83 vs Atarangi Re: अक्षय-धनुष-सारा की तिकड़ी क्या 1983 वर्ल्डकप की कहानी पर भारी पड़ेगी?
अभी सिनेमाघर और ओटीटी के बीच क्लैश जैसी चीजें स्पष्ट तो नहीं हैं लेकिन उनके बीच असर से इनकार नहीं किया जा सकता. क्रिसमस पर सिनेमाघर में आ रही 83 और ओटीटीपर आ रही अतरंगी रे का फीडबैक देखना दिलचस्प होगा.
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इस साल दिसंबर महीने में क्रिसमस वीक पर एक ही दिन दो बड़ी फ़िल्में आ रही रही हैं. एक रणवीर सिंह की मल्टीस्टारर स्पोर्ट्स ड्रामा 83 है और दूसरी अक्षय कुमार-धनुष और सारा अली खान की लव ट्राएंगल अतरंगी रे. कोरोना महामारी की वजह से 83 की रिलीज अब तक कई बार टाली जा चुकी है. सबकुछ ठीक-ठाक होने के बाद फिल्म की रिलीज डेट 24 दिसंबर को लॉक कर हुई. आनंद एल रॉय के निर्देशन में बनी अतरंगी रे को मेकर्स ने थियेटर्स की बजाय सीधे डिजनी प्लस हॉटस्टार पर लाने का फैसला किया. वो भी 24 दिसंबर की ही तारीख पर. क्या एक ही दिन आ रही दोनों फिल्मों के बीच वैसा ही क्लैश देखने को मिल सकता है जैसे सिनेमाघरों में साथ रिलीज होने वाली फिल्मों की रिलीज के दौरान दिखता है? यह सवाल बहस तलब है.
दोनों फिल्मों की रिलीज को अभी सीधे टकराव का मामला तो नहीं कहा जा सकता. चूंकि थियेटर और ओटीटी दो भिन्न माध्यम हैं. हालांकि दोनों माध्यमों पर आ रही फिल्मों का लेखा-जोखा आंशिक क्लैश जैसी स्थितियों की ओर संकेत देता नजर आता है. सिनेमाघरों की अपनी सीमा है. ओटीटी सीमाओं से परे है. माना जा सकता है कि ओटीटी का दबाव सिनेमाघरों पर है. यह दबाव महामारी के बाद बहुती तेजी से बढ़ा है. पिछले दो साल में ओटीटी की स्वीकार्यता बहुत तेजी से बढ़ी है.
तमाम ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की सब्सक्रिपशन इसे पुष्ट भी करता है. अभी किसी निष्कर्ष पर पहुंचना तो जल्दबाजी है, मगर पिछले कुछ उदाहरणों को देखें तो कंटेंट गुणवत्ता के मुकाबले ओटीटी पर आई फ़िल्में, थियेटर्स को नुकसान पहुंचा रही हैं. खासकर तब जब एक ही साथ दो बड़ी फ़िल्में आती हैं. पिछले महीने नवंबर मध्य में दो बड़ी फ़िल्में कार्तिक आर्यन की धमाका और साफ अली खान-रानी मुखर्जी- सिद्धांत चतुर्वेदी की बंटी और बबली 2 रिलीज हुईं. बंटी और बबली 2 थियेटर में आई थी जबकि धमाका नेटफ्लिक्स पर थी. इन दोनों फिल्मों में बंटी और बबली 2 का रिस्पोंस बहुत खराब रहा.
बंटी और बबली 2 को बॉक्स ऑफिस पर पहले से चल रही सूर्यवंशी, सीबीएसई बोर्ड की टर्म एक परीक्षाओं और भारत न्यूजीलैंड टी 20 सीरीज से भी जरूर नुकसान पहुंचा होगा. हालांकि परीक्षाओं और क्रिकेट सीरीज की वजह जेन्युइन होती तो साथ ही रिलीज हुई धमाका पर भी इसका असर नजर आता. मगर डिजिटल कंटेंट से जुड़ी तमाम स्ट्रीमिंग रिपोर्ट इतना साबित करने के लिए पर्याप्त है कि कार्तिक की फिल्म को नेटफ्लिक्स पर खूब देखा गया. अभी भी देखी जा रही है. बंटी और बबली 2 का कमजोर कंटेंट भी दर्शकों को धमाका या सूर्यवंशी की ओर जाने से नहीं रोक पाया होगा. यानी एक बात साफ़ है कि थियेटर को ओटीटी ने चुनौती दे दी है. दर्शकों के पास फ्रेश फ़िल्में देखने का सस्ता और सुविधाजनक विकल्प मिल गया है.
