इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि वर्षों पहले महात्मा गांधी ने अपने दक्षिण अफ्रीकी प्रवास के दौरान फुटबॉल को रंगभेद के खिलाफ लड़ाई का हथियार बनाया था. उन्होंने तब जोहांसबर्ग और प्रिटोरिया में पैसिव रिसिस्टर्स नाम का एक फुटबॉल क्लब भी बनाया. आज जबकि उस घटना को बीते हुए सौ से भी ज्यादा साल हो गए, जर्मनी के एक फुटबॉल क्लब ने रंगभेद के खिलाफ लड़ाई को एक और रोचक आयाम दे दिया है.
अश्वेत साथी के समर्थन में पूरी टीम हुई 'काली'
जर्मनी का एक फुटबॉल क्लब है डेंस्टर एसवी. उसके दो खिलाड़ियों इमाद और एमार के साथ ईस्टर के दिन मारपीट हुई. दोनों सूडान से आए रिफ्यूजी हैं. कुछ लोगों ने इन दोनों खिलाड़ियों पर नस्लभेदी टिप्पणी की और मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इमाद को जमीन पर गिराकर खूब पीटा गया.
घटना के बारे जब क्लब के साथी खिलाड़ियों को मालूम हुआ तो उन्होंने रंगभेद का विरोध करने के लिए एक नायाब तरकीब निकाला. क्लब की ओर से उनके ऑफिसियल फेसबुक पेज पर एक तस्वीर पोस्ट की गई जिसमें सभी खिलाड़ियों के चेहरे काले रंग से रंगे हुए थे. दरअसल तस्वीर 2015 की थी. इस तस्वीर में सभी खिलाड़ियों के चेहरों को फोटोशॉप के जरिए काला किया गया और पोस्ट कर दिया गया.
क्लब के सभी खिलाड़ी फोटोसेशन के बाद अश्वेत नजर आ रहे हैं. |
क्लब के कोच सोएंके क्रीबिक ने कहा, 'हम लोगों को बताना चाहते हैं कि इमाद और एमार हमारी टीम का अहम हिस्सा हैं. वे कोई अल्पसंख्यक नहीं हैं जिसके साथ आप हिंसा करें और अपनी व्यक्तिगत भड़ास उन पर निकालें. इस पोस्ट को अब तक 18000 से ज्यादा लोग लाइक कर चुके हैं.
इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि वर्षों पहले महात्मा गांधी ने अपने दक्षिण अफ्रीकी प्रवास के दौरान फुटबॉल को रंगभेद के खिलाफ लड़ाई का हथियार बनाया था. उन्होंने तब जोहांसबर्ग और प्रिटोरिया में पैसिव रिसिस्टर्स नाम का एक फुटबॉल क्लब भी बनाया. आज जबकि उस घटना को बीते हुए सौ से भी ज्यादा साल हो गए, जर्मनी के एक फुटबॉल क्लब ने रंगभेद के खिलाफ लड़ाई को एक और रोचक आयाम दे दिया है.
अश्वेत साथी के समर्थन में पूरी टीम हुई 'काली'
जर्मनी का एक फुटबॉल क्लब है डेंस्टर एसवी. उसके दो खिलाड़ियों इमाद और एमार के साथ ईस्टर के दिन मारपीट हुई. दोनों सूडान से आए रिफ्यूजी हैं. कुछ लोगों ने इन दोनों खिलाड़ियों पर नस्लभेदी टिप्पणी की और मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इमाद को जमीन पर गिराकर खूब पीटा गया.
घटना के बारे जब क्लब के साथी खिलाड़ियों को मालूम हुआ तो उन्होंने रंगभेद का विरोध करने के लिए एक नायाब तरकीब निकाला. क्लब की ओर से उनके ऑफिसियल फेसबुक पेज पर एक तस्वीर पोस्ट की गई जिसमें सभी खिलाड़ियों के चेहरे काले रंग से रंगे हुए थे. दरअसल तस्वीर 2015 की थी. इस तस्वीर में सभी खिलाड़ियों के चेहरों को फोटोशॉप के जरिए काला किया गया और पोस्ट कर दिया गया.
क्लब के सभी खिलाड़ी फोटोसेशन के बाद अश्वेत नजर आ रहे हैं. |
क्लब के कोच सोएंके क्रीबिक ने कहा, 'हम लोगों को बताना चाहते हैं कि इमाद और एमार हमारी टीम का अहम हिस्सा हैं. वे कोई अल्पसंख्यक नहीं हैं जिसके साथ आप हिंसा करें और अपनी व्यक्तिगत भड़ास उन पर निकालें. इस पोस्ट को अब तक 18000 से ज्यादा लोग लाइक कर चुके हैं.
आज जब पूरे यूरोप में प्रवासियों को लेकर एक तीखी बहस छिड़ी हुई है. ऐसे में निश्चित रूप से इस क्लब का ये कदम नस्लभेद की बात करने वाले लोगों के लिए जवाब है. वैसे, फुटबॉल की दुनिया में पहले भी रंगभेद के कई मामले सामने आते रहे हैं. 2013 में इटली के एक क्लब रियोवेगियो ने भी ऐसा ही कदम उठाकर अपने एक खिलाड़ी का समर्थन किया था.
ऐसे ही करीब दो साल पहले 2014 में भी स्पेन के फुटबॉल क्लब बार्सिलोना के एक मैच के दौरान बहुत चर्चित वाक्या हुआ था. बार्सिलोना की ओर से ब्राजील के खिलाड़ी डैनी एल्वेस मैदान में थे. तभी दर्शकों में से किसी ने मैदान पर एल्वेस की ओर केला फेंका और रंगभेदी टिप्पणी की. लेकिन एल्वेस ने उसका जवाब बेहद मजेदार तरीके से दिया. उन्होंने केले को उठाया और कॉर्नर किक लेने से पहले सबके सामने उसे खाया भी.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.