इन दिनों पूरी दुनिया में एक मोबाइल गेम की धूम मची हुई है- पोकेमॉन गो. लोकप्रियता का आलम ये कि गेम 5 जुलाई को लॉन्च हुआ और अब इसे जितनी बार डाउनलोड किया जा चुका है, वो संख्या ट्विटर के यूजर्स के बराबर होने जा रही है. यही नहीं, पिछले चार साल में पूरी दुनिया में जितने लोगों ने टिंडर डाउनलोड किया, उतने लोगों ने इस गेम को केवल एक हफ्ते में डाउनलोड कर लिया. दिलचस्प बात ये भी कि इस गेम का क्रेज लोगों में इस कदर है कि लोग व्हाट्सएप्प, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट और मैसेंजर छोड़ ज्यादा वक्त इसे खेलने में बिता रहे हैं.
इस गेम को अभी भारत में लॉन्च नहीं किया है लेकिन यहां भी कई लोग इसे APK (एंड्रॉयड एपलिकेशन पैकेज) के जरिए डाउनलोड कर इसे गेम के लुत्फ उठा रहे हैं. एक आंकड़े के अनुसार 14 जुलाई तक इस गेम को 75 लाख से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है. तो आईए जानते हैं कि क्या है पोकेमॉन गो और क्यों पूरी दुनिया इसके पीछे दीवानी हुई जा रही है-
क्या है पोकेमॉन गो और क्यों हो गया इतना लोकप्रिय-
दरअसल, पोकेमॉन गो की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसने वर्जुअल और असली दुनिया को मिला दिया है. इसे खेलने के लिए जरूरी है कि आपके पास स्मार्टफोन हो और उसमें इंटरनेट सेवाएं भी मौजूद हों. इस खेल से जुड़ा ऐप सबसे पहले तो जीपीएस के जरिये आपकी लोकेशन ट्रैक करता है. साथ ही आपके फोन का कैमरा भी इस्तेमाल होने लगता है.
इसके बाद कैमरे के जरिए आपके मोबाइल स्क्रिन पर नजर आ रही चीजों के बीच 'पोकेमॉन' नजर आता है..जिसे आपको पकड़ना होता है. पोकेमॉन को पकड़ने के लिए आपको उन पर सफेद और लाल रंग के पोके बॉल्स को फेंकना होता है. इसी आधार पर आपका लेवल बढ़ता जाएगा और आप खेल में आगे बढ़ते जाएंगे. इस गेम की एक और शर्त ये है कि आपको इसे खेलने के लिए घर से बाहर निकलना होगा. तभी ये गेम ज्यादा रोचक और मजेदार होगा.
इन दिनों पूरी दुनिया में एक मोबाइल गेम की धूम मची हुई है- पोकेमॉन गो. लोकप्रियता का आलम ये कि गेम 5 जुलाई को लॉन्च हुआ और अब इसे जितनी बार डाउनलोड किया जा चुका है, वो संख्या ट्विटर के यूजर्स के बराबर होने जा रही है. यही नहीं, पिछले चार साल में पूरी दुनिया में जितने लोगों ने टिंडर डाउनलोड किया, उतने लोगों ने इस गेम को केवल एक हफ्ते में डाउनलोड कर लिया. दिलचस्प बात ये भी कि इस गेम का क्रेज लोगों में इस कदर है कि लोग व्हाट्सएप्प, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट और मैसेंजर छोड़ ज्यादा वक्त इसे खेलने में बिता रहे हैं. इस गेम को अभी भारत में लॉन्च नहीं किया है लेकिन यहां भी कई लोग इसे APK (एंड्रॉयड एपलिकेशन पैकेज) के जरिए डाउनलोड कर इसे गेम के लुत्फ उठा रहे हैं. एक आंकड़े के अनुसार 14 जुलाई तक इस गेम को 75 लाख से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है. तो आईए जानते हैं कि क्या है पोकेमॉन गो और क्यों पूरी दुनिया इसके पीछे दीवानी हुई जा रही है- क्या है पोकेमॉन गो और क्यों हो गया इतना लोकप्रिय- दरअसल, पोकेमॉन गो की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसने वर्जुअल और असली दुनिया को मिला दिया है. इसे खेलने के लिए जरूरी है कि आपके पास स्मार्टफोन हो और उसमें इंटरनेट सेवाएं भी मौजूद हों. इस खेल से जुड़ा ऐप सबसे पहले तो जीपीएस के जरिये आपकी लोकेशन ट्रैक करता है. साथ ही आपके फोन का कैमरा भी इस्तेमाल होने लगता है. इसके बाद कैमरे के जरिए आपके मोबाइल स्क्रिन पर नजर आ रही चीजों के बीच 'पोकेमॉन' नजर आता है..जिसे आपको पकड़ना होता है. पोकेमॉन को पकड़ने के लिए आपको उन पर सफेद और लाल रंग के पोके बॉल्स को फेंकना होता है. इसी आधार पर आपका लेवल बढ़ता जाएगा और आप खेल में आगे बढ़ते जाएंगे. इस गेम की एक और शर्त ये है कि आपको इसे खेलने के लिए घर से बाहर निकलना होगा. तभी ये गेम ज्यादा रोचक और मजेदार होगा.
