आईपीएल (इंडियन प्रीमियर लीग) के दसवें सीजन के लिए सोमवार को बंगलुरु में खिलाड़ियों की नीलामी हुई. आपको बता दें, आईपीएल शुरूआत पांच अप्रैल से हो रही है और फाइनल मुकाबला 21 मई को खेला जाएगा. यह टूर्नामेंट 47 दिनों तक चलेगा और 10 अलग-अलग स्थानों पर मैचों का आयोजन किया जाएगा. यानी 47 दिन फुल ऑन इंटरटेनमेंट, पर इसी बीच एक चीज है जो हमें काफी परेशान करती है और जेंटलमैन गेम कहे जाने वाले क्रिकेट को हल्का करती है. वो है सट्टा. सट्टेबाजी और फिक्सिंग का नाम आते ही हमारे जहन में वो काला दिन याद आता है जब IPL के दामन में दाग लगा था. 16 मई 2013 भारतीय क्रिकेट के लिए वो काला दिन है जिसने पूरे क्रिकेट जगत को हिलाकर रख दिया। दिल्ली पुलिस ने राजस्थान रॉयल्स के 3 खिलाड़ियों- श्रीसंत, अंकित चौहान और अजीत चंदेला को स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था. फिक्सिंग की फांस में फंसने के बाद काफी लंबे समय तक इन खिलाड़ियों को जेल की हवा खानी पड़ी थी. इस मामले को सही जांच करने के लिए मुद्गल कमेटी बनाई गई. जिन्होंने इस मामले पर फैसला सुनाया.
आइए अब आपको बताते हैं कैसे होता है इस सट्टे का जन्म...
क्रिकेट में सट्टे का जन्म वहां से होता है, जब हम कोई शर्त लगाते हैं. कोई शर्त में कहता है कि आज इंडिया जीतेगा, तो कोई कहता है बुरी तरह हारेगा और अपनी बात को सही और दूसरे की बात को गलत ठहराते हुए लोग तब ये ही कह उठते हैं- तो हो जाए पचास-पचास रुपए की शर्त. यह शर्त ही सट्टे का दूसरा नाम है. पहले सट्टा इसी तरह घरों या दफ्तरों में मस्ती में खेला जाता था, लेकिन 80 के दशक में जब अंडरवर्ल्ड ने इसमें दिलचस्पी ली, तो यह एक पेशा बन गया. आज इसमें लाखों का नहीं, करोड़ों का बिजनेस है.
'सेशन एक पैसे का है, 'मैने चव्वनी खा ली है 'डिब्बे की आवाज कितनी है 'तेरे पास कितने लाइन है, 'आज फेवरिट कौन है, 'लाइन को लंबी पारी चाहिए'. कहने को ये सिर्फ चंद ऊटपंटाग अल्फाज़ लगे, लेकिन इनके बोलने में करोड़ों का लेनदेन हो रहा है. आइए...
आईपीएल (इंडियन प्रीमियर लीग) के दसवें सीजन के लिए सोमवार को बंगलुरु में खिलाड़ियों की नीलामी हुई. आपको बता दें, आईपीएल शुरूआत पांच अप्रैल से हो रही है और फाइनल मुकाबला 21 मई को खेला जाएगा. यह टूर्नामेंट 47 दिनों तक चलेगा और 10 अलग-अलग स्थानों पर मैचों का आयोजन किया जाएगा. यानी 47 दिन फुल ऑन इंटरटेनमेंट, पर इसी बीच एक चीज है जो हमें काफी परेशान करती है और जेंटलमैन गेम कहे जाने वाले क्रिकेट को हल्का करती है. वो है सट्टा. सट्टेबाजी और फिक्सिंग का नाम आते ही हमारे जहन में वो काला दिन याद आता है जब IPL के दामन में दाग लगा था. 16 मई 2013 भारतीय क्रिकेट के लिए वो काला दिन है जिसने पूरे क्रिकेट जगत को हिलाकर रख दिया। दिल्ली पुलिस ने राजस्थान रॉयल्स के 3 खिलाड़ियों- श्रीसंत, अंकित चौहान और अजीत चंदेला को स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था. फिक्सिंग की फांस में फंसने के बाद काफी लंबे समय तक इन खिलाड़ियों को जेल की हवा खानी पड़ी थी. इस मामले को सही जांच करने के लिए मुद्गल कमेटी बनाई गई. जिन्होंने इस मामले पर फैसला सुनाया.
