औरत होना अपने आप में एक जंग है. औरतों के लिए Do's और Don'ts की मारामारी खत्म ही नहीं होती. वैक्सिंग, ब्वॉयफ्रेंड, ब्रेकअप्स, महीने के उन दिनों से लेकर अपनी सुरक्षा और ना जाने कितने तरह के 'जरुरी' काम हैं जिन्हें निपटाने के चक्कर में हमारी रातों की नींद हराम रहती है. लेकिन फिर भी ये लिस्ट है कि खत्म होने का नाम ही नहीं लेती.
वैसे तो भारतीय सड़कों पर गाड़ी चलाना एक ऐसा मुद्दा है जो बहुत बुरा तो नहीं पर सरदर्दी ज़रुर करा देता है. और अगर गाड़ी लड़की चला रही है तो फिर बात ही क्या. लड़कियों के लिए गाड़ी चलाना किसी रिश्ते में बंधने जैसा है. आपको लगेगा कि अब सेटल हो गए, ज़िंदगी पटरी पर आ जाएगी, लेकिन होता ठीक उल्टा है. आप परेशान ही घुमते रहेंगे. कभी कोई दिक्कत, कभी कोई परेशानी. तो देखिए महिलाओं को भारत में गाड़ी चलाते समय रोज़ाना किन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
1- सबसे पहले तो भारत की सड़कों पर औरतों का सामना 'थ्री इडियट' फिल्म के वीरू सहस्त्रबुद्धे टाइप लोगों से होता है. इन्होंने वीरु के जीवन एक रेस है वाली फिलॉसफी को इतना सीरियसली ले लिया होता है कि उसी के साथ जीने लगते हैं. ऐसे किसी 'महान आत्मा' की गाड़ी को अगर आप खाली सड़क पर भी ओवरटेक कर लो फिर देखो कमाल. आपको ओवरटेक करना ही उसका मकसद बन जाएगा. आखिर मर्द हैं ये बात वो कैसे साबित करेंगे !
2- उसके बाद दिखेंगे कुछ डरपोक मुसाफिर. ये डरपोक इसलिए हैं क्योंकि अपनी मारुति 800 को भी वो आपसे 1 किलोमीटर की दूरी पर चलाएंगे. ऐसा इसलिए कि उन्हें लगता है- 'लड़की है, ठोक देगी'! हां तो अब हमें पता है कि अगर सच में हमने उनकी गाड़ी को ठोक दिया तो दोष किसे देना है ! आखिर उनकी सोच को सही साबित करना हमारा ही तो फर्ज है.