83 और अतरंगी रे एक ही दिन रिलीज हो रही हैं.
यानी अब कमजोर कंटेंट के सहारे थियेटर, ओटीटी की ओर कोई चुनौती पेश नहीं कर सकते. अगर धमाका से पहले भी ओटीटी पर आए कंटेंट की व्यूअर रिपोर्ट देखें और उसी दौरान थियेटर में रिलीज हुई फ़िल्में (चेहरे, थलाइवी, बेल बॉटम) आदि के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन की तुलना करें तो ओटीटी प्लेटफॉर्म सिनेमाघरों पर बीस नजर आता है.
खतरा रणवीर सिंह की 83 पर तो है!
फिलहाल के संकेत तो यही साबित करते दिख रहे हैं कि क्रिसमस पर दो अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर आ रही दो बड़ी फिल्मों में क्लैश की आशंका है. लगभग वैसा ही क्लैश जैसा बंटी और बबली 2 और धमाका के रूप में दिखा था. 83 कपिल देव की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट की पहली विश्वकप जीत की दास्तान है. कबीर खान के निर्देशन में बनी स्पोर्ट्स ड्रामा में रणवीर, दीपिका पादुकोण और पंकज त्रिपाठी जैसे बड़े सितारे हैं. क्रिकेट, विश्वकप और स्टारकास्ट फिल्म से जुड़े तीन बड़े आकर्षण हैं जो बहुतायत दर्शकों को सिनेमाघर तक खींचने का माद्दा रखते हैं.
हालांकि ओटीटी पर आ रही अतरंगी रे में भी अक्षय-धनुष और सारा अली खान की तिकड़ी है. अक्षय की स्टार पावर और अतरंगी रे की कहानी में मनोरंजन का मसाला दिख रहा है. फिल्म मनोरंजक हुई तो 83 के सामने दर्शकों को उनके घर में ही अच्छी कहानी देखने का विकल्प बन सकती है. ओटीटी के सामनेजोखिम की जड़ में सिनेमाघर ही ज्यादा हैं और क्रिसमस के बाद आने वाले दिनों में भी ओटीटी का दबाव बढ़ता चला जाएगा.
थियेटर्स के सामने क्यों चुनौती बनते जाएंगे ओटीटी प्लेटफॉर्म?
इसकी बहुत सारी वजहें हैं. भारतीय दर्शकों का व्यवहार थोड़ा परंपरागत किस्म का रहा है. नए माध्यमों की स्वीकार्यता अक्सर बहुत धीमी रहती है. दुनिया के अन्य देशों में जिस वक्त ओटीटी छा चुका था भारत में उसे संघर्ष करना पड़ा रहा था. कुछ हद तक मेट्रो सिटिज को छोड़कर. टीवी और सिनेमाघरों का परंपरागत दर्शक इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहा था. लेकिन महामारी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए वरदान साबित हुआ. सिनेमाघर बंद हो गए और टीवी पर देखने के लिए पुराने कंटेंट ही बचे रह गए. इसी दौरान ओटीटी ने व्यापक दर्शक वर्ग में पहुंच बनाई.
इस पहुंच को मदद मिली- पहले से ही सस्ते होम थियेटर्स और एंड्राइड टीवी का चलन बढ़ना, सस्ते ओटीटी सब्सक्रिस्प्शन प्लान साथ ही साथ वाई फाई इंटरनेट की बेहतर कनेक्टिविटी से. महामारी में पहले-पहल ज्यादातर गैर मेट्रो सिटिज का ऑडियंस ओटीटी पर मजबूरी में ही आया. लेकिन एक बार आने के बाद उसका व्यवहार बदलने लगा. मनोरंजन के लिए ओटीटी प्लेटफॉर्म उसे ज्यादा सुविधाजनक और सस्ता नजर आने लगा. और आज इस स्थिति में है कि दर्शकों को सिनेमाघर जाने से रोकने लगा है. भविष्य में सिनेमाघरों का रास्ता और अवरुद्ध होगा. ओटीटी और सिनेमाघरों में एक साथ आने वाली फिल्मों के फीडबैक से चीजें और साफ़ होती जाएंगी. यह देखना चाहिए कि क्या 83 और अतरंगी रे अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर आने के बावजूद एक-दूसरे को कितना और कैसे नुकसान पहुंचाती हैं.
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