ये दौर काफी बुरा चल रहा है. नेता हो या अभिनेता या फिर कोई बिजनेसमैन सभी रेप केस में अंदर जा रहे हैं. इस रेप के मायाजाल ने तो धर्म गुरुओं को भी नहीं छोड़ा. भारत में निर्भया कांड के बाद से रेप को लेकर नियम बदले गए, लेकिन हुआ क्या? 2012 से लेकर अब तक इतने केस सामने आ चुके हैं कि हिंदुस्तान को रेपिस्तान कहा जाने लगा है.
ये वो देश है जहां महिलाओं को ये समझाया जाता है कि कैसे रेप होने से बचा जाए, लेकिन लड़कों को कितनी बार ये बताया जाता है कि रेप नहीं करना है? या कितनी बार लड़कों से ये पूछा जाता है कि क्या उन्होंने रेप किया है? भारत में रेप इतनी गहरी समस्या है कि इसपर रिसर्च हो रही है.
नेशनल क्राइम ब्यूरो के रिकॉर्ड के अंतर्गत 2015 में 34,651 महिलाओं का रेप हुआ. ये तो सिर्फ वो आंकड़े हैं जिन्हें रिपोर्ट किया गया था. असलियत तो इससे कई गुना खराब होगी. निर्भया केस के बाद भारत को G-20 देशों में सबसे खराब देश माना गया था जहां एक महिला जा सकती है. ये सऊदी अरब से भी बुरा है.
मधुमिता पांडे जो एंजिलिया रस्किन यूनिवर्सिटी में क्रिमिनोलॉजी पर रिसर्च कर रही हैं, भारत में करीब 100 रेपिस्ट से मिल चुकी हैं. उनका सबसे पहला इंटरव्यू था मुकेश पांडे का. जो निर्भया कांड में दोषी पाया गया था.
क्या सामने आया मधुमिता की रिसर्च में....
मधुमिता कहती हैं कि हमें हमेशा से यही बताया जाता था कि रेपिस्ट राक्षस होते हैं, लेकिन मिलकर पता चला कि ये इंसान ही होते हैं. ज्यादातर पढ़े-लिखे नहीं थे. सब हमारे आस-पास मौजूद मर्दों जैसे थे.
क्यों करते हैं रेप...
- उनके रेप करने की वजह सीधी सी थी. उनकी सोच और उनकी परवरिश.
- भारतीय परिवारों में महिलाओं को दबकर रहने की शिक्षा दी जाती है. अधिकतर घरों में तो पतियों का नाम भी...
ये दौर काफी बुरा चल रहा है. नेता हो या अभिनेता या फिर कोई बिजनेसमैन सभी रेप केस में अंदर जा रहे हैं. इस रेप के मायाजाल ने तो धर्म गुरुओं को भी नहीं छोड़ा. भारत में निर्भया कांड के बाद से रेप को लेकर नियम बदले गए, लेकिन हुआ क्या? 2012 से लेकर अब तक इतने केस सामने आ चुके हैं कि हिंदुस्तान को रेपिस्तान कहा जाने लगा है.
ये वो देश है जहां महिलाओं को ये समझाया जाता है कि कैसे रेप होने से बचा जाए, लेकिन लड़कों को कितनी बार ये बताया जाता है कि रेप नहीं करना है? या कितनी बार लड़कों से ये पूछा जाता है कि क्या उन्होंने रेप किया है? भारत में रेप इतनी गहरी समस्या है कि इसपर रिसर्च हो रही है.
नेशनल क्राइम ब्यूरो के रिकॉर्ड के अंतर्गत 2015 में 34,651 महिलाओं का रेप हुआ. ये तो सिर्फ वो आंकड़े हैं जिन्हें रिपोर्ट किया गया था. असलियत तो इससे कई गुना खराब होगी. निर्भया केस के बाद भारत को G-20 देशों में सबसे खराब देश माना गया था जहां एक महिला जा सकती है. ये सऊदी अरब से भी बुरा है.
