'एक शहंशाह ने दौलत का सहारा लेकर हम गरीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मजाक...' साहिर लुधियानवी ने जब ये लाइनें लिखी होंगी तो शायद उन्हें भी ये अहसास नहीं रहा होगा कि मोहब्बत का जुनून क्या होता है. ये किसी आम से पोस्टमास्टर से ताजमहल भी बनवा सकता है. और किसी दशरथ मांझी से पहाड़ भी तुड़वा सकता है.
यूपी के बुलंदशहर के फैजल हसन कादरी ने दिखा दिया कि मोहब्ब्त में ताज केवल शहंशाह ही खड़ा नहीं कर सकते हैं? फैजुल ने ये ताजमहल अपनी बेगम तज्जमुली की याद में बनवाया जो 2011 में गले के कैंसर की वजह से चल बसी थीं.
एक पोस्टमास्टर का हसीन ताजमहल...(तस्वीर-वीडियो ग्रैब) |
ताजमहल बनाने का ख्याल फैजल को कैसे आया इसे याद करते हुए वो खुद बताते हैं कि उनकी कोई संतान नहीं थी. एक दिन पत्नी ने यूं ही कह दिया कि हम दोनों जब मर जाएंगे तो कोई हमारा नाम लेने वाला भी नहीं बचेगा. फिर क्या था फैजल ने कह दिया कि अगर वे जिंदा रहे तो अपने खेत में ऐसा मकबरा बनाएंगे कि दुनिया उन्हें और उनकी पत्नी को नहीं भूलेंगी.
बस, यही से दूसरा ताजमहल बनना तय हो गया. फैजुल ने अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया. पैसे की कमी आई तो काम भी रूक गया लेकिन फैजल ने अपना वादा जरूर पूरा कर दिया. विश्व भर की मीडिया में उन पर स्टोरी बन चुकी है और कई लोग तो अब इसे देखने तक आते हैं.
देखिए, हसन कादरी की भावुक कर देने वाली कहानी उन्हीं की जुबानी...
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