लाल सिंह चड्ढा के फ्