जापान की बुलेट ट्रेन को उसकी तेज रफ्तार के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. इसी तरह से बुलेट ट्रेन की देखरेख करने वाले दल को भी उनके काम की रफ्तार के लिए जाना जाता है. आप यकीन नहीं करेंगे कि वहां के सफाईकर्मी 7 मिनट के भीतर पूरी बुलेट ट्रेन की सफाई कर डालते हैं. इस दल के शानदार काम की एक फिल्म डेटलाइन टोक्यो के पत्रकार चार्ली जेम्स ने बनाई है. इस फिल्म को नाम दिया गया है '7 मिनट का चमत्कार'. 1 मिनट 38 सैकेंड के इस वीडियो को देखकर आप हैरान हो जाएंगे-देखिए यह वीडियो यहां-
जी हां, ये चमत्कार ही है. बाकी दुनिया के लिए और हमारे लिए खासकर. हम मानकर चलते हैं कि ट्रेनें गंदी ही रहेंगी. सड़कों के किनारे से कचरा नहीं ही उठेगा. सरकारी कर्मचारी समय पर काम नहीं करेंगे. आइए, हमारे भीतर घुस आई इस लेटलतीफी और कामचोरी को इस रिपोर्ट से समझते हैं-
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने सबसे ज्यादा जोर इसी बात पर दिया कि सरकारी दफ्तरों में काम समय पर हो. इसके लिए उन्होंने दफ्तरों में बायोमेट्रिक सिस्टम लगवाया. इस सिस्टम ने जो तथ्य सामने रखे हैं, वे कर्मचारियों की लेटलतीफी और उनकी प्रवृत्तिट को दर्शाते हैं.
- सिर्फ 25% कर्मचारी ही समय पर दफ्तर आते हैं.
- सरकारी दफ्तरों में लेट आने का औसत आधा घंटा है.
- दफ्तर छोड़ने के मामले में सरकारी कर्मचारी समय के बेहद पाबंद हैं.
- सरकारी कर्मचारियों को महीने में 176 घंटे दफ्तर में रहना होता है, लेकिन उनका औसत 165 घंटे ही है.
- सुबह 9.30 बजे के बाद दफ्तर आने वालों के लिए हाफ-डे लगाने का प्रावधान है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.
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