वेस्टइंडीज में 2007 में हुए वर्ल्ड कप के बाद राहुल द्रविड का कप्तानी पद से हटना तय था और बीसीसीआई टीम के नेतृत्व के लिए दूसरा चेहरा तलाश रही थी. सचिन तेंदुलकर कप्तान बनने को तैयार नहीं थे. और दुर्भाग्यवश वीरेंद्र सहवाग का फॉर्म तब पटरी से उतरा हुआ था. ऐसे में महेंद्र सिहं धोनी बेहतर विकल्प के तौर पर उभरे. धोनी का उभरना क्या सहवाग के साथ उनके कथित अनबन की शुरुआत थी. यह सवाल आज फिर महत्वपूर्ण हो गया है. क्योंकि दोनों खिलाड़ियों के बीच मनमुटाव की अटकलों को एक बार फिर हवा मिल गई है.
एक न एक दिन तो हर क्रिकेटर रिटायर होता है. लेकिन कोई दो राय नहीं कि वीरेंद्र सहवाग जैसा दिग्गज खिलाड़ी जिस तरीके से रिटायर हुआ, उसमें कहीं न कहीं एक टीस है. उन्हें निश्चित तौर पर और बेहतर विदाई मिलनी चाहिए थी. खैर, देर से ही सही बीसीसीआई को सहवाग को सम्मानित करने की बात याद आ गई. लेकिन चौथे टेस्ट मैच से पूर्व सहवाग को सम्मानित करने के लिए आयोजित यह छोटा सा कार्यक्रम अब दूसरे कारणों से चर्चा में है.
सहवाग ने अपने शानदार करियर के लिए साथी खिलाड़ियों, कप्तानों, फिजियो और ट्रेनर्स तक को शुक्रिया कहा लेकिन महेंद्र सिंह धोनी का नाम भूल गए जिसकी कप्तानी में उन्होंने छह साल से ज्यादा का समय बिताया. अब वे वाकई भूल गए या जानबूझकर धोनी का नाम लेना उन्होंने जरूरी नहीं समझा, इसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. सहवाग रिटायरमेंट ले चुके हैं. इसलिए ऐसा लगता नहीं कि आज के इंडियन क्रिकेट पर इसका कोई खास फर्क पड़ेगा लेकिन धोनी के साथ उनके रिश्ते सामान्य थे या नहीं, यह प्रश्न अब हमेशा पूछे जाएंगे.
वे 'सबूत' जिन्होंने हमेशा उठाए धोनी-सहवाग के रिश्ते पर सवाल-
1. याद कीजिए, दक्षिण अफ्रीका में 2007-08 में खेला पहला पहला टी-20 वर्ल्ड कप. किसी बड़े टूर्नामेंट में कप्तानी करने का धोनी का यह पहला अनुभव था. भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर फाइनल में जगह बनाई. लेकिन फाइनल मैच में धोनी ने सहवाग को टीम में शामिल न कर यूसुफ पठान को मौका...
वेस्टइंडीज में 2007 में हुए वर्ल्ड कप के बाद राहुल द्रविड का कप्तानी पद से हटना तय था और बीसीसीआई टीम के नेतृत्व के लिए दूसरा चेहरा तलाश रही थी. सचिन तेंदुलकर कप्तान बनने को तैयार नहीं थे. और दुर्भाग्यवश वीरेंद्र सहवाग का फॉर्म तब पटरी से उतरा हुआ था. ऐसे में महेंद्र सिहं धोनी बेहतर विकल्प के तौर पर उभरे. धोनी का उभरना क्या सहवाग के साथ उनके कथित अनबन की शुरुआत थी. यह सवाल आज फिर महत्वपूर्ण हो गया है. क्योंकि दोनों खिलाड़ियों के बीच मनमुटाव की अटकलों को एक बार फिर हवा मिल गई है.
