गोवा की प्लानिंग करना और गोवा जाना अपने आप में किसी शानदार अनुभव से कम नहीं है. लेकिन ये अनुभव पाने के बाद जो अनुभव होता है, वो कुछ अलग ही है. चलिए आपसे एक सवाल करती हूं... ऐसा कितनी बार हुआ है कि आपने कोई प्लान बनाया हो और उसमें रिश्तेदारों ने टांग अड़ाई हो, या फिर फेसबुक पर फोटो पोस्ट करते समय दोस्तों के अजीब कमेंट्स आए हों?
अब आप सोच रहे हैं एकदम से गोवा और उपलब्धि के बीच रिश्तेदार कहां से आ गए. तो जनाब ये भारत है और यहां हर बात गाहे-बगाहे रिश्तेदारों से जुड़ ही जाती है. कुछ ऐसा ही होता है जब एक जवान लड़की किसी ट्रिप पर जाती है. अकेली या फिर अपने दोस्तों के साथ. हम उस समाज का हिस्सा बने हुए हैं जहां अभी भी लड़कियों को ज्यादा आजादी देने की पैरवी नहीं की जाती है. और फिर ऐसे में अगर किसी मां-बाप ने अपनी लड़की को ये आजादी दी हुई है तो उन्हें भी ताने सुनने पड़ते हैं.
रहिमन इस संसार में भांति-भांति के रिश्तेदार...
मतलब चाहे लड़की हो या लड़की के मां-बाप सुनने का काम उनका ही है. अगर कोई लड़की कहीं अकेले जा रही है तो किस तरह के सवाल सुनने को मिलते हैं? रिश्तेदार भी अलग-अलग तरह के होते हैं. अब अगर मैं अपनी ट्रिप की ही बात करूं तो गोवा अगर मैं अपने 4 दोस्तों के साथ गई हूं तो रिश्तेदारों की अलग-अलग किस्मों के अलग-अलग रिएक्शन होंगे. जैसे...
- चिंतित रिश्तेदार...
"अरे तुम लोग अकेली लड़कियां डर नहीं लगा? अरे कुछ हो जाता तो? अरे ऐसे कारनामे करती हो.. "
अब एक बात बताइए. पांच लड़कियां अकेली तो नहीं होंगी, दूसरी ये कि क्यों कुछ हो जाता भाई हम लोग अपनी सुरक्षा का उतना ही ध्यान रख सकते हैं जितना हमारे परिवार वाले रख सकते हैं. तीसरी बात कि गोवा जाने में कारनामा क्या हो गया.
- शकी...
गोवा की प्लानिंग करना और गोवा जाना अपने आप में किसी शानदार अनुभव से कम नहीं है. लेकिन ये अनुभव पाने के बाद जो अनुभव होता है, वो कुछ अलग ही है. चलिए आपसे एक सवाल करती हूं... ऐसा कितनी बार हुआ है कि आपने कोई प्लान बनाया हो और उसमें रिश्तेदारों ने टांग अड़ाई हो, या फिर फेसबुक पर फोटो पोस्ट करते समय दोस्तों के अजीब कमेंट्स आए हों?
अब आप सोच रहे हैं एकदम से गोवा और उपलब्धि के बीच रिश्तेदार कहां से आ गए. तो जनाब ये भारत है और यहां हर बात गाहे-बगाहे रिश्तेदारों से जुड़ ही जाती है. कुछ ऐसा ही होता है जब एक जवान लड़की किसी ट्रिप पर जाती है. अकेली या फिर अपने दोस्तों के साथ. हम उस समाज का हिस्सा बने हुए हैं जहां अभी भी लड़कियों को ज्यादा आजादी देने की पैरवी नहीं की जाती है. और फिर ऐसे में अगर किसी मां-बाप ने अपनी लड़की को ये आजादी दी हुई है तो उन्हें भी ताने सुनने पड़ते हैं.
रहिमन इस संसार में भांति-भांति के रिश्तेदार...
मतलब चाहे लड़की हो या लड़की के मां-बाप सुनने का काम उनका ही है. अगर कोई लड़की कहीं अकेले जा रही है तो किस तरह के सवाल सुनने को मिलते हैं? रिश्तेदार भी अलग-अलग तरह के होते हैं. अब अगर मैं अपनी ट्रिप की ही बात करूं तो गोवा अगर मैं अपने 4 दोस्तों के साथ गई हूं तो रिश्तेदारों की अलग-अलग किस्मों के अलग-अलग रिएक्शन होंगे. जैसे...
