रेप के कानून को लेकर अब तक बहुत लिखा गया, पढ़ा गया, केंडल मार्च से लेकर धरना प्रदर्शन भी हुए, लेकिन नतीजा सिफर. अदालतों के कानों तक बात पहुंचती है, उन्हें पीड़ितों के दर्द का अहसास भी होता होगा, पर फिर भी उनके फैसले किसी भी पीड़ित या पीडितों के हक की लड़ाई लड़ रहे लोगों को इंसाफ नहीं दिला पाते. कमी हमेशा रह ही जाती है.
रक्षक ही भक्षक हैं यहां
एक और खबर है जो कुछ दिन सुर्खियों में रह सकती है. 14 साल की एक बच्ची का चलती ट्रेन में सामूहिक बलात्कार किया गया. हावड़ा-अमृतसर एक्स्प्रेस में ये लड़की गलती से सेना के डब्बे में चढ़ गई. वर्दी पहने सेना के जवानों को देखकर शायद उसे राहत महसूस हुई होगी कि वो वहां पर सुरक्षित है. नादान थी, वो नहीं जानती थी कि देश की सेवा करने वाले और हमेशा अनुशासित रहने वाले जवान की जो छवि उसके मन में है, वह हमेशा के लिए तार-तार होने वाली है. उसे जबरन शराब पिलाई गई और फिर तीन जवानों ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया. लड़की की शिकायत पर तीन में से एक को गिरफ्तार कर लिया गया है. बाकी फरार हैं.
अगर पकड़े जाएंगे, तो सजा होगी नौकरी जाएगी...बस! पर वो नाबालिग लड़की ताउम्र अपनी आत्मा पर लगे इस घाव को लेकर जिंदा रहेगी. उन सभी पीड़ितों की तरह, उन सभी नाबालिगों की तरह, उन सभी युवतियों की तरह, उन सभी शादीशुदा महिलाओं की तरह जो खुद पर हुए बलात्कार से घायल हुई रुह लिए आज भी जिंदा हैं. अफसोस कि ये सब ऐसे ही चलता रहेगा.
अरब और भारत की महिलाओं में ज्यादा फर्क नहीं
ये खबर भी महिलाओं पर अत्याचार की एक अजीब कहानी बयां करती है. इससे फर्क नहीं पड़ता कि महिला कहां की है. वो बस एक औरत है. सऊदी अरब में 19 साल की कॉलेज छात्रा का 7 लोगों ने बलात्कार किया. मामला कोर्ट पहुंचा. वहां उस युवती को ही 90 कोड़े मारने की सजा सुनाई गई. क्योंकि वह घटना के समय अपने एक दोस्त के साथ थी, जबकि सऊदी कानून के मुताबिक कोई महिला अपने सगे रिश्तेदार को साथ लिए बगैर घर से बाहर...
रेप के कानून को लेकर अब तक बहुत लिखा गया, पढ़ा गया, केंडल मार्च से लेकर धरना प्रदर्शन भी हुए, लेकिन नतीजा सिफर. अदालतों के कानों तक बात पहुंचती है, उन्हें पीड़ितों के दर्द का अहसास भी होता होगा, पर फिर भी उनके फैसले किसी भी पीड़ित या पीडितों के हक की लड़ाई लड़ रहे लोगों को इंसाफ नहीं दिला पाते. कमी हमेशा रह ही जाती है.
रक्षक ही भक्षक हैं यहां
एक और खबर है जो कुछ दिन सुर्खियों में रह सकती है. 14 साल की एक बच्ची का चलती ट्रेन में सामूहिक बलात्कार किया गया. हावड़ा-अमृतसर एक्स्प्रेस में ये लड़की गलती से सेना के डब्बे में चढ़ गई. वर्दी पहने सेना के जवानों को देखकर शायद उसे राहत महसूस हुई होगी कि वो वहां पर सुरक्षित है. नादान थी, वो नहीं जानती थी कि देश की सेवा करने वाले और हमेशा अनुशासित रहने वाले जवान की जो छवि उसके मन में है, वह हमेशा के लिए तार-तार होने वाली है. उसे जबरन शराब पिलाई गई और फिर तीन जवानों ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया. लड़की की शिकायत पर तीन में से एक को गिरफ्तार कर लिया गया है. बाकी फरार हैं.
