हम सबने गोल्फ के बारे में सुना है. टाइगर वुड्स के नाम से कई लोग वाकिफ होंगे. फिर भी इस खेल को लेकर कोई खास उत्सुकता हमारे देश में नहीं है. गोल्फ अभिजात्य वर्ग का खेल है. हमारे बीच गोल्फ को लेकर यही धारणा है. लेकिन तब क्या कहेंगे, जब बताया जाएगा कि हरियाणा के एक गांव से एक दूधवाले का बेटा गोल्फ में लगातार दो वर्ल्ड जूनियर खिताब अपने नाम कर चुका है. इसे आप क्या कहेंगे. चमत्कार, प्रतिभा या कुछ और...
शुभम जगलान ने अमेरिका में जो कमाल किया है, उससे भारत में गोल्फ की तस्वीर कितनी बदलेगी यह कहना अभी मुश्किल है. लेकिन शुभम की सफलता से इस धारणा को जरूर तोड़ने में मदद मिलेगी कि गोल्फ केवल संपन्न वर्ग के लोगों का खेल है.
शुभम का सफर
शुभम हरियाणा के पानीपत के इसराना गांव के रहने वाले हैं. करीब पांच-छह साल पहले उनके गांव में एक NRI ने एक गोल्फ एकेडमी शुरू की. कुछ ही दिनों बाद एकेडमी बंद हो गई लेकिन तब तक शुभम अपनी मंजिल पहचान चुके थे. एकेडमी बंद होने के बाद भी शुभम ने अपना अभ्यास जारी रखा और इसके लिए यूट्यूब की मदद ली. कुछ दिन बाद उनके पिता ने अपने बेटे का गोल्फ खेलने का सपना पूरा करने के लिए दिल्ली का रूख किया. पिछले तीन सालों में शुभम ने गोल्फ के कई खिताब अपने नाम किए हैं.
क्या भारत में बदल रही है गोल्फ की तस्वीर?
कई दूसरी खेलों की तरह गोल्फ भारत के लिए बहुत अंजान नहीं है. हां. इसको लेकर रूचि जरूर कम है. लेकिन पिछले एक दशक में भारत ने कई ऐसे गोल्फ खिलाड़ी तो दिए ही हैं जिन पर गर्व किया जा सकता है. फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर एथलीट मिल्खा सिंह के बेटे जीव मिल्खा सिंह सहित ज्योति रंधावा, अर्जुन अटवाल, राहिल गंगजी या फिर हाल के वर्षों में उभरे अनिर्बान लाहिड़ी ऐसे उदाहरण हैं. महिला खिलाड़ियों में भी वाणी कपूर, शर्मिला निकोलेट कुछ चुनिंदा नाम मौजूद हैं.
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