आमिर खान ने ब्रेक नहीं लिया बल्कि गुरिल्ला सरेंडर किया है, जानिये उन्हें किस बात का इंतजार है
एक एक्टर के तौर पर आमिर खान के ब्रेक की घोषणा से सनसनी है. लेकिन असल में यह आमिर का कोई ब्रेक नहीं है. आइए जानते हैं कि इसके पीछे क्या है. लाल सिंह चड्ढा की नाकामी के बाद एक्टर ने ऐसा फैसला किस उम्मीद में लिया है.
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आमिर खान को 35 साल बाद पता चलता है कि उन्होंने 'पेशेवर' वजहों से अपने परिवार पर किस तरह के 'जुल्म' किए. अपने काम में डूबे रहने की वजह से उनको पर्याप्त समय ना देकर. अब भरपाई के लिए अभिनेता डेढ़ साल के लंबे ब्रेक पर जा रहे हैं. बावजूद कि डेढ़ साल का उनका ब्रेक 35 साल के उनके 'जुल्मों' की भरपाई नहीं कर सकता. इस बीच उन्होंने दो शादियां कीं. तलाक भी हुए. प्रेफोशानल सक्रियता में ही सबकुछ हुआ. वे तीन बच्चों के पिता बने. दो बच्चे वयस्क हो चुके हैं. बेटी मेल पार्टनर के साथ अपनी एक नई दुनिया गढ़ रही है. बेटा, अब आत्मनिर्भर है और सुपरस्टार के तौर पर यशराज फिल्म्स की फिल्म से पदार्पण करने को तैयार है. फिल्म बन चुकी है. बस उसे रिलीज नहीं किया जा रहा. और हां. भारी व्यस्तता में समय निकालकर आमिर अपनी मां को हज कराने भी ले गए थे, कुछ साल पहले.
साफ़ पता चलता है कि आमिर ने परिवार के लिए जरूरी समय दिया. किसी पेशेवर की जिंदगी तो ऐसे ही होती है. तो क्या माना जाए कि उनके ब्रेक की वजहें दूसरी हैं और अभिनेता सार्वजनिक रूप से उन्हें साझा नहीं करना चाहते. बावजूद कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में सनसनी है. हो भी क्यों ना? उसका सबसे काबिल अभिनेता ब्रेक पर जा रहा है. उन्होंने खुद घोषणा की और बताया कि ऐसा क्यों कर रहे हैं. उन्होंने बताया- एक एक्टर के रूप में फ़िल्में करने के दौरान वे उसमें डूब जाते हैं. और उनके जीवन में तब कुछ नहीं होता. लाल सिंह चड्ढा (फॉरेस्ट गंप की बॉलीवुड रीमेक) के बाद उनके पास 'चैम्पियंस' नाम का प्रोजेक्ट था. हैरान करने वाली स्क्रिप्ट और एक ख़ूबसूरत कहानी. लेकिन लगता है कि मुझे एक ब्रेक लेना चाहिए. ताकि मैं अपनी फौमिली, मां और बच्चों के साथ समय बिता सकूं. उन्होंने यह भी बताया कि वे भले चैम्पियंस में काम ना करें, मगर उसे प्रोड्यूस करेंगे. क्योंकि यह बेहतरीन कहानी है.
मन के एक दृश्य में आमिर खान. फोटो- शेमारू/यूट्यूब से साभार.
क्या सच में आमिर ने ब्रेक लिया है या अच्छे दिनों के इंतजार में यह कोई गुरिल्ला सरेंडर है?
अब सवाल है कि जब आमिर फिल्म प्रोड्यूस कर ही रहे हैं, उनकी प्रोफेशनल सक्रियता में ब्रेक कहां है? क्या एक्टर्स की तुलना में फिल्मों के प्रोड्यूसर किसी प्रोजेक्ट में पैसे लगाकर दिन-दिन, रात-रात भर घर में सोए रहते हैं. सुबह किसी ख़ूबसूरत बीच पर सनबाथ लेते हैं और रात में फ़िल्मी पार्टियां करते हैं. फ़िल्मी पार्टियों को लेकर चीजें साफ हैं कि एक्टर को इससे परहेज है. यहां तक कहा जाता है कि एक बार उन्हें किसी इवेंट में बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड नहीं दिया गया. आगे से उन्होंने अवॉर्ड इवेंट्स से भी दूरी बना ली. फिर आमिर ने ब्रेक लिया है या गुरिल्ला सरेंडर किया है? असल में उन्होंने ब्रेक तो नहीं लिया है. मौजूदा सामाजिक/राजनीतिक माहौल में गुरिल्ला सरेंडर ही किया है. गुरिल्ला सरेंडर इसलिए कह रहा कि मौजूदा हाल में एक एक्टर के रूप में कोई फिल्म कर नुकसान की वजह से अपनी मार्केट वैल्यू पर ठप्पा नहीं लगवाना चाहते. यही वजह है कि वे भले एक्टिंग ना कर रहे हों, फिल्म प्रोड्यूस तो कर ही रहे हैं.
