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Updated: 26 अप्रिल, 2017 06:22 PM
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दो साल पहले फिल्मी जगत में तहलका मचाने वाली 'बाहुबली: द बिगिनिंग' रिलीज हुई थी. रिलीज होने के बाद ही पूरे देश की जुबान पर सिर्फ एक यही सवाल था कि आखिर 'कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा?' दो साल बाद अब ​​बाहुबली 2 रिलीज होने जा रही है. थिएटर और प्रशंसकों के बीच इस फिल्म के रिलीज का उत्साह और उत्सुकता देखते ही बनती है.

हमें इस बात का पूरा यकीन है कि 'बाहुबली' फ्रैंचाइज़ी को फिल्म बनाते समय इस बात का ये बिल्कुल भी अनुमान नहीं था कि वो फिल्म नहीं बना बल्कि एक इतिहास बना रहे हैं. फिल्म के डायरेक्टर एस एस राजमौली ने फिल्म निर्माण के सभी मानकों को पार कर दिया है. यही नहीं उन्होंने दूसरों के लिए एक बेंचमार्क भी सेट कर दिया है.

फिल्म, बाहुबली, कटप्पा, राजामौलीकटप्पा को बाहुबली ने कयों मारा

लेकिन बाहुबली-2 कई मायनों में एक अभूतपूर्व फिल्म होने जा रही है. टेक्नोलॉजी और स्टोरी टेलिंग के लिए नए प्रतिमान गढ़ने जा रहा है. आपको बताते हैं वो 7 कारण जिससे साबित होता है कि 'बाहुबली 2' भारतीय फिल्मों के इतिहास में कला और प्रौद्योगिकी का सबसे अच्छा मिश्रण होने वाला है!

1. फिल्म का क्लाइमेक्स 'लार्जर दैन लाइफ' विजुअल के साथ होगा जो सदी के सबसे बड़े रहस्य पर से पर्दा उठाएगा-

ऐसा माना जा रहा है कि फिल्म के सिर्फ क्लाइमेक्स को शूट करने में कथित रूप से 30 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. ये रकम बाहुबली पार्ट-1 के क्लाइमेक्स के शूट में खर्च हुए पैसों से दोगुनी है. अगर बजट के लिहाज से देखें तो इस फिल्म का जो क्लाइमेक्स हम देखेंगे वो कई लोगों के अंतहीन घंटों और अथक प्रयासों का नतीजा होगा.

और आखिर कटप्पा ने उस आदमी को क्यों मारा जिसे उसने एक बच्चे की तरह पाला था और उसे बड़ा किया था, इस राज से भी पर्दा उठेगा!

2. वर्चुअल रियलिटी (वीआर) के साथ कहानी कहने का अनुभव-

रेडियोन टेक्नोलॉजी के सीनियर वीपी राजा कोदुरी ने बाहुबली-2 के ग्राफिक्स के बारे में ट्विट किया है- सामैया भारत (दुनिया की?) की रीयलटाइम वीआर से बनाई गई पहली किरदार है. इसे बाहुबली के लिए एसएस राजामौली ने बनाया और रेडिओन ने उकेरा है.

आखिर कला के साथ टेक्नोलॉजी का इससे बेहतर मिश्रण और कुछ हो सकता है भला? राजामौली ने अपनी फिल्म में टेक्नोलॉजी के साथ जिस तरह के प्रयोग किए हैं वो काबिलेतारीफ हैं. यहां ये बात भी ना भूली जाए कि पूरी फिल्म में हमें वास्तविक जीवन में पसंद आने वाली कई चीजों को देखने का अनुभव भी मिलेगा. और इस बात की तस्दीक खुद राजामौली ने अपनी ट्वीट में किया है. वो लिखते हैं-

बाहुबली की तलवार के साथ वी.आर. के जरिए फिल्म निर्देशन में मैंने शुरुआत की है. मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि इसका प्रीमियर ट्रिबेका फिल्म फेस्टिवल में हो रहा है.

3. कलात्मक रूप से मील का पत्थर और कई मामलों में पहली फिल्म-

'बाहुबली 2' थियेटर में 4के हाई डेफिनेशन के साथ रिलीज होने वाली पहली भारतीय फिल्म होगी. इस फिल्म ना सिर्फ कई सिनेमा हॉल के मालिकों को नई टेक्नोलॉजी को अपनाने के लिए प्रेरित करेगी बल्कि ये सिनेमा देखने वालों को भी एक नया अनुभव प्रदान करेगी!

4. अद्भुत विजुअल इफेक्ट जो फिल्म के प्रभाव को बढ़ा देते हैं-

फिल्म के सिनेमेटोग्राफर केके सेंथिल कुमार ने कहा था कि- 'बाहुबली के पहले भाग में उपयोग किए गए सीजीआई (कंप्यूटर ग्राफिक्स इमेज) की गुणवत्ता से वो खुश नहीं थे.' लेकिन उन्होंने साथ में ये भी कहा कि- 'उन गलतियों को बाहुबली-2 में ठीक कर दिया जाएगा.' और नतीजा हमारे सामने है! अगर सीजीआई नहीं होता तो फिल्म में दिखाए गए झरनों के वो रहस्यपूर्ण दृश्यों को हम नहीं देख पाते.

 

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यहां तक ​​कि फिल्म में प्रयोग किए वीएफएक्स भी बिल्कुल असली लगते हैं.

5. ये फिल्म क्षेत्रीय या डब फिल्मों के पूर्वाग्रहों को तोड़ा है

सोनी टीवी ने बाहुबली 2 के हिंदी संस्करण के सेटेलाइट राइट को 51 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड कीमत पर खरीदा है. किसी भी डब फिल्म के लिए अब तक दी जाने वाली ये सबसे ज्यादा कीमत है. यही नहीं किसी क्षेत्रीय फिल्म के टीवी स्क्रीनिंग के लिए भी दी जाने वाली ये सबसे ज्यादा कीमत है. अब क्या कुछ और कहने की ज़रूरत है?

6. एक्टिंग से ज्यादा मेहनत ट्रेनिंग पर की गई-

प्रभास (बाहुबली के रोल में) और राणा डुग्गूबाती (भल्लाल देव की भूमिका में) दोनों को ही अपने रोल को निभाने के लिए एक कठोर ट्रेनिंग शेड्यूल से गुजरना पड़ा. ये ट्रेनिंग इन्हें शारीरिक और मानसिक रुप से मजबूत करने के लिए दी गई थी ताकि ये अपना रोल सही तरीके से निभाने में सक्षम हो सकें. असल में इन दोनों को वियतनामी ट्रेनर यूआन द्वारा मार्शल आर्ट्स की भी ट्रेनिंग दी गई थी. इसके साथ ही साथ दोनों ही कलाकारों को अपने रोल में परफेक्ट दिखने के लिए लगभग 100 किलो वजन भी बढ़ाना पड़ा था.

7. मेकिंग ऑफ द ब्लॉकबस्टर-

एक कहावत है कि हर विरासत अपने पीछे एक कहानी छोड़ जाती है. और जैसा कि ये दिखता है, 'बाहूबली' सिर्फ कहानी ही नहीं छोड़ने वाली. ये फिल्म के निर्माताओं के लिए आत्मविश्वास की एक नई कहानी छोड़ जाएगा, जिन्होंने दो फिल्मों के लिए करीब 450 करोड़ रुपये, 4 साल में 615 दिन की शूटिंग की, और अपनी फिल्म में परफेक्शन पाने के लिए सेट पर 600 से ज्यादा व्यक्तियों के दल को संभाला. इसके बाद तो बस इतिहास ही है!

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