कभी भारतीय बल्लेबाजों की ताक़त माने जाने वाली स्पीन गेंदबाजी हालिया दौर में भारत के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है. टेस्ट मैच के तीसरे ही दिन ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 333 रन से हरा दिया, इस मैच में भारत के 20 विकेटों में से 17 स्पिन गेंदबाजों ने लिया. ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर स्टीव ओकीफे ने 12 जबकि नाथन लियोन ने 5 विकेट झटके. इस मैच में भारत ने भारत में किसी टेस्ट की दोनों परियों को मिला कर सबसे कम स्कोर का अनचाहा रिकॉर्ड भी बना डाला. भारतीय टीम दोनों पारियां मिला कर कुल 212 ही बना सकी.
स्पिन को मदद करने वाली पिचों पर भारत ने पिछले छह परियों में 201, 200, 215 और 173 (साउथ अफ्रीका के खिलाफ), 105 और 107 (ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में) रन बनाये हैं, इन आंकड़ों से इस बात का अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है की भारत को स्पिन गेंदबाजी किस कदर डरा रही है. जिस टीम का मुख्य कोच अनिल कुंबले जैसा महान स्पिन गेंदबाज हो उस टीम का ऐसा प्रदर्शन हैरत में डालता है. हालाँकि, भारतीय स्पिन गेंदबाजों के अच्छे प्रदर्शन ने भारत को 2012 में इंग्लैंड के खिलाफ हार के बाद अभी तक अजेय रखा था. आज मिली हार से पहले भारत पिछले 20 मैचों में अजेय रहा है. 2012 में इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज हार का कारण भी भारतीय बल्लेबाजों के घुटने टेकना ही बना था, तब इंग्लैंड के स्पिनर मोंटी पनेसर और ग्रीम स्वान ने भारतीय बल्लेबाजों के पसीने छुड़ा दिए थे.
अभी कुछ सालों पहले तक भारतीय बल्लेबाज स्पिन गेंदबाजी को सबसे बेहतर ढंग से खेलने के लिए जाने जाते थे. दौर चाहे सुनील गावस्कर का हो या सचिन तेंदुलकर, वी वी एस लक्ष्मण, राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली जैसे भारतीय बल्लेबाजों का, इनका सामना करना किसी भी स्पिन गेंदबाज के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था. भारतीय बल्लेबाजों का खौफ किस कदर गेंदबाजों के मन में रचा बसा था इसका अंदाज़ा...
कभी भारतीय बल्लेबाजों की ताक़त माने जाने वाली स्पीन गेंदबाजी हालिया दौर में भारत के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है. टेस्ट मैच के तीसरे ही दिन ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 333 रन से हरा दिया, इस मैच में भारत के 20 विकेटों में से 17 स्पिन गेंदबाजों ने लिया. ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर स्टीव ओकीफे ने 12 जबकि नाथन लियोन ने 5 विकेट झटके. इस मैच में भारत ने भारत में किसी टेस्ट की दोनों परियों को मिला कर सबसे कम स्कोर का अनचाहा रिकॉर्ड भी बना डाला. भारतीय टीम दोनों पारियां मिला कर कुल 212 ही बना सकी.
स्पिन को मदद करने वाली पिचों पर भारत ने पिछले छह परियों में 201, 200, 215 और 173 (साउथ अफ्रीका के खिलाफ), 105 और 107 (ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में) रन बनाये हैं, इन आंकड़ों से इस बात का अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है की भारत को स्पिन गेंदबाजी किस कदर डरा रही है. जिस टीम का मुख्य कोच अनिल कुंबले जैसा महान स्पिन गेंदबाज हो उस टीम का ऐसा प्रदर्शन हैरत में डालता है. हालाँकि, भारतीय स्पिन गेंदबाजों के अच्छे प्रदर्शन ने भारत को 2012 में इंग्लैंड के खिलाफ हार के बाद अभी तक अजेय रखा था. आज मिली हार से पहले भारत पिछले 20 मैचों में अजेय रहा है. 2012 में इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज हार का कारण भी भारतीय बल्लेबाजों के घुटने टेकना ही बना था, तब इंग्लैंड के स्पिनर मोंटी पनेसर और ग्रीम स्वान ने भारतीय बल्लेबाजों के पसीने छुड़ा दिए थे.
अभी कुछ सालों पहले तक भारतीय बल्लेबाज स्पिन गेंदबाजी को सबसे बेहतर ढंग से खेलने के लिए जाने जाते थे. दौर चाहे सुनील गावस्कर का हो या सचिन तेंदुलकर, वी वी एस लक्ष्मण, राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली जैसे भारतीय बल्लेबाजों का, इनका सामना करना किसी भी स्पिन गेंदबाज के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था. भारतीय बल्लेबाजों का खौफ किस कदर गेंदबाजों के मन में रचा बसा था इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विश्व के सर्वकालिक महान गेंदबाजों में शुमार शेन वार्न ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उनके सपने में भी सचिन तेंदुलकर उनके सर के ऊपर से छक्के लगाते नजर आते हैं. वार्न की इस बात का समर्थन आकड़ें भी करते हैं, वार्न ने जहाँ विश्व के सभी पिचों पर शानदार प्रदर्शन किया था तो वहीं स्पिन को मदद करने वाली भारतीय विकेट पर उन्हें एक एक विकेट के लिए जूझना पड़ा था. शेन वार्न का करियर एवरेज जहाँ 25.49 और स्ट्राइक रेट 57.37 का था तो वहीं भारत के खिलाफ एवरेज 47.18 जबकि स्ट्राइक रेट 91.27 का था. वार्न भारत के खिलाफ 14 मैचों में 43 विकेट ही ले सके थे.
क्यों भारतीय बल्लेबाज स्पिन के खिलाफ असहज?
वर्तमान समय में भारत के बल्लेबाजों के स्पिन खेलने में असहजता के पीछे एक कारण भारत के घरेलू मैचों में स्तरीय स्पिनरों का न होना भी है. आईपीएल और टी20 के टूर्नामेंट शुरू हो जाने के कारण आज ज्यादातर गेंदबाज विकेट लेने से ज्यादा किफायती गेंदबाजी की कोशिश करते हैं यही कारण है अब रणजी मैचों में भी गेंदबाज बहुत ज्यादा विविधता नहीं दिखाते. फटाफट क्रिकेट की मानसिकता के कारण बल्लेबाज भी तकनीक से ज्यादा रन बनाने को अहमियत देते हैं यही वजह है कि बल्लेबाज स्पिन गेंदबाजों का ढंग से सामना नहीं कर पा रहे हैं. मॉडर्न डे क्रिकेट में टेस्ट के स्पेशलिस्ट बल्लेबाजों की कमी भी कहीं-कहीं भारत के लिए परेशानी बनते जा रही है.
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