मेरा दावा है कि आप बिना इंटरनेट के नहीं रह सकते हैं. खास तौर से गुगल, फेसबुक, ट्वीटर, व्हाट्स ऐप के बिना तो आप अपनी जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. इस लिस्ट में यू-ट्युब, हॉटस्टार और जिओ टीवी तो रह ही गया. अब टीवी भी तो हम इंटरनेट के जरिए ही देखते हैं. और फिर बीबी की वाइन्स, एआईबी के शोज को हम कैसे भूल सकते हैं. इनके बिना तो सच में जीने का कोई मतलब नहीं है. मतलब साफ है कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स और मैसेजिंग एप पर समय बर्बाद करना ही जिंदगी है ? या फिर इंटरनेंमेंट को हम जिंदगी मान लें ? मैं कोई फालतू के दावे नहीं कर रहा हूं. बल्कि ताजा कुछ रिपोर्ट्स में आए तथ्यों के आधार पर मैं अपनी बात रख रहा हूं.
टेक्नोलॉजी के पीछे लोगों की सोच को लेकर इप्सोस ने एक सर्वे किया है. 23 देशों में किए गए इस सर्वे का नतीजा चौंकानेवाला निकला. इन 23 देशों के 18,180 लोगों से एक ही सवाल पूछा गया था- 'क्या आप इंटरनेट के बिना अपने जीवन की कल्पना करते हैं ?' तो हम भारतीयों ने बढ़-चढ़कर इंटरनेट के प्रति गुलामी का इजहार किया. देश के 82 फीसदी इंटरनेट यूजर्स ने कहा कि हम इंटरनेट के बिना अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकते. जबकि दुनियाभर में यह औसत 66 प्रतिशत था.
मेरा दावा है कि आप बिना इंटरनेट के नहीं रह सकते हैं. खास तौर से गुगल, फेसबुक, ट्वीटर, व्हाट्स ऐप के बिना तो आप अपनी जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. इस लिस्ट में यू-ट्युब, हॉटस्टार और जिओ टीवी तो रह ही गया. अब टीवी भी तो हम इंटरनेट के जरिए ही देखते हैं. और फिर बीबी की वाइन्स, एआईबी के शोज को हम कैसे भूल सकते हैं. इनके बिना तो सच में जीने का कोई मतलब नहीं है. मतलब साफ है कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स और मैसेजिंग एप पर समय बर्बाद करना ही जिंदगी है ? या फिर इंटरनेंमेंट को हम जिंदगी मान लें ? मैं कोई फालतू के दावे नहीं कर रहा हूं. बल्कि ताजा कुछ रिपोर्ट्स में आए तथ्यों के आधार पर मैं अपनी बात रख रहा हूं.
टेक्नोलॉजी के पीछे लोगों की सोच को लेकर इप्सोस ने एक सर्वे किया है. 23 देशों में किए गए इस सर्वे का नतीजा चौंकानेवाला निकला. इन 23 देशों के 18,180 लोगों से एक ही सवाल पूछा गया था- 'क्या आप इंटरनेट के बिना अपने जीवन की कल्पना करते हैं ?' तो हम भारतीयों ने बढ़-चढ़कर इंटरनेट के प्रति गुलामी का इजहार किया. देश के 82 फीसदी इंटरनेट यूजर्स ने कहा कि हम इंटरनेट के बिना अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकते. जबकि दुनियाभर में यह औसत 66 प्रतिशत था.
...तो भारत में इंटरनेट की दीवानगी की वजह आप जान गए होंगे. हालांकि, इंटरनेट का यह नशा फैलाने में जियो ने भी बड़ा योगदान दिया है. जब मुफ्त में डेटा मिले तो सर्फिंग करने में क्या हर्ज है. आप किसी सोसाइटी के चौकीदार से लेकर स्कूल, कॉलेज को छात्रों तक को देख लीजिए. सबकी नजर मोबाइल स्क्रीन पर ही नजर आएगी. लेकिन इस सबमें वह वक्त आने में समय है, जब यही इंटरनेट बड़े पैमाने पर ज्ञान और रोजगार का जरिया बनेगा !
ये भी पढ़ें:-
नुकसान से बचना है तो फोन खरीदने से पहले देख लें ये फीचर्स!
आईफोन का दसवां बर्थडे क्या इतना फीका होगा !
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.