अमेरिका, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में आलम ये है कि लोग पोकेमॉन पकड़ने की कोशिश में ऐसी-ऐसी हड़कतें कर रहे हैं, जिसका कोई जवाब नहीं. मसलन कोई किसी और के घर में दाखिल हो जाता है तो कई व्यस्त ट्रैफिक की परवाह किए बगैर सड़कों पर घूमने लगता है. कोई गड्ढें में गिर रहा है तो कोई तालाब में. मतलब, लोग खेल में इतने मशगूल हो जाते हैं कि कि उन्हें ख्याल ही नहीं रहता कि वे कहां जा रहे हैं. अब इस वीडियो को ले लीजिए, जब लाइव टेलिकास्ट के बीच में पोकेमॉन ने दखल दे दिया... ऐसी ही हाल में कई और खबरें भी आईं हैं जो काफी चौंकाने वाली रहीं. कई बार पोकेमॉन पकड़ने की कोशिश में लोग ऐसी अनजान जगहों पर चले गए जहां उन्हें लूट लिया गया या फिर वे घर का रास्ता ही भूल गए. हाल ही में एक 19 साल की महिला तो पोकेमॉन पकड़ने की कोशिश में एक शव से टकरा गई, जो कि उसके घर के नजदीक एक नदी में बह रहा था. यह भी पढ़ें- अमेरिका में मुस्लिमों के खिलाफ वीडियो गेम भी हुआ असहिष्णु? एक शख्स ने पॉकेमोन पकड़ने के लिए नौकरी छोड़ी! न्यूजीलैंड के 24 साल के टॉम करी ने तो हद ही कर दी. ऑकलैंड के टॉम ने पिछले हफ्ते अपनी नौकरी छोड़ कर 'पोकेमॉन हंटर' बनने का फैसला कर लिया. अब वे हर सुबह एक बड़े थरमस में कॉफी भरते हैं, अपना रेन जैकेट और लंच साथ लेकर पॉकेमॉन पकड़ने निकल जाते हैं. इस गेम को डेवलप करने वालों ने अब तक कुल 151 पॉकेमोन रिलीज किए हैं और टॉम इनमें से 91 को पकड़ चुके हैं. कहां से आया पॉकेमोन गो.. पॉकेमोन के कैरेक्टर को तैयार करने का श्रेय जापान के सतोशी ताजिरी को जाता है. उन्हें बचपन में कीड़े पकड़ने का बहुत शौक था. बस, इसी आइडिया को लेकर 1990 में उन्होंने एक वीडियो गेम का कॉन्सेप्ट तैयार किया. उस गेम में पॉकेमोन को पकड़ना होता था. तब ये गेम काफी पॉपुलर भी हुआ था.
आप पॉकेमोन गो को इसी का अगल संस्करण समझ सकते हैं, जहां अब आपको असली दुनिया में घूमते हुए पॉकेमोन को पकड़ना होता है. इस गेम ने पिछले एक हफ्ते में जिस रफ्तार को पकड़ा है, उसका असर अब ये है कि 'पोकेमॉन गो' का एक-तिहाई मालिकाना हक रखने वाली जापानी कंपनी निनटेंडो (Nintendo) और गेम के डेवलपर निएन्टिक (Niantic) के शेयर तक 50 फीसदी चढ़ गए हैं. आरोप भी लग रहे हैं इस गेम पर! पोकेमॉन गो बनाने वालों पर एक आरोप लग रहा है कि ये अपने यूजर्स से जुड़ी बहुत सारी जानकारी ऐक्सेस कर लेता है. मसलन, ईमेल, आईपी एड्रेस, लोकेशन आदि. मतलब इस गेम को खेलते वक्त आपका गूगल अकाउंट निएन्टिक के पास होगा. ऐसे में अगर कोई निएन्टिक को हैक करता है तो आपकी बहुत सारी जानकारी एक्सपोज हो सकती हैं. हालांकि, गेम के डेवलपर इसमें जल्द बदलाव की बात कह रहे हैं. यह भी पढ़ें- पोर्न साइटों को भी पीछे छोड़ रहा ये वीडियो गेम! भारत में कैसे खेलोगे... कोई शक नहीं कि कई लोगों ने यहां भी इसे डाउनलोड कर खेलना शुरू कर चुके हैं. खबरें आईं हैं कि दिल्ली और मुंबई के ज्यादातर यूजर्स को पोकेमॉन विभिन्न मंदिरों में मिला. लेकिन सबसे बड़ी चिंता तो इंटरनेट कनेक्शन की है. क्योंकि अगर आपके फोन में 2G है तो फिर इस गेम को भूल जाइए और 3G सेवाएं ले रहे हैं तो भी इसे लोड होने में समय लगेगा. खासकर, अगर वहां भी सिग्नल कमजोर रहा तो बेड़ा गर्क. अब गेम घर के बाहर खेलना है तो वाई-फाई का फायदा आप ऐसे भी नहीं उठा सकते. और सबसे बड़ी मुश्किल...तो आपके फोन की बैट्री होगी. इसलिए गेम खेलना है तो पावर बैंक भी साथ ले लीजिए क्योंकि इंटरनेट, कैमरा और जीपीएस ऑन रहने का मतलब है कि कुछ घंटों में ही आपके फोन की बैट्री जवाब दे देगी! इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये भी पढ़ेंRead more! संबंधित ख़बरें |