मधुमिता पांडे जो एंजिलिया रस्किन यूनिवर्सिटी में क्रिमिनोलॉजी पर रिसर्च कर रही हैं, भारत में करीब 100 रेपिस्ट से मिल चुकी हैं. उनका सबसे पहला इंटरव्यू था मुकेश पांडे का. जो निर्भया कांड में दोषी पाया गया था.
क्या सामने आया मधुमिता की रिसर्च में....
मधुमिता कहती हैं कि हमें हमेशा से यही बताया जाता था कि रेपिस्ट राक्षस होते हैं, लेकिन मिलकर पता चला कि ये इंसान ही होते हैं. ज्यादातर पढ़े-लिखे नहीं थे. सब हमारे आस-पास मौजूद मर्दों जैसे थे.
क्यों करते हैं रेप...
- उनके रेप करने की वजह सीधी सी थी. उनकी सोच और उनकी परवरिश.
- भारतीय परिवारों में महिलाओं को दबकर रहने की शिक्षा दी जाती है. अधिकतर घरों में तो पतियों का नाम भी पत्नियां नहीं लेती हैं. मर्दों को मर्दानगी का गलत पाठ पढ़ाया जाता है. सिर्फ निचले दर्जे के लोगों को नहीं बल्कि पढ़े-लिखे लोगों की भी यही हालत होती है.
- मधुमिता पांडे के हिसाब से इनमें से अधिकतर लोगों को ये पता ही नहीं होता कि जो उन्होंने किया है वो कितना गलत और ये उनका अधिकार नहीं था. भारत में माता-पिता बच्चों के सामने सेक्स, वैजाइना, रेप जैसे शब्द भी नहीं बोलते हैं ऐसे में इसके बारे में वो बच्चों को शिक्षा कैसे देंगे.
100 रेपिस्ट में से 3-4 ही सिर्फ ऐसे थे जिन्हें पछतावा हो रहा था.
5 साल की बच्ची के रेपिस्ट ने ये कहा...
इनमें से एक चौंकाने वाला रेपिस्ट भी था. उसने से 5 साल की बच्ची का रेप किया था. उसने कहा कि हां उसे बुरा लग रहा है कि उसने बच्ची की जिंदगी बर्बाद कर दी. वो अब वर्जिन नहीं रही और कोई उससे शादी नहीं करेगा. जब मैं जेल से बाहर आऊंगा तो उससे शादी करूंगा और उसे अपनाऊंगा.
यही तो है सोच जिसने अभी तक मर्दों को घेर रखा है. वो वर्जिन नहीं रही तो उसे कोई अपनाएगा नहीं. इसलिए अपने ही रेपिस्ट से शादी कर ले. ये अच्छा है कि उसे इस बात का पछतावा हो रहा है, लेकिन उसकी सोच तो अब भी वैसी ही है.
क्यों जरूरी है रेपिस्ट का नजरिया जानना...
ये बहुत जरूरी है कि किसी रेपिस्ट का नजरिया जाना जाए. आखिर क्या सोच रहती है इनकी जब किसी लड़की या महिला के साथ रेप करते हैं. यही सोच तो है जिसके कारण रेप किया जाता है.
'द वायर' में छपे अपने कॉलम में मधुमिता एक किस्से के बारे में बताती हैं. एक 23 साल का रेपिस्ट जो एक मंदिर में सफाई का काम करता था, वो 2010 में 5 साल की बच्ची के रेप के केस में पकड़ा गया. उसका कहना था कि 5 साल की वो छोटी सी बच्ची उसे उकसा रही थी. गलत जगह छू रही थी. वो बच्ची को सबक सिखाना चाहता था. उसने कहा कि उस बच्ची की मां भी इसी तरह की है.
भारत में जहां 90% रेप केस रिपोर्ट नहीं किए जाते, वहां ये अंदाजा लगाना भी मुश्किल है कि आखिर एक साल में कितनी महिलाओं के साथ ये होता है. रेपिस्ट पर की गई रिसर्च से ये बातें तो साफ होती है कि रेप करने में सोच काफी हद तक जिम्मेदार रहती है.
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