संस्कार और सलवार-कमीज का गहरा नाता है. हमारे यहां लड़कियों की तमीज़ और तहज़ीब उनके कपड़ों से ही मापी जाती है. अगर किसी लड़की ने सलवार-कमीज पहन रखी है तो वो एक गुणी और सती-सावित्री लड़की होती है. उसका ना तो रेप होता है और ना ही वो 'उस' टाइप की लड़की होती है.
हमारे देश में नेताओं और टॉप रैंक के ऑफिसर्स से लेकर सड़क पर खड़ा मवाली भी लड़कियों को यही सीख देता दिख जाता है. इसी लिस्ट में मुंबई के बांद्रा स्थित गवर्नमेंट पॉलीटेक्निक कॉलेज की प्रिंसिपल स्वाति देशपांडे का नाम भी जुड़ गया है. स्वाति देशपांडे का कहना है कि लड़कों जैसे कपड़े पहनने वाली लड़कियों की सोच भी लड़कों जैसी हो जाती है. साथ ही ऐसे कपड़े पहनने से उनमें बच्चे पैदा करने की इच्छा खत्म हो जाती है !
1- आप संस्कारी लड़की का प्रतीक बन जाती हैं
भले ही आप घर के बड़े-बुजुर्गों का सम्मान नहीं करती. हो सकता है कि आप अपने माता-पिता से भी बदतमीजी से पेश आती हैं. लेकिन अगर आप सलवार-कमीज़ पहनती हैं तो बस चैन से रहिए. कोई आप पर उंगली नहीं उठा सकता. आप साक्षात देवी का प्रतीक बन जाती हैं. आखिर आप संस्कारी लड़की हैं! आपके माता-पिता ने आपको अच्छे संस्कार दिए हैं!
2- किसी भी शादी-पार्टी में आपका ही डंका...
संस्कार और सलवार-कमीज का गहरा नाता है. हमारे यहां लड़कियों की तमीज़ और तहज़ीब उनके कपड़ों से ही मापी जाती है. अगर किसी लड़की ने सलवार-कमीज पहन रखी है तो वो एक गुणी और सती-सावित्री लड़की होती है. उसका ना तो रेप होता है और ना ही वो 'उस' टाइप की लड़की होती है.
हमारे देश में नेताओं और टॉप रैंक के ऑफिसर्स से लेकर सड़क पर खड़ा मवाली भी लड़कियों को यही सीख देता दिख जाता है. इसी लिस्ट में मुंबई के बांद्रा स्थित गवर्नमेंट पॉलीटेक्निक कॉलेज की प्रिंसिपल स्वाति देशपांडे का नाम भी जुड़ गया है. स्वाति देशपांडे का कहना है कि लड़कों जैसे कपड़े पहनने वाली लड़कियों की सोच भी लड़कों जैसी हो जाती है. साथ ही ऐसे कपड़े पहनने से उनमें बच्चे पैदा करने की इच्छा खत्म हो जाती है !
1- आप संस्कारी लड़की का प्रतीक बन जाती हैं
भले ही आप घर के बड़े-बुजुर्गों का सम्मान नहीं करती. हो सकता है कि आप अपने माता-पिता से भी बदतमीजी से पेश आती हैं. लेकिन अगर आप सलवार-कमीज़ पहनती हैं तो बस चैन से रहिए. कोई आप पर उंगली नहीं उठा सकता. आप साक्षात देवी का प्रतीक बन जाती हैं. आखिर आप संस्कारी लड़की हैं! आपके माता-पिता ने आपको अच्छे संस्कार दिए हैं!
2- किसी भी शादी-पार्टी में आपका ही डंका बजेगा
किसी भी शादी में सलवार-सूट पहनकर जाने से ही आपकी वैल्यू रिलांयस के शेयरों की तरह आसमान छूने लगती है. आप सती-सावित्री-बहू टाइप के अपने जलवे से सभी को हैरान कर देती हैं. शादी या पार्टी में आई हर दूसरी लड़की को कॉम्पलेक्स देने के लिए काफी है. साथ ही वहां मौजूद हर सासू-मां टाइप की आंटियों के बेटे के लिए आप मोस्ट एलिजिबल संस्कारी लड़की बन जाती हैं! हां ये और बात है कि इनके बेटे टाइगर वुड्स की तरह मैगेनिटिक पर्सनालिटी वाले होते हैं!
3- साड़ी पहनने का मतलब है कि डॉक्टरों से मु्क्ति
एक कहावत है कि हमारे देश में हर आदमी डॉक्टर होता है. हमें हर बीमारी के लिए दवाई मालूम होती है और हम असली डॉक्टर के पास तभी जाते हैं जब मामला हमारे हाथ से निकल जाता है. यहां भी कुछ ऐसा ही है. और क्योंकि स्वाति जी खुद प्रिंसिपल हैं तो उनका डॉक्टरी ज्ञान थोड़ा ज्यादा ही होगा. इसलिए अपने एक्सपिरियंस से इन्होंने बताया है कि जीन्स पहनने से लड़कियों में पीओसीडी यानि पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिसऑर्डर से पीड़ित होने की संभावना बढ़ जाती है. ये एक हॉर्मोनल प्रोब्लम होती है. इसमें महिलाओं को पीरियड्स में दिक्कत, पुरुषों की तरह चेहरे और शरीर पर बाल आने की समस्या हो सकती है.
अपने इस 'डायग्नोसिस' से मैडम प्रिंसिपल सभी बड़े स्त्री रोग विशेषज्ञों को अपनी मेडिकल डिग्री चेक करने पर मजबूर कर रही हैं.
4- साड़ी पहनना हर कष्ट का अंत है
एथनिक वियर मतलब साड़ी ही होता है. हो भी क्यों ना आखिर साड़ी पहनने के बाद आप वल्गर नहीं लगते. साड़ी पहनने के बाद मासूम गुंडे-मवालियों की नज़र ना तो आपकी पीठ पर जाती है ना ही वो आपकी कमर पर बुरी नज़र डालते हैं. मासूम इसलिए की इसमें उनकी गलती थोड़े है जब वो किसी लड़की को देख बेकाबू हो जाते हैं. ना ही इसमें उनकी गलती है कि उनकी डिक्शनरी में लड़की के 'ना' की जगह ही नहीं होती! क्या करें हमारे यहां तो नेताजी भी कहते हैं कि लड़कों से गलतियां हो जाती है.
5- महिलाओं वाले कपड़े पहनने के बाद आप ज्यादा (री)प्रोडक्टिव हो जाते हैं
मैडम देशपांडे ने इसका राज़ बताया. उन्होंने कहा कि लड़कों जैसे कपड़े पहनने से लड़कियां उनकी तरह का ही व्यवहार करने लगती हैं जिसकी वजह से उनमें बच्चे पैदा करने की इच्छा बचपन से ही कम हो जाती है.
खैर मैडम प्रिंसिपल की ठीक वैसे ही कोई गलती नहीं है जैसे लड़कियों को ताड़ने वाले लड़कों की कोई गलती नहीं होती. शायद वो ये सोचती हैं कि हमारे देश में आज भी राम-राज्य है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.