आप जिंदगी से परेशान हैं... गम, दुख, तकलीफ... वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि आप गोरे नहीं, बाल झड़ गए, नाटे हैं, पतले हैं - मामूली शारीरिक कमियों से डिप्रेशन में चले गए हैं - खुद को खत्म कर लेने का मन है! रुक जाएं. हरनाम कौर की कहानी पढ़ लें. फिर अपने अंदर झांके. अपने दर्द को टटोलें. हरनाम की कहानी आपकी जिंदगी को नई दिशा दे सकती है. अचानक से आपका दर्द आपको कम मालूम पड़ने लगेगा.
हरनाम जब 11 साल की थीं तो वह पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रॉम से ग्रसित हो गईं. इसके कारण उनके शरीर पर बाल उगने लगे - दाढ़ी, छाती सब जगह. स्कूल में, समाज में हर जगह इस कारण से हरनाम को तंग किया जाने लगा. लड़के-लड़कियां सब कोई उनके लूक को लेकर कॉमेंट करते. हरनाम डिप्रेशन में जा चुकी थीं. आत्महत्या जैसे विचार हमेशा उनके दिमाग में चलते रहते थे.
एक दिन अपने बेडरुम में खुद को बंद कर हरनाम अकेलेपन से जंग लड़ रही थीं. तभी एक विचार ने उनकी पूरी जिंदगी बदल डाली. जीवन के सबसे कठिन दिनों से गुजर रहीं हरनाम कौर ने जीवन से लड़ने की ठान ली. उन्होंने खुद से कहा - जितनी ऊर्जा मैं खुद को खत्म करने में लगा रही हूं, उतनी ऊर्जा में मैं अपनी जिंदगी को नई दिशा दे सकती हूं. जीवन को बेहतर बना सकती हूं. खुद के लिए भी और उनके लिए भी जो शारीरिक कमी को लेकर कुंठा और निराशा में जीते हैं.