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Updated: 22 मई, 2015 06:10 AM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
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दिल्ली में जारी जंग अपने शबाब पर है. अमेठी में भी एक सियासी जंग चल ही रही है. अब बनारस भी सीरीज में शामिल हो गया है.

अमेठी वाली जंग की शुरुआत तब हुई जब कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने वहां के फूड पार्क का मामला उठाया. संसद से सड़क तक राहुल गांधी के हमलावर रुख को देखते हुए बीजेपी ने अपने दो मंत्रियों को ड्यूटी पर लगा दिया. हरसिमरत कौर बादल जहां दिल्ली में मोर्चा संभाले रहीं, वहीं स्मृति ईरानी अमेठी तक चक्कर लगा आई हैं. दोनों केंद्रीय मंत्री लोगों को ये समझाने की कोशिश कर रही हैं कि फूड पार्क को लेकर राहुल गांधी का दावा सच्चाई से कोसों दूर है.

इस बीच राहुल गांधी भी अमेठी के तीन दिन के दौरे पर पहुंच चुके हैं. राहुल गांधी अमेठी से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगातार हमले कर रहे हैं.

बीजेपी की अमेठी मुहिम को देखते हुए कांग्रेस मोदी को बनारस में टारगेट कर रही है. बीजेपी की ही तरह कांग्रेस ने भी अपने दो नेताओं की ड्यूटी लगाई है.

कांग्रेस ने जब देखा कि बीजेपी अमेठी को लेकर राहुल गांधी को निशाना बना रही है तो कांग्रेस ने केंद्र सरकार के एक साल के कामकाज को लेकर मोदी कठघरे में खड़ा करने में जुट गई.

देखा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी जिस तरह दिल्ली के लिए गुजरात के अफसरों पर ज्यादा भरोसा करते हैं उसी तरह बनारस के लिए भी उन्हें गुजरात के साथियों पर ज्यादा यकीन है. चाहे बनारस के घाटों की सफाई हो या फिर जयापुर गांव के काम का मामला हो. सारा कामकाज देखने के लिए मोदी ने नवसारी से सांसद सीआर पाटिल को बनारस में डेपुटेशन पर भेज दिया है.

कांग्रेस को भी लगा होगा कि लोहा ही लोहे को काटता है. शायद इसीलिए गुजरात के दिग्गज कांग्रेस नेता शक्तिसिंह गोहिल को बनारस भेजा गया है. वैसे गोहिल के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश की भी तैनाती हुई है. गुजरात के मधुसूदन मिस्त्री पहले से ही कांग्रेस के यूपी प्रभारी के तौर पर कामकाज देख रहे हैं. मिस्त्री वडोदरा से मोदी के खिलाफ चुनाव भी लड़ चुके हैं हालांकि उनकी जमानत जब्त हो गई थी.

कांग्रेस के दोनों नेताओं गोहिल और जयराम रमेश को बनारस में गली गली घूम कर लोगों को ये समझाने की जिम्मेदारी दी गई है कि मोदी किस तरह लोगों को मूर्ख बना रहे हैं. हफ्ते भर के इस कैंपेन में गोहिल ने कार्यभार संभाल लिया है, जबकि जयराम रमेश उन्हें जल्द ही ज्वाइन करने वाले हैं.

ऐसे में जब लोग 4जी का इंतजार कर रहे हैं, देश में राजनीतिक लड़ाई चिट्ठियों के सहारे लड़ी जा रही है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अमेठी के फूड पार्क को लेकर गृह मंत्री राजनाथ सिंह को चिट्ठी लिखी है तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर अपनी शिकायत दर्ज कराई है. दोनों ने सिलसिलेवार ढंग से अपनी बात रखी है.

अगर इस लिहाज से देखें तो दिल्ली की जंग से जहां सीधा नुकसान हो रहा है, वहीं अमेठी और बनारस की जंग लोगों को नए सिरे से सोचने का विकल्प दे रहे हैं. कौन झूठ बोल रहा है, कौन सच? कौन लोगों को मूर्ख बना रहा है, और कौन वाकई उनका भला चाहता है? कौन लोगों की लड़ाई लड़ रहा है, कौन असल मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए तमाशे पर उतर आया है - और कौन एक के बाद एक झांसा दिए जा रहा है?

दिल्ली, अमेठी और बनारस में छिड़ी सियासी जंग ने लोगों को एक बेहतरीन मौका दिया है - अपने नेताओं को समझने और परखने का. इसे यूं जाने देना ठीक नहीं होगा - चुनाव का मौसम फिर आने वाला है.

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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