीं मिलती. भारत में कुंभ के समय भीड़ इससे अधिक होती है परन्तु नदियों के तट बहुत दूर तक और दोनो तरफ कई-कई किलोमीटर तक होते हैं. इसके चलते भीड़ बिखरी रहती है. उसे व्यवस्थित करना संभव रहता है. इसके विपरीत हज के समय 10-20 मीटर के मुख्य स्थान तक हर कोई पहुंचता है और विशेषकर मीना में शैतान के तीन प्रतीकों को कंकड़ी मारने की आपाधापी रहती है. वैसे, सऊदी सरकार तो याजियों के लिए बहुत आला व्यवस्था करती है.
क्या उसकी ये जिम्मेदारी नहीं है? हज सऊदी सरकार के लिए सालाना 200 बिलियन डॉलर का बिजनेस है. क्या इतना मोटा कमाने के बाद भी वह हाजियों के लिए बेहतर व्यवस्था नहीं करेगी? मुंबई में रहने वाले आईटी प्रोफेशनल शम्सी अब्बास रिजवी कह रहे हैं कि ताजा हादसा 9 वर्षों के बाद हो रहा है. यानी इतने वर्षों के बाद तो हादसा होना कोई बड़ी बात नहीं है.
अब सऊदी सरकार के स्वयंभू प्रवक्ताओं को कौन बताए कि वह हाजियों से मोटा टैक्स वसूलती है. जबकि भारत सरकार कुंभ में जाने वालों पर कोई टैक्स नहीं लगाती. एक बात और. सऊदी अरब सरकार ने इस साल यमन के हाजियों को हज...
मक्का में 15 दिन में दो बड़े हादसे हुए. दोनों में कुल जमा एक हजार तक हाजी मारे गए. सैकड़ों घायल हो गए. सऊदी अरब सरकार की लचर व्यवस्था के कारण हादसे हुए. दुनिया उसे कोस रही है. पर, भारतीय मुसलमानों को लगता है कि सऊदी सरकार पाक साफ है. आप सोशल मीडिया में मक्का में हादसों के बाद के मूड को देख लें. बेशक, भारतीय मुसलमान गमगीन हैं. पर, वे हादसों के लिए सऊदी सरकार के प्रबंधन को दोषी मानने के लिए तैयार नहीं हैं.
हैदराबाद के इंश्योरेस सेक्टर के पेशेवर मिर्जा बेग सवाल करते हैं कि मक्का में हुए दोनों हादसों के लिए सऊदी सरकार को क्यों जिम्मेदार माना जाए? वे दावा करते हैं कि चूंकि सबको शैतान पर पत्थर फेंकने की जल्दी थी, इसलिए हादसा हुआ.
इलाहाबाद के सोशल वर्कर मोहम्मद जाहिद ने अपनी फेसबुक वॉल में लिखा है, जब 30 लाख लोग एक जगह एक ही काम करने के लिए आते हों उस जगह पर इतनी उम्दा व्यवस्था कहीं देखने को नहीं मिलती. भारत में कुंभ के समय भीड़ इससे अधिक होती है परन्तु नदियों के तट बहुत दूर तक और दोनो तरफ कई-कई किलोमीटर तक होते हैं. इसके चलते भीड़ बिखरी रहती है. उसे व्यवस्थित करना संभव रहता है. इसके विपरीत हज के समय 10-20 मीटर के मुख्य स्थान तक हर कोई पहुंचता है और विशेषकर मीना में शैतान के तीन प्रतीकों को कंकड़ी मारने की आपाधापी रहती है. वैसे, सऊदी सरकार तो याजियों के लिए बहुत आला व्यवस्था करती है.
क्या उसकी ये जिम्मेदारी नहीं है? हज सऊदी सरकार के लिए सालाना 200 बिलियन डॉलर का बिजनेस है. क्या इतना मोटा कमाने के बाद भी वह हाजियों के लिए बेहतर व्यवस्था नहीं करेगी? मुंबई में रहने वाले आईटी प्रोफेशनल शम्सी अब्बास रिजवी कह रहे हैं कि ताजा हादसा 9 वर्षों के बाद हो रहा है. यानी इतने वर्षों के बाद तो हादसा होना कोई बड़ी बात नहीं है.
अब सऊदी सरकार के स्वयंभू प्रवक्ताओं को कौन बताए कि वह हाजियों से मोटा टैक्स वसूलती है. जबकि भारत सरकार कुंभ में जाने वालों पर कोई टैक्स नहीं लगाती. एक बात और. सऊदी अरब सरकार ने इस साल यमन के हाजियों को हज करने की इजाजत देने से मना कर दिया. बीती 11 सितंबर को यमन में सऊदी अरब सरकार के इस फैसले के खिलाफ जमकर प्रदर्शन हुए थे. क्या सऊदी अरब सरकार का साथ देने वाले मुसलमानों को इस बात की जानकारी है? क्या यमन के मुसलमानों को मुसलमान नहीं माना जाएगा?
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