गुरिल्ला सरेंडर इसलिए भी कि एक्टर एक रूप में उन्होंने हार नहीं मानी है. बल्कि अपने उस चेहरे को पीछे कर शोर के मंद होने का इंतज़ार करना चाहते हैं. जो उनके खिलाफ सिर्फ उनकी वजह से बायकॉट बॉलीवुड का वजह है. दुर्भाग्य से यह ख़त्म होता भी नहीं दिखता. इसकी आशंका भी पहले से थी. और मैंने यहीं आईचौक पर एक स्टोरी के आख़िरी तीन पैरा में वजहें गिनाई थीं (यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं). बाद में हमारे वरिष्ठ साथी ने भी यहीं आईचौक पर ही आमिर के करियर के इसी खतरनाक प्रस्थान बिंदु पर विस्तार से बात की. (यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं).
मोटे तौर पर अपने विश्लेषण में मैंने पाया था कि मौजूदा हालात में आमिर को लग चुका है कि वे चाहे कुछ भी बना दें (फिल्म), लोग हिंदू-मुस्लिम वजहों से अब उनकी फिल्म ही नहीं देखना चाहते. क्योंकि आमिर के खिलाफ सिर्फ कॉन्टेंट भर का मसला नहीं. और आमिर या कोई भी अभिनेता को जब यह लगने लगेगा कि वह कुछ भी बनाए लोग उसे देखना ही नहीं चाहते, तो भला वो फिल्मों पर पैसे और अपनी साख क्यों बर्बाद करेगा- तमाम वजहों से जिसका डूबना तय है. आमिर अपनी फिल्मों में खुद पैसे भी निवेश करते हैं. ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान से लाल सिंह चड्ढा तक की निजी नाकामी और पिछले कुछ सालों में बॉलीवुड के कुछ अभिनेताओं के फिल्मों की बर्बादी, बॉलीवुड के कुछ अभिनेता और बैनर्स के खिलाफ दर्शकों का रवैया- लगभग सभी चीजों को साफ़ भी कर देता है.
आमिर खान ब्रेक के बहाने असल में इंतज़ार क्या कर रहे हैं?
अब सवाल है कि आमिर ने डेढ़ साल का ब्रेक क्यों लिया है? अभिनेता ने जो तर्क दिए हैं मैं उन्हें बिल्कुल भी सत्य नहीं मानता. सत्य होने के पीछे कोई आधार भी तो नहीं है. विश्लेषण की शुरुआत में ही उसे स्पष्ट कर दिया है. चैम्पियंस के रूप में फ़िल्म प्रोड्यूस करने को लेकर उनका कबूलनामा भी बताता है कि आखिर सत्य क्या है? अपने जिस पुराने विश्लेषण का जो संदर्भ लिया है, हालात के लिहाज से उसमें भी मैंने तब यही कहा था कि आमिर भविष्य में एक्टिंग तो नहीं करेंगे, लेकिन फिल्मों का निर्माण जरूर करते रहेंगे. और एक्टर के रूप में वापसी के लिए 'अच्छे दिनों' का इंतज़ार करेंगे.
असल में आमिर का ब्रेक सामाज और राजनीति में बदलाव को लेकर बहुत उम्मीद है. कुछ राजनीतिक फेरबदल हुए भी हैं. बिहार में सरकार बदल गई. राजस्थान में सरकार नहीं बदल पाई. राहुल गांधी की यात्राओं से केंद्र की सत्ता में काबिज नरेंद्र मोदी और भाजपा विरोधियों को लगता है कि 2024 के चुनाव तक कुछ ना कुछ बड़ा बदलाव होकर रहेगा. भाजपा और संघ की वैचारिकी के खिलाफ अकादमिक जगत भी बहुत तेजी से सक्रिय हुआ है. खूब फंड बांटे जा रहे हैं. छोटी-बड़ी गोष्ठियों की बाढ़ आ गई है. सारे छोटे-बड़े-मझोले लेखक व्यस्त दिख तरहे हैं आजकल. इतिहास और साहित्य में तमाम नए काम होते दिख रहे हैं. संघ विरोधी सारी वैचारिकी एक छत के नीचे आ चुकी है. साहित्य और अकादमिक जगत के ज्यादातर काम- जो असल में 'हिंदुत्व' को अकादमिक लिहाज से काउंटर करने वाले ही दिख रहे हैं. और नैरेटिव क्या है- असल में उसे समझना मुश्किल नहीं. सोशल मीडिया पर साफ़-साफ़ दिख रहा है.
तो कुल मिलाकर बात यह है कि आमिर 2024 से पहले एक्टर के रूप में आत्मघाती जोखिम मोल नहीं लेना चाहते. उन्हें लगता है कि वे सही थे और सही हैं. डेढ़ साल ब्रेक ले लिया जाए. इंतज़ार किया जाए. राजनीति बदली तो, सामाजिकी भी बदलेगी. और फिर वापसी हो जाएगी. इससे एक चीज और साबित होती है कि अगर 2024 में भी राजनीतिक परिवर्तन नहीं हुआ तो एक्टर के रूप में आमिर के करियर का अंत मान सकते हैं. बात इतनी है बस. ब्रेक-व्रेक भ्रम के अलावा कुछ नहीं है. संसार में भ्रम ज्यादा है. आमिर खान ने एक चतुराई भरा फैसला लिया है.
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