अगर पकड़े जाएंगे, तो सजा होगी नौकरी जाएगी...बस! पर वो नाबालिग लड़की ताउम्र अपनी आत्मा पर लगे इस घाव को लेकर जिंदा रहेगी. उन सभी पीड़ितों की तरह, उन सभी नाबालिगों की तरह, उन सभी युवतियों की तरह, उन सभी शादीशुदा महिलाओं की तरह जो खुद पर हुए बलात्कार से घायल हुई रुह लिए आज भी जिंदा हैं. अफसोस कि ये सब ऐसे ही चलता रहेगा.
अरब और भारत की महिलाओं में ज्यादा फर्क नहीं
ये खबर भी महिलाओं पर अत्याचार की एक अजीब कहानी बयां करती है. इससे फर्क नहीं पड़ता कि महिला कहां की है. वो बस एक औरत है. सऊदी अरब में 19 साल की कॉलेज छात्रा का 7 लोगों ने बलात्कार किया. मामला कोर्ट पहुंचा. वहां उस युवती को ही 90 कोड़े मारने की सजा सुनाई गई. क्योंकि वह घटना के समय अपने एक दोस्त के साथ थी, जबकि सऊदी कानून के मुताबिक कोई महिला अपने सगे रिश्तेदार को साथ लिए बगैर घर से बाहर नहीं निकल सकती. इस सजा से खफा उस छात्रा ने जब मामले की जानकारी मीडिया को दी तो उसी कोर्ट ने उसकी सजा और बढ़ा दी. अब उसे 200 कोड़े मारे जाएंगे और 6 महीने जेल में भी रहना होगा.
ये वही सऊदी अरब है, जहां पिछले दिनों महिलाओं को पहली बार दिए गए वोटिंग के अधिकार पर दुनियाभर में खबरें प्रकाशित हुई थीं. अब क्या लगता है, कुछ बदला है वहां?
सऊदी अरब से बहुत अलग नहीं हमारे देश में हालात
सऊदी अरब में कॉलेज छात्रा के साथ हुए अन्याय पर भारत में कुछ लोगों का रुख ऐसा है कि 'देखो ये होता है अरब देशों में, ऐसे किया जाता है महिलाओं का शोषण, खुशनसीब हो कि भारत में हो'. हां, हम खुशनसीब हैं कि हम भारत में हैं, यहां महिलाओं को समान अधिकार मिले हुए हैं. यहां के मर्द चाहते तो बहुत हैं कि महिलाओं को कुचल दिया जाए, पर देश के कानून के आगे मजबूर हैं.
पुरानी किताबों में पढ़ा था कभी कि 'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता'. पर यहां सिर्फ देवियों की पूजा होती है, नारी का सिर्फ अपमान किया जाता है. महिलाओं के लिए सुरक्षित भारत की उम्मीद करना अब व्यर्थ लगता है. महिला सुरक्षा के नाम पर भाषण देने और समान अधिकार देने से लोगों की सोच नहीं बदलती. भारत के हालात देखकर यही लगता है कि हम अरब देशों से बस थोड़े ही बेहतर हैं. महिलाओं की स्थिति वहां दयनीय है तो यहां भी कम परेशान करने वाली नहीं. महिला सुरक्षा के नाम पर सिर्फ बातें होती हैं, बहस होती है. और निष्कर्ष कुछ नहीं निकलता. अगले दिन फिर किसी बच्ची से बलात्कार की खबर आती है, और हमारा खून जितनी गति से खौलता है उतनी गति से ठंडा भी पड़ जाता है. 'रेप पर कानून' और 'महिला सुरक्षा' जैसे मुद्दे भी 'सेक्स' की तरह टैबू बनते जा रहे हैं, जो चाहिए तो सबको लेकिन उस पर बात कोई नहीं करना चाहता.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.