एक न एक दिन तो हर क्रिकेटर रिटायर होता है. लेकिन कोई दो राय नहीं कि वीरेंद्र सहवाग जैसा दिग्गज खिलाड़ी जिस तरीके से रिटायर हुआ, उसमें कहीं न कहीं एक टीस है. उन्हें निश्चित तौर पर और बेहतर विदाई मिलनी चाहिए थी. खैर, देर से ही सही बीसीसीआई को सहवाग को सम्मानित करने की बात याद आ गई. लेकिन चौथे टेस्ट मैच से पूर्व सहवाग को सम्मानित करने के लिए आयोजित यह छोटा सा कार्यक्रम अब दूसरे कारणों से चर्चा में है.
सहवाग ने अपने शानदार करियर के लिए साथी खिलाड़ियों, कप्तानों, फिजियो और ट्रेनर्स तक को शुक्रिया कहा लेकिन महेंद्र सिंह धोनी का नाम भूल गए जिसकी कप्तानी में उन्होंने छह साल से ज्यादा का समय बिताया. अब वे वाकई भूल गए या जानबूझकर धोनी का नाम लेना उन्होंने जरूरी नहीं समझा, इसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. सहवाग रिटायरमेंट ले चुके हैं. इसलिए ऐसा लगता नहीं कि आज के इंडियन क्रिकेट पर इसका कोई खास फर्क पड़ेगा लेकिन धोनी के साथ उनके रिश्ते सामान्य थे या नहीं, यह प्रश्न अब हमेशा पूछे जाएंगे.
वे 'सबूत' जिन्होंने हमेशा उठाए धोनी-सहवाग के रिश्ते पर सवाल-
1. याद कीजिए, दक्षिण अफ्रीका में 2007-08 में खेला पहला पहला टी-20 वर्ल्ड कप. किसी बड़े टूर्नामेंट में कप्तानी करने का धोनी का यह पहला अनुभव था. भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर फाइनल में जगह बनाई. लेकिन फाइनल मैच में धोनी ने सहवाग को टीम में शामिल न कर यूसुफ पठान को मौका देने का फैसला किया.
2. इसके बाद कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज के मैचों में भी धोनी ने सहवाग के चोटिल होने की बात कह कर बाहर रखा. फाइनल में सहवाग की जगह रोबिन उथप्पा खेलने उतरे. हालांकि सहवाग ने चोटिल होने की बात से इंकार किया. दोनों खिलाड़ियों के अलग-अलग बयानों ने इस 'अनबन' को और हवा दी.
3. इसके बाद 2009 टी-20 वर्ल्ड कप में सहवाग के कंधे में चोट की बात सामने आई. इसे देखते हुए तब धोनी रोहित शर्मा को मौका देने के मूड में थे. सबसे ज्यादा हैरानी तब धोनी के एक बयान से हुई थी. पत्रकारों द्वारा सहवाग की फिटनेस के बारे में सवाल पूछे जाने पर धोनी ने कहा कि आपको यह सवाल सहवाग के फिजियो से करना चाहिए. फिर ऐसी खबरें उड़ी कि टीम में मतभेद हैं. आखिरकार धोनी ने बड़ा फैसला लिया और टीम की एकजुटता दिखाने के लिए पहले मैच से पूर्व पूरी टीम के साथ मीडिया से सामने आए और टीम में मतभेद से जुड़ी खबरों को अफवाह करार दिया. हालांकि टूर्नामेंट के बीच में ही सहवाग सर्जरी की बात कर कर भारत लौट आए.
4. अक्टूबर-2009 में सहवाग ने यह कहकर सबको हैरान कर दिया कि वह उप-कप्तान नहीं बनना चाहते लेकिन कप्तान बनने के लिए तैयार हैं. माना गया कि सहवाग ने यह बयान धोनी से नाराजगी के कारण दिया है. हालांकि, इसके बाद सहवाग लंबे समय तक उप-कप्तान के तौर पर टीम में रहे.
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