आइए अब आपको बताते हैं कैसे होता है इस सट्टे का जन्म...
क्रिकेट में सट्टे का जन्म वहां से होता है, जब हम कोई शर्त लगाते हैं. कोई शर्त में कहता है कि आज इंडिया जीतेगा, तो कोई कहता है बुरी तरह हारेगा और अपनी बात को सही और दूसरे की बात को गलत ठहराते हुए लोग तब ये ही कह उठते हैं- तो हो जाए पचास-पचास रुपए की शर्त. यह शर्त ही सट्टे का दूसरा नाम है. पहले सट्टा इसी तरह घरों या दफ्तरों में मस्ती में खेला जाता था, लेकिन 80 के दशक में जब अंडरवर्ल्ड ने इसमें दिलचस्पी ली, तो यह एक पेशा बन गया. आज इसमें लाखों का नहीं, करोड़ों का बिजनेस है.
'सेशन एक पैसे का है, 'मैने चव्वनी खा ली है 'डिब्बे की आवाज कितनी है 'तेरे पास कितने लाइन है, 'आज फेवरिट कौन है, 'लाइन को लंबी पारी चाहिए'. कहने को ये सिर्फ चंद ऊटपंटाग अल्फाज़ लगे, लेकिन इनके बोलने में करोड़ों का लेनदेन हो रहा है. आइए आपको बताते हैं इस खेल की पूरी कहानी...
सट्टे के खेल में कोड वर्ड का इस्तेमाल होता है. सट्टे पर पैसे लगाने वाले को फंटर कहते हैं. जो पैसे का हिसाब किताब रखता है, उसे बुकी कहा जाता है. सट्टा लगाने वाले फंटर 2 शब्द खाया और लगाया का इस्तेमाल करते हैं. यानी किसी टीम को फेवरिट माना जाता है तो उस पर लगे दांव को लगाना कहते हैं ऐसे में दूसरी टीम पर दांव लगाना हो तो उसे खाना कहते हैं. इस खेल में डिब्बा अहम भूमिका निभाता है. डिब्बा मोबाइल का वह कनेक्शन है, जो मुख्य सटोरियों से फंटर को कनेक्शन देते हैं. जिस पर हर बॉल का रेट बताया जाता है. डिब्बे का कनेक्शन एक खास नंबर होता है, जिसे डायल करते ही उस नंबर पर कमेंट्री शुरू हो जाती है. सट्टा आईपीएल मैच में 2 सेशन में लगता है. दोनों सेशन 10-10 ओवर के होते हैं.
डिब्बे पर अगर किसी टीम को फेवरेट मानकर उसका रेट 80-83 आता है तो इसका मतलब यह है कि फेवरेट टीम पर 80 लगाओगे तो 1 लाख रुपए मिलेंगे और दूसरी टीम पर 83 लगाओगे तो 1 लाख रुपए मिलेंगे.
सट्टे के खेल में कोड वर्ड का इस्तेमाल होता है. सट्टे पर पैसे लगाने वाले को फंटर कहते हैं. जो पैसे का हिसाब किताब रखता है, उसे बुकी कहा जाता है. सट्टा लगाने वाले फंटर 2 शब्द खाया और लगाया का इस्तेमाल करते हैं. यानी किसी टीम को फेवरिट माना जाता है तो उस पर लगे दांव को लगाना कहते हैं ऐसे में दूसरी टीम पर दांव लगाना हो तो उसे खाना कहते हैं.
एक लाख को एक पैसा, 50 हजार को अठन्नी, 25 हजार को चवन्नी कहा जाता है. अगर किसी ने दांव लगा दिया और वह कम करना चाहता है तो फोन कर एजेंट को 'मैंने चवन्नी खा ली' कहना होता है. खास बात यह है कि करोड़ों के इस बिजनेस में खर्चा बहुत ज्यादा नहीं है. बस कुछ टीवी सेट, लैपटॉप और मोबाइल फोन खरीदने पड़ते हैं. मोबाइल कनेक्शन हमेशा अलग-अलग नाम से लिए जाते हैं, जो अमूमन अनलिमिटेड स्कीम वाले होते हैं. ये मोबाइल नंबर बुकी और पंटर, हर मैच या टूर्नामेंट के बाद बदल देते हैं, ताकि पुलिस उन्हें ट्रैप न कर सके.
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