बचपन के किसी खेल के बारे में याद है आपको? बचपन के खेल, गुड्डे-गुड़ियों का शौक, लुका-छुप्पी का खेल सब बड़े ही मनभावने लगते हैं. बचपन की यादें तो सबसे सुहानी होती हैं, लेकिन उन बच्चों का क्या जिनकी यादें काली स्याही से लिख दी जाती हैं. जिनके मन में बचपन से ही डर पैदा कर दिया जाता है, जिन्हें बचपन से ही शोषण का शिकार बनाया जाता है?
आए दिन ऐसा कोई ना कोई किस्सा सुनने मिलता है जिसमें बच्चों का बचपना छीना जाता है. ये घटनाएं किस्से ही तो बना दिए जाते हैं. अगर घर के आस-पास कोई ऐसी घटना हुई है तो उसे पान ठेले पर भी बड़े चाव से किस्से और कहानी की तरह सुनाया जाता है, लेकिन मुद्दा वहीं का वहीं रहता है. कई बार बच्चों के साथ हो रही घटना का पता इतने दिनों बाद चलता है कि तब तक बच्चे को उस दुख और तकलीफ के दौर से निकाल पाना बड़ा मुश्किल हो जाता है.
बच्चों के साथ हो रहे शोषण के बारे में पता लगाना कई बार बहुत मुश्किल हो जाता है. बच्चों को डराया जाता है ताकि वो किसी को कुछ कह ना सकें, बच्चों द्वारा दिए गए संकेतों का पता नहीं लगा पाते. कुछ बच्चों का व्यवहार बदल जाता है तो कुछ बच्चे अपने खेल के जरिए ये बताते हैं.
ये कहानी है एक बच्ची की जिसने अपने खेल के जरिए ही अपने साथ हुई आपबीती के बारे में बता दिया. गुड़िया के खेल में ही उसने ये बता दिया कि कैसे उसका शोषण होता है, कैसे वो बच्ची अपने की अंकल से डरती है, कैसे जो हरकतें उसके साथ की जाती हैं वो उसे अंदर तक झकझोर देती हैं. ये वीडियो तो मल्यालम में है, लेकिन इसे समझने के लिए आपको किसी भाषा की जरूरत नहीं पड़ेगी.
4 मिनट का ये वीडियो उस सच को उजागर कर रहा है जिसमें बच्चों पर ध्यान ना देने की मां-बाप की आदत कितनी खतरनाक साबित हो सकती है ये दिख रहा है. क्या आपने कभी गौर किया है कि आपका बच्चा किस तरह के खेल खेलता...
बचपन के किसी खेल के बारे में याद है आपको? बचपन के खेल, गुड्डे-गुड़ियों का शौक, लुका-छुप्पी का खेल सब बड़े ही मनभावने लगते हैं. बचपन की यादें तो सबसे सुहानी होती हैं, लेकिन उन बच्चों का क्या जिनकी यादें काली स्याही से लिख दी जाती हैं. जिनके मन में बचपन से ही डर पैदा कर दिया जाता है, जिन्हें बचपन से ही शोषण का शिकार बनाया जाता है?
आए दिन ऐसा कोई ना कोई किस्सा सुनने मिलता है जिसमें बच्चों का बचपना छीना जाता है. ये घटनाएं किस्से ही तो बना दिए जाते हैं. अगर घर के आस-पास कोई ऐसी घटना हुई है तो उसे पान ठेले पर भी बड़े चाव से किस्से और कहानी की तरह सुनाया जाता है, लेकिन मुद्दा वहीं का वहीं रहता है. कई बार बच्चों के साथ हो रही घटना का पता इतने दिनों बाद चलता है कि तब तक बच्चे को उस दुख और तकलीफ के दौर से निकाल पाना बड़ा मुश्किल हो जाता है.
बच्चों के साथ हो रहे शोषण के बारे में पता लगाना कई बार बहुत मुश्किल हो जाता है. बच्चों को डराया जाता है ताकि वो किसी को कुछ कह ना सकें, बच्चों द्वारा दिए गए संकेतों का पता नहीं लगा पाते. कुछ बच्चों का व्यवहार बदल जाता है तो कुछ बच्चे अपने खेल के जरिए ये बताते हैं.
ये कहानी है एक बच्ची की जिसने अपने खेल के जरिए ही अपने साथ हुई आपबीती के बारे में बता दिया. गुड़िया के खेल में ही उसने ये बता दिया कि कैसे उसका शोषण होता है, कैसे वो बच्ची अपने की अंकल से डरती है, कैसे जो हरकतें उसके साथ की जाती हैं वो उसे अंदर तक झकझोर देती हैं. ये वीडियो तो मल्यालम में है, लेकिन इसे समझने के लिए आपको किसी भाषा की जरूरत नहीं पड़ेगी.
4 मिनट का ये वीडियो उस सच को उजागर कर रहा है जिसमें बच्चों पर ध्यान ना देने की मां-बाप की आदत कितनी खतरनाक साबित हो सकती है ये दिख रहा है. क्या आपने कभी गौर किया है कि आपका बच्चा किस तरह के खेल खेलता है? कुछ समय पहले एक ऐसी ही घटना सबके सामने आई थी जिसमें एक 5 साल की बच्ची स्केच बनाकर ये दिखा रही थी कि उसके साथ चर्च के पादरी ने क्या किया. पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
बच्चे बहुत भोले होते हैं और उनकी बातों से ही ये समझ आता है कि उनके मन में क्या चल रहा है. देर ना करें. अपने बच्चे पर जरा सा ध्यान दें. वो क्या कर रहा है इसपर ध्यान दें और अगर जरा भी शक हो तो उससे पूछें.
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.