पिछले साल सचिन तेंदुलकर की ऑटोबायोग्राफी 'प्लेइंग इट माई वे' आई. उस किताब में सचिन तेंदुलकर ने बताया कि वह कपिलदेव के कोचिंग कार्यकाल से बहुत खुश नहीं थे. बतौर कोच कपिल ने उन्हें निराश किया. फिर कपिल का बयान आया कि यह सचिन का निजी विचार हो सकता है और वे उसका सम्मान करते हैं. कपिल ने अब जो बात कही है उसे पुरानी घटना से जोड़ना अतिश्योक्ति लग सकती है. लेकिन पहले भी सचिन को लेकर कपिल का बयान और कपिल को लेकर सचिन की बात थोड़ी खींचतान वाली ही रही है. इसलिए जिक्र जरूरी था.
कपिल ने क्या कहा
कपिलदेव ने यह कहकर नई बहस छेड़ दी है कि सचिन को डबल, ट्रिपल या 400 रन बनाना नहीं आता था. बकौल कपिल, 'गलत मत समझिए लेकिन मुझे लगता है कि सचिन ने अपनी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं किया. मुझे हमेशा लगता है कि उन्होंने जो हासिल किया है, वह उससे और ज्यादा कर सकते थे. वह बॉम्बे क्रिकेट वाली स्टाइल में फंसे रह गए. उन्हें बॉम्बे के क्रिकेटरों से इतर विवियन रिचर्ड्स जैसे बल्लेबाजों के साथ ज्यादा वक्त बिताना चाहिए था.'
कपिल के अनुसार सचिन अच्छे क्रिकेट खिलाड़ी रहे. लेकिन शतक बनाकर संतुष्ट हो जाते थे. उन्हें नहीं पता था कि उसे डबल, ट्रिपल या 400 रनों में कैसे बदला जाए. विवियन की तरह सचिन क्रूर किस्म के खिलाड़ी नहीं बन सके. कपिल ने कहा कि अगर वह सचिन के साथ और ज्यादा वक्त बिताते तो वे उन्हें विरेंद्र सहवाग की शैली में खेलने की सलाह देते.
पहले भी सचिन पर निशाना साध चुके हैं कपिल
सचिन तेंदुलकर अपने क्रिकेट करियर के आखिरी दिनों में बेहद खराब फॉर्म से जूझ रहे थे और प्रशंसकों के निशाने पर थे. तब कपिलदेव ने भी सचिन को संन्यास लेने की सलाह दी थी. वैसे, करियर के आखिर में स्वयं कपिलदेव किस तरह संघर्ष कर रहे थे. इसकी एक बानगी देखिए. कपिल अपने आखिरी 105 वनडे मैचों में 50 रनों का आंकड़ा भी नहीं छू सके. यही नहीं अपने आखिरी 50 मैचों में वह एक पारी में कभी भी 4 विकेट हासिल नहीं कर सके. कपिल ने 225 एकदिवसीय मैच खेले और अपने...
पिछले साल सचिन तेंदुलकर की ऑटोबायोग्राफी 'प्लेइंग इट माई वे' आई. उस किताब में सचिन तेंदुलकर ने बताया कि वह कपिलदेव के कोचिंग कार्यकाल से बहुत खुश नहीं थे. बतौर कोच कपिल ने उन्हें निराश किया. फिर कपिल का बयान आया कि यह सचिन का निजी विचार हो सकता है और वे उसका सम्मान करते हैं. कपिल ने अब जो बात कही है उसे पुरानी घटना से जोड़ना अतिश्योक्ति लग सकती है. लेकिन पहले भी सचिन को लेकर कपिल का बयान और कपिल को लेकर सचिन की बात थोड़ी खींचतान वाली ही रही है. इसलिए जिक्र जरूरी था.
कपिल ने क्या कहा
कपिलदेव ने यह कहकर नई बहस छेड़ दी है कि सचिन को डबल, ट्रिपल या 400 रन बनाना नहीं आता था. बकौल कपिल, 'गलत मत समझिए लेकिन मुझे लगता है कि सचिन ने अपनी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं किया. मुझे हमेशा लगता है कि उन्होंने जो हासिल किया है, वह उससे और ज्यादा कर सकते थे. वह बॉम्बे क्रिकेट वाली स्टाइल में फंसे रह गए. उन्हें बॉम्बे के क्रिकेटरों से इतर विवियन रिचर्ड्स जैसे बल्लेबाजों के साथ ज्यादा वक्त बिताना चाहिए था.'
कपिल के अनुसार सचिन अच्छे क्रिकेट खिलाड़ी रहे. लेकिन शतक बनाकर संतुष्ट हो जाते थे. उन्हें नहीं पता था कि उसे डबल, ट्रिपल या 400 रनों में कैसे बदला जाए. विवियन की तरह सचिन क्रूर किस्म के खिलाड़ी नहीं बन सके. कपिल ने कहा कि अगर वह सचिन के साथ और ज्यादा वक्त बिताते तो वे उन्हें विरेंद्र सहवाग की शैली में खेलने की सलाह देते.
पहले भी सचिन पर निशाना साध चुके हैं कपिल
सचिन तेंदुलकर अपने क्रिकेट करियर के आखिरी दिनों में बेहद खराब फॉर्म से जूझ रहे थे और प्रशंसकों के निशाने पर थे. तब कपिलदेव ने भी सचिन को संन्यास लेने की सलाह दी थी. वैसे, करियर के आखिर में स्वयं कपिलदेव किस तरह संघर्ष कर रहे थे. इसकी एक बानगी देखिए. कपिल अपने आखिरी 105 वनडे मैचों में 50 रनों का आंकड़ा भी नहीं छू सके. यही नहीं अपने आखिरी 50 मैचों में वह एक पारी में कभी भी 4 विकेट हासिल नहीं कर सके. कपिल ने 225 एकदिवसीय मैच खेले और अपने आखिरी 25 मैचों में वह केवल 11.50 की औसत से रन बना सके और गेंदबाजी औरस 43.31 की रही.
सचिन के रिकॉर्ड
यह सही है कि सचिन के नाम ज्यादा लंबी पारियां नहीं हैं. लेकिन वनडे में दोहरा शतक लगाने की परंपरा की शुरुआत उनके बल्ले से ही हुई जब उन्होंने 2010 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 200 रनों की नाबाद पारी खेली. टेस्ट मैचों में भी उनके बल्ले से छह दोहरे शतक निकले. उन्होंने जिन टीमों के खिलाफ दोहरे शतक लगाए हैं उनमें ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और श्रीलंका जैसी टीमें शामिल हैं. इसके अलावा इंटरनेशनल क्रिकेट में 100 शतक का कीर्तिमान भी दर्ज है. जहां तक विवियन रिचर्ड्स जैसा निर्मम खेल खेलने की बात है तो शेन वार्न के सपने में सचिन के आने की बात को आप कहां रखेंगे?
हमने सचिन तेंदुलकर को भले ही 'क्रिकेट के भगवान' का दर्जा दे दिया हो. लेकिन सवाल तो भगवान पर भी उठते हैं. फिर सचिन कैसे बचे रह सकते हैं. वह भले ही क्रिकेट के हर प्रारूप को अलविदा कह चुके हैं लेकिन उनके खेल को लेकर विश्वलेषण जारी है और आगे भी होगा. वैसे यह भी गौर करने वाली बात है कि सचिन के संन्यास के बाद भी उनके खेल को लेकर चर्चा हो रही है, यह बात ही उन्हें उन्हें और महान बना देती है.
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