- चिंतित रिश्तेदार...
"अरे तुम लोग अकेली लड़कियां डर नहीं लगा? अरे कुछ हो जाता तो? अरे ऐसे कारनामे करती हो.. "
अब एक बात बताइए. पांच लड़कियां अकेली तो नहीं होंगी, दूसरी ये कि क्यों कुछ हो जाता भाई हम लोग अपनी सुरक्षा का उतना ही ध्यान रख सकते हैं जितना हमारे परिवार वाले रख सकते हैं. तीसरी बात कि गोवा जाने में कारनामा क्या हो गया.
- शकी रिश्तेदार...
"सिर्फ लड़कियां ही गईं थी या लड़कों की फोटो नहीं डाली? इसका कोई चक्कर तो नहीं है (मां-बाप से)? तुमने कुछ ज्यादा ही छूट दे रखी है बिगड़ी तो नहीं लड़की..."
अच्छा तो मतलब अगर लड़कियां अकेले गई हैं तो उसमें भी शक किया जाएगा कि लड़कों की फोटो नहीं डाली.. इतनी फुरसत आखिर लोगों को मिल कैसे जाती है?
- व्यंगात्मक रिश्तेदार...
"बड़ी हिम्मती हो... गोवा जाकर आ गई, कपड़े भी ऐसे पहने थे, काफी मॉर्डन हो ना"
अरे भाई घूमने के लिए भी कोई हिम्मत चाहिए क्या? और मेरी मर्जी मैं कुछ भी पहनू ... क्या इसके लिए मुझे किसी से कैरेक्टर सर्टिफिकेट लेना होगा.
2. हर एक दोस्त अजीब होता है...
ये तो हुई रिश्तेदारों की बात, लेकिन अगर कोई लड़की अकेली घूमने गई है तो सिर्फ रिश्तेदार ही नहीं दोस्तों को भी इसी तरह के सवाल याद आते हैं. उस समय दोस्त भी कई किस्मों में विभाजित हो जाते हैं. जैसे...
- जलन से भरा दोस्त
फोटो डालने के बाद सबसे ज्यादा इसी तरह के लोगों से आपका सामना होता है. ये वो लोग होते हैं जो फेसबुक कमेंट्स में, फोन करके, मैसेज करके आपको किसी ना किसी तरह से ये बता ही देते हैं कि वो जल रहे हैं.
- शिकायती दोस्त
"गोवा गई हमको लेकर नहीं गई... बताया भी नहीं और गोवा घूम आई... "
इसके आगे क्या कुछ समझाने की जरूरत है?
3. ऑफिस के साथी..
"बड़ी मस्ती करके आई हो? हमने फोटो देखी अच्छी है... हमारी किस्मत में घूमना कहां? छुट्टी ही नहीं मिलती... बॉस की चहेती लगती हो हमेशा तुमको छुट्टी मिल जाती है. "
इस तरह के लोगों का मिलना बड़ा ही आम है. ऑफिस में अगर कोई लड़की इस तरह से घूमने जाती है तो ऐसे सवाल शायद आम ही होंगे. कम से कम मेरे मामले में तो हैं. एक बात समझ नहीं आती कि आखिर लोगों को किसी और की जिंदगी में इतनी दिलचस्पी क्यों. क्यों अगर कोई जवान लड़की अकेले अपने दोस्तों के साथ किसी ट्रिप पर जाती है तो उसे इतने सवाल किए जाते हैं. ये सब मेरे भाई के ट्रिप पर जाने पर तो नहीं होता. ना ही उसे ऑफिस के साथी कुछ बोलते हैं ना रिश्तेदार हां दोस्त बशर्ते कुछ ना कुछ कहते रहते हैं, लेकिन इस तरह की बातें नहीं होतीं. भले ही लड़के ने घूमते समय शर्ट ना पहनी हो, लेकिन गोवा गई हुई लड़की की स्कर्ट जरूर लोगों की आंखों में चढ़ जाती है.
अंत में बस इतना ही कहूंगी कि अपनी जिंदगी जीएं और लोगों को अपनी जीने दें. इस तरह के सवाल ना सिर्फ छुट्टियों का मजा किरकिरा कर देते हैं बल्कि ऐसे सवाल उन यादों के लिए भी खतरनाक हैं जो किसी छुट्टी पर बनाई गई हैं.
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.