मिस्टर परफेक्शनिस्ट, एक परफेक्ट झूठे भी हैं!
क्या मोदी भक्तों की फौज से आमिर डर गए हैं जो ये मानती है कि हमारे प्रधानमंत्री ने सही किया और उनके हाथ में देश का हित है. क्या आमिर उनसे टक्कर नहीं ले सकते? या ले सकते हैं? सत्यमेव जयते, आमिर?
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आमिर खान के हलिया बयान को देखते हुए 2015 की उनकी बात याद आ जाती है जिसमें उन्होंने असहिष्णुता के मामले में कहा था कि उनकी पत्नी किरन राव को डर लगता है और उन्होंने देश छोड़ने की बात कही थी. कारण कि उन्हें अपनी सुरक्षा की चिंता थी और यहां का माहौल खराब लगता था. मिस्टर खान ने तब बयान दिया था कि समाज का दाइत्व है कि लोगों को सुरक्षित महसूस हो. आमिर का वो बयान विवादों की शुरुआत भर था जिसमें कई लोगों ने शायद अपने परिवारों को देश छोड़ने को कह दिया था. हमारे अंदर भी कहीं एक आवाज आई थी कि एक मां को क्या वाकई देश अपने बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं लगता.
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एक साल ही बीता है और काफी कुछ वैसा ही है. सिवाय आमिर खान और उनके बयानों के. बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्ट आमिर खान एक परफेक्ट झूठे भी लगते हैं. जहां एक ओर दंगल की रिलीज करीब है वहीं लगता है कि वो अपने मोदी-भक्त-मनौती को थोड़ा ज्यादा ही दूर ले गए हैं. अपने हालिया बयान में आमिर का कहना है कि हमें आने वाले समय के लाभ को देखना चाहिए और बड़े फायदे की ओर रुख करना चाहिए. क्योंकि, उनके पास कोई काला धन नहीं है इसलिए उन्हें किसी भी तरह की परेशानी नहीं समझ आ रही है. आमिर जी, ये बताइए कि जबरन थोपी गई नोटबंदी के साथ आपको अब असुरक्षा की भावना नहीं नजर आ रही क्या? अब इंसाफ कहां गया? क्या आपने अखबार पढ़ना बंद कर दिया है? और कितना समय लगेगा आपको एक रोते हुए बुजुर्ग को ATM की लाइन में खड़े देखने के लिए?
आमिर खान को दंगल रिलीज से पहले एक बार एटीएम या बैंक की लाइन में भी लगना चाहिए |
शायद आमिर खान को एक बार अपने चांदी के जूते उतार कर असलियत देखनी होगी और ATM की लाइन में लगना होगा. या फिर फिलहाल उनका ध्यान सिर्फ दंगल पर है और राष्ट्रसुरक्षा थोड़ी फीकी पड़ गई है. आम आदमी का इंसाफ दूर हो गया है. उनका ध्यान जिस तरह बदला है ये वक्त की नजाकत ही कही जा सकती है. उनका ध्यान शायद इस बात पर है कि किसी भी तरह से दंगल की सफलता के लिए कोई कसर ना छूट जाए उनकी तरफ से. और मोदी भक्तों को खुश करने से अच्छा क्या तरीका हो सकता है. एक ऐसा देश जहां एक गैरजरूरी ट्वीट जिसमें सरकार को दोष दिया गया हो मोदी भक्तों की पूरी टीम को युद्ध के लिए तैयार कर देती है, जहां मोदी भक्त अपने ईश्वर की गरिमा को बनाए रखने के लिए कुछ भी करते हैं वहां आमिर जैसा बड़ा स्टार अखाड़े में दंगल को थोड़ी उतारेगा.
क्या मोदी भक्तों की फौज से आमिर डर गए हैं जो ये मानती है कि हमारे प्रधानमंत्री ने सही किया और उनके हाथ में देश का हित है. क्या आमिर उनसे टक्कर नहीं ले सकते? या ले सकते हैं? सत्यमेव जयते, आमिर?
तो क्या एक सुपरस्टार 2015 में झूठ बोल रहा था या वो अब झूठ बोल रहा है. मैं ये नहीं मानती कि आमिर ने एक बार भी अखबार नहीं खोला होगा या देश में क्या हो रहा है उससे वो अंजान हैं. या फिर आमिर ने अपने फैन्स के साथ बंधंन की डोर को तोड़ दिया है. अपने फैन्स और सरकार के बीच आमिर ने सरकार का साथ देने का क्यों सोचा? वो इंसान जिसके पास हर परिस्थिति के लिए आंसुओं की पोटली होती है वो मोदी के नोटबंदी नाम के इस बुरे सपने के लिए कुछ आंसू नहीं बहाएंगे? उन्हें गरीबों के लिए बुरा लगता है, लेकिन लगता है आमिर ने अपने आंसुओं की पोटली फिल्म लॉन्च, गानों, ट्रेलर और टीवी शो के लिए बचा कर रखी है.
सत्यमेव जयते एक ऐसा टीवी शो जिसने अपार सफलता हासिल की कई मुद्दे उठाए और सिर्फ मुद्दे ही नहीं सामने आए उनके साथ आमिर के आंसू भी साफ दिखे. कॉफी विद करन के सीजन 5 में जहां आमिर अपनी दंगल की फौज के साथ आए थे उन्होंने खुद स्वीकार किया कि वो हद से ज्यादा इमोशनल हैं.
तो एक ऐसा सितारा जिसकी इतनी ऊंची गरिमा है उसके लिए वास्तविकता की जांच जरूरी है..
आमिर खान बहुत इमोश्नल हैं, लेकिन अब उनके इमोशन कहां गए |
सर, आप एक ईमानदार टैक देने वाले नागरिक हैं, मैं भी हूं. मेरे पास कोई कालाधन नहीं है. सफेद ही पूरा नहीं पड़ता. लेकिन नोटबंदी ने मेरी जिंदगी पर भारी प्रभाव डाला है. मुझे रोजमर्रा की जरूरत के लिए पैसे निकाने के लिए भी लाइन में लगना पड़ता है और कई बार जब मेरा नंबर बस आने ही वाला होता है तब तक कैश खत्म हो जाता है. मुझे सामने हंसकर, मनुहार करके अपने आस-पास के लोगों से मिन्नतें करनी पड़ती हैं कि मुझे थोड़े से पैसे दे दें और मैं अपने कार्ड से उनकी पेमेंट कर दूं. कई बार में किसी दुकान पर सिर्फ ग्राहकों को देखने के लिए खड़ी हुई हूं जिनके पास कैश था और मैं ऐसे किसी भी मौके को पा सकूं.
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मैं बिग बजार की लाइन में भी लगी हूं. सामान खरीदने के लिए बल्कि वो कैश लेने के लिए जो बिग बाजार अपने ग्राहकों को दे रहा है कार्ड स्वाइप के बदले. दुख की बात है कि मेरे इलाके के दूधवाले के पास पेटीएम नहीं है और ना ही उसे किसी भी तरह का प्लास्टिक मनी इस्तेमाल करना आता है, उसके पास कोई स्वाइप मशीन नहीं है और वो सिर्फ कैश पर ही काम करता है. बिजलीवाला, प्लंबर, घर की बाई और कई ऐसे लोग हैं जो दिहाड़ी पर काम करते हैं जो फिलहाल उधार पर काम कर रहे हैं, लेकिन आखिर वो भी कब तक करेंगे? मुझे लगता है कि उन्हें भी कैश चाहिए और लगता क्या मुझे पता है कि उन्हें कैश चाहिए.
एक कैशलेस सोसाइटी जो विदेशों में होती है एक सपना है जिसे सच होना मैं भी देखना चाहती हूं, लेकिन उसका वास्तविकता से कोई लेना देना ना हो ये सही नहीं है. और सर, ये कहना कि जिनके पास कालाधन है सिर्फ वही परेशान है वो उन लाखों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाना है जो ऐसी नाइंसाफी के बीच जी रहे हैं.
वैसे, आपकी आने वाली फिल्म दंगल के लिए एक अच्छा पब्लिसिटी स्टंट होगा अगर आप किसी ATM या बैंक में जाकर लाइन में लगें. अभी के लिए सर, आप अपनी जगह पर नहीं रहे मेरे लिए.
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