" अबे सुन ... तूने गेम ऑफ थ्रोन्स का नया एपिसोड देखा क्या? लीक हो गया है... भाई मैंने तो रात में 3 बजे ही देख लिया था....."
ये सुनने में तो किसी ऑफिस या कॉलेज के दोस्तों की आम बात लगती है, लेकिन इसका छुपा हुआ मतलब सिर्फ किसी एक सीरियल के बारे में बात करने से काफी ज्यादा है. अगर आपसे एक सवाल किया जाए कि ऐसा कितनी बार हुआ है कि देर रात तक आप अपने फोन या लैपटॉप पर कोई सीरियल या फिल्म देखते हैं? सिर्फ वीकएंड पर या वीकडे में भी?
अगर इसका जवाब है लगभग हर रोज तो यकीनन थकान के बाद भी आप अपनी नींद से आगे उस सीरियल को महत्व देते हैं. चलिए एक किस्सा बताती हूं. गुड़गांव में एक 26 साल का लड़का भागा-भागा एक दिन हॉस्पिटल पहुंचा. उसे डिप्रेशन हो रहा था. डॉक्टर ने कई तरह से सवाल पूछे और कई टेस्ट भी किए. नतीजा जो निकला वो शायद उस लड़के ने सोचा नहीं होगा.
लड़का एक बड़ी कंपनी में काम करता था. रोज 60-70 किलोमीटर अपने काम के कारण सफर करता था और 9 घंटे की जॉब भी करता था. घर आकर खाना खाकर उसकी सिर्फ एक ही आदत थी. अपना पसंदीदा टीवी सीरियल या फिल्म देखना. आसान सी दिखने वाली ये जिंदगी दरअसल एक बड़ी बीमारी को न्योता दे रही थी.
डॉक्टर ने जिस बीमारी का नाम बताया उसके शिकार शायद हमारे आस-पास मौजूद कई लोग हो सकते हैं. इतना ही नहीं शायद उसके शिकार हम भी हो सकते हैं. इस बीमारी को नाम दिया गया 'बिंज वॉचिंग एडिक्शन'. यानि अपनी नींद को ताक पर रखकर थकान के बावजूद देर रात तक जागकर लैपटॉप या फोन पर कुछ देखते रहना.
इस कारण क्या-क्या हो सकता है इसका अंदाजा भी आप नहीं लगा सकते... सबसे पहले तो आपको घबराहट होना शुरू होगी, ये अक्सर कुछ हफ्तों बाद ही होने लगती है. दिन भर में आपका रूटीन फिक्स होगा तो भी आपको लगेगा कि कब रात हो और आप आगे के सीरियल देखें. इसके कुछ दिनों बाद...
" अबे सुन ... तूने गेम ऑफ थ्रोन्स का नया एपिसोड देखा क्या? लीक हो गया है... भाई मैंने तो रात में 3 बजे ही देख लिया था....."
ये सुनने में तो किसी ऑफिस या कॉलेज के दोस्तों की आम बात लगती है, लेकिन इसका छुपा हुआ मतलब सिर्फ किसी एक सीरियल के बारे में बात करने से काफी ज्यादा है. अगर आपसे एक सवाल किया जाए कि ऐसा कितनी बार हुआ है कि देर रात तक आप अपने फोन या लैपटॉप पर कोई सीरियल या फिल्म देखते हैं? सिर्फ वीकएंड पर या वीकडे में भी?
अगर इसका जवाब है लगभग हर रोज तो यकीनन थकान के बाद भी आप अपनी नींद से आगे उस सीरियल को महत्व देते हैं. चलिए एक किस्सा बताती हूं. गुड़गांव में एक 26 साल का लड़का भागा-भागा एक दिन हॉस्पिटल पहुंचा. उसे डिप्रेशन हो रहा था. डॉक्टर ने कई तरह से सवाल पूछे और कई टेस्ट भी किए. नतीजा जो निकला वो शायद उस लड़के ने सोचा नहीं होगा.
लड़का एक बड़ी कंपनी में काम करता था. रोज 60-70 किलोमीटर अपने काम के कारण सफर करता था और 9 घंटे की जॉब भी करता था. घर आकर खाना खाकर उसकी सिर्फ एक ही आदत थी. अपना पसंदीदा टीवी सीरियल या फिल्म देखना. आसान सी दिखने वाली ये जिंदगी दरअसल एक बड़ी बीमारी को न्योता दे रही थी.
डॉक्टर ने जिस बीमारी का नाम बताया उसके शिकार शायद हमारे आस-पास मौजूद कई लोग हो सकते हैं. इतना ही नहीं शायद उसके शिकार हम भी हो सकते हैं. इस बीमारी को नाम दिया गया 'बिंज वॉचिंग एडिक्शन'. यानि अपनी नींद को ताक पर रखकर थकान के बावजूद देर रात तक जागकर लैपटॉप या फोन पर कुछ देखते रहना.
इस कारण क्या-क्या हो सकता है इसका अंदाजा भी आप नहीं लगा सकते... सबसे पहले तो आपको घबराहट होना शुरू होगी, ये अक्सर कुछ हफ्तों बाद ही होने लगती है. दिन भर में आपका रूटीन फिक्स होगा तो भी आपको लगेगा कि कब रात हो और आप आगे के सीरियल देखें. इसके कुछ दिनों बाद आपकी जिंदगी में उदासी आएगी. ज्यादातर चीजें आपको एक्साइट करना बंद कर देंगी, ज्यादातर लोग आपको पंसद नहीं आएंगे और सिर्फ कुछ ही ऐसी चीजें रह जाएंगी जिनकी वजह से आप खुश हो सकें. उसके कुछ दिन बाद आपको डिप्रेशन होने लगेगा. आपका गुस्सा, इमोशन, दुख सब कुछ बढ़ जाएगा और वो समय आपके लिए खतरनाक साबित होगा.
ये लक्षण मैं इसलिए अच्छे से बता सकती हूं क्योंकि किसी समय मेरी भी ऐसी ही हालत हुई थी. बिंज वॉचिंग का एडिक्शन बड़ी आसानी से हो सकता है. आपको पता भी नहीं चलेगा और ये आदत आपकी बीमारी में तब्दील हो जाएगी. वो समय जहां ऑनलाइन शो देखना लाइफस्टाइल का एक हिस्सा बन चुका है. वीकएंड पर मूवी मैराथन होती है और जितने हो सके उतने एपिसोड देखे जाते हैं उस समय अपनी सेहत से इस तरह का खिलवाड़ थोड़ा भारी पड़ेगा. तो बेहतरी इसी में है कि इस आदत को थोड़ा कम कर दिया जाए....
ये भी पढ़ें-
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.