फोन पर रॉन्ग नंबर से कॉल आना बड़ी सामान्य बात है, लेकिन कुछ कॉल्स ऐसे होते हैं जो आपको हिलाकर रख देते हैं, खासकर महिलाओं को. फोन उठाते ही अगर कोई पूछे कि 'तुम्हारा रेट क्या है' 'कब मिलोगी' या 'क्या मैं कमरा बुक करवाऊं' तो किसी का भी दिमाग खराब हो जाएगा. ऐसे में आप क्या करेंगी? फोन काट देंगी, मगर फोन फिर किसी और नंबर से आए तो? बार-बार आए तो? आप कब तक अपना फोन बंद करके रखेंगी? और ऐसी परिस्थिति में एक सामान्य महिला अपना नंबर ही बदल लेती है. पर जरा सोचिए फिर भी यही स्थिति रही तो?
ऐसे में मुझे दाद देनी होगी इस महिला की. मैंने जब इनके बारे में पढ़ा तो लगा कि देश की हर लड़की में इस तरह की समझदारी और हिम्मत होनी ही चाहिए. इनका नाम है श्रीलक्ष्मी सतीश जो केरल में रहती हैं. इनके साथ ठीक ऐसी ही हरकत हुई जिसका जिक्र इन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में किया है.
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श्रीलक्ष्मी ने जो किया उससे हर लड़की को सीख लेने की जरूरत है |
श्रीलक्ष्मी एक मोटीवेशनल स्पीकर हैं और एक एडुकेशनल कंसल्टेंसी फर्म की सीईओ भी. अपने फोन पर इस तरह के भद्दे कॉल्स से वो भी हैरान थीं. वो फोन काटतीं, तो मैसेज आने लगते और उनका रेट पूछते. लेकिन उन्होंने इससे परेशान होने के बजाए इस परेशानी का सामना करने का निर्णय लिया. श्रीलक्ष्मी के पास जिस नंबर से कॉल आए उसमें से एक पर उन्होंने कॉल बैक किया, और उन्होंने उसे अपने बारे में बताया कि वो कौन हैं, और वो उन्हें गलत...
फोन पर रॉन्ग नंबर से कॉल आना बड़ी सामान्य बात है, लेकिन कुछ कॉल्स ऐसे होते हैं जो आपको हिलाकर रख देते हैं, खासकर महिलाओं को. फोन उठाते ही अगर कोई पूछे कि 'तुम्हारा रेट क्या है' 'कब मिलोगी' या 'क्या मैं कमरा बुक करवाऊं' तो किसी का भी दिमाग खराब हो जाएगा. ऐसे में आप क्या करेंगी? फोन काट देंगी, मगर फोन फिर किसी और नंबर से आए तो? बार-बार आए तो? आप कब तक अपना फोन बंद करके रखेंगी? और ऐसी परिस्थिति में एक सामान्य महिला अपना नंबर ही बदल लेती है. पर जरा सोचिए फिर भी यही स्थिति रही तो?
ऐसे में मुझे दाद देनी होगी इस महिला की. मैंने जब इनके बारे में पढ़ा तो लगा कि देश की हर लड़की में इस तरह की समझदारी और हिम्मत होनी ही चाहिए. इनका नाम है श्रीलक्ष्मी सतीश जो केरल में रहती हैं. इनके साथ ठीक ऐसी ही हरकत हुई जिसका जिक्र इन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में किया है.
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श्रीलक्ष्मी ने जो किया उससे हर लड़की को सीख लेने की जरूरत है |
श्रीलक्ष्मी एक मोटीवेशनल स्पीकर हैं और एक एडुकेशनल कंसल्टेंसी फर्म की सीईओ भी. अपने फोन पर इस तरह के भद्दे कॉल्स से वो भी हैरान थीं. वो फोन काटतीं, तो मैसेज आने लगते और उनका रेट पूछते. लेकिन उन्होंने इससे परेशान होने के बजाए इस परेशानी का सामना करने का निर्णय लिया. श्रीलक्ष्मी के पास जिस नंबर से कॉल आए उसमें से एक पर उन्होंने कॉल बैक किया, और उन्होंने उसे अपने बारे में बताया कि वो कौन हैं, और वो उन्हें गलत समझ रहे हैं. सामने वाले को अपनी गलती का अहसास हुआ और वो डर गया, उसने माफी मांगी और ये भी बताया कि उसे श्रीलक्ष्मी का नंबर किस तरह मिला.
उस आदमी ने एक वॉट्सएप ग्रुप की चैट का स्क्रीनशॉट भेजा जिसमें किसी ने उनका नंबर शेयर किया ये कहते हुए कि ये 'सुपर आइटम' है. श्रीलक्ष्मी ने उस व्यक्ति को पहचान लिया जिसने उनके साथ ऐसा किया था. ये वही था जो उनसे जब भी मिलता था तो 'बड़ी बहन' या 'दीदी' बुलाया करता था. वो एक राष्ट्रीय पार्टी का रीजनल सैक्रेट्री था. श्रीलक्ष्मी ने उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराने का निर्णय लिया.
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जब उस पार्टी के लोगों को श्रीलक्ष्मी के इस निर्णय के बारे में पता चला तो उनसे ऐसा न करने और मामला ऐसे ही सुलझा लेने की गुजारिश की. वो चाहती थीं कि उस इंसान को पार्टी से निकाला जाए और जब ऐसा हो तो उस पार्टी मीटिंग में उन्हें कुछ देर रहने दिया जाए. लेकिन उन्हें 29 दिसंबर को रात 8 बजे का समय दिया गया, इसलिए उन्होंने तुरंत एफआईआर करने की सोची. लेकिन जब उस आरोपी व्यक्ति के उम्रदराज पिता उनके पास आए और उनसे माफी मांगने लगे तो वो रुक गईं. लेकिन उन्होंने कहा कि उनका बेटा किसी भी एक चैरिटी में 25,000 रुपए दान दे और उन्हें उसका सबूत भी दे. श्रीलक्ष्मी के कहने पर उस आदमी को 25,000 रुपए दान में देने पड़े.
25,000 रुपये के दान की रीसिप्ट, जिसके साथ श्रीलक्ष्मी ने फेसबुक पोस्ट लिखी |
किसी भी महिला की प्रतिष्ठा के साथ इस तरह का खिलवाड़ करना एक गिरा हुआ काम है, जो आजकल मोबाइल, वॉट्सएप और सोशलमीडिया पर धड़ल्ले से किया जा रहा है. लड़कियों के इनबॉक्स में अश्लील मैसेज आना, उनका फोन नंबर सर्कुलेट होना खुद लड़कियों के लिए समस्या बनता जा रहा है. और ऐसे में किसपर विश्वास करें, किसपर नहीं ये भी अपने आप में एक चुनौती है. लेकिन अगर इस तरह के मामलों को समझदारी और साहस के साथ निपटा जाए तो कुछ भी असंभव नहीं है. मगर लड़कियां, इग्नोर करने में ही यकीन करती हैं. इग्नोर करना अच्छा है, लेकिन एक हद तक. जब बात गरिमा की हो आवाज उठाना जरूरी है.
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