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Updated: 18 अगस्त, 2015 05:25 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने एक बार फिर बिहार में दलित सीएम का पासा फेंका है. इससे पहले जोर शोर से ये बात मांझी ने तब कही थी जब नीतीश ने मांझी से कुर्सी छोड़ने को कहा था. मांझी ने इस बार दूसरे मांझी यानी दशरथ मांझी के कंधे का इस्तेमाल किया है.

अगर मांझी दलित नहीं होते...

जीतन राम मांझी ने अपने फेसबुक पेज पर दशरथ मांझी पर आयोजित फंक्शन के कई फोटो शेयर किए हैं. मांझी का कहना है कि दलित परिवार से होने की वजह से ही दशरथ मांझी को उचित सम्मान नहीं मिला. पूर्व मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि अगर बाबा दशरथ मांझी किसी अगड़े जाति से होते तो उन्हें अब तक भारत रत्न भी मिल चुका होता.

मांझी के बहाने

बिहार के पर्वत पुरुष कहे जानेवाले दशरथ मांझी को लेकर हाल फिलहाल राजनीति इसलिए शुरू हो गई क्योंकि 21 अगस्त को उन पर बनी फिल्म रिलीज होने जा रही है. केतन मेहता की फिल्म 'मांझी : द माउंटेनमैन' को टैक्स फ्री करने की घोषणा बिहार सरकार पहले ही कर चुकी है. नीतीश को जैसे ही लगा कि मांझी, इस मसले पर राजनीति चमकाने की कोशिश करेंगे उन्होंने फिल्म के सिनेमा घरों में आने का इंतजार किए बगैर ही टैक्स फ्री करने की घोषणा कर दी.

लेकिन जीतन राम मांझी इतने से नहीं मानने वाले. दशरथ मांझी का नाम उछालते हुए जीतन राम मांझी चुन चुन कर सभी को निशाना बना रहे हैं.

नीतीश कुमार - जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार को चुनौती दी है कि अगर दशरथ मांझी के प्रति उनका इतना ही सम्मान है तो वह उनकी पुण्यतिथि पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करें. मांझी कहते हैं कि दशरथ मांझी की जन्मस्थली को अगर पर्यटन स्थल रूप में विकसित किया जाए तो हजारों लोगों को रोजगार मिल सकता है, लेकिन नीतीश सरकार की नीयत ठीक नहीं है.

लालू प्रसाद - पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को भी मांझी ने निशाना बनाया है. उनका आरोप है कि दशरथ मांझी को जीते जी लालू की सरकार ने सम्मान नहीं दिया.

कांग्रेस - दशरथ मांझी के बहाने जीतन राम मांझी ने कांग्रेस पर दलितों का राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. मांझी ने आरोप लगाया कि भोला पासवान शास्त्री और राम सुंदर दास को राजनीतिक समीकरण दुरूस्त करने के लिए कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बनाया था.

40 सीटों पर दावेदारी

अपने साथ साथ दशरथ मांझी के नाम पर दलित कार्ड खेलते हुए मांझी ने बीजेपी पर भी दबाव बनाने की कोशिश की है. मांझी ने अपनी पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के लिए एनडीए गठबंधन में 40 सीटों की मांग रखी है. बिहार में 243 सीटों पर विधानसभा चुनाव होने हैं.

मांझी के अलावा रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने 67 सीटों पर दावेदारी जताई है. कुशवाहा ने तो बीजेपी को सिर्फ 102 सीटों पर ही चुनाव लड़ने की सलाह दे डाली है - क्योंकि जेडीयू के साथ बीजेपी पिछली बार उतनी ही सीटों पर चुनाव मैदान में उतरी थी.

मांझी ने एक बार फिर जोर देकर कहा है कि बिहार का अगला मुख्यमंत्री दलित या महादलित होगा. मांझी का कहना है कि सूबे में एससी/एसटी के पास 22 फीसदी वोट है - और अब दलितों की कोई उपेक्षा नहीं कर सकता.

गठबंधन में मांझी के हिस्से में कितनी सीटें आएंगी, तस्वीर अभी साफ नहीं है. दरअसल कुछ मांझी समर्थक विधायकों के बीजेपी ज्वाइन करने की भी चर्चा है. जिस तरह बीजेपी ने नीतीश के खिलाफ मांझी का इस्तेमाल किया उसी तरह वो उनके खिलाफ अब उन्हीं के समर्थकों का इस्तेमाल करने की कोशिश में है.

दशरथ मांझी के नाम पर ही सही, मांझी अपने कितने समर्थकों को साथ रख पाते हैं, फिलहाल उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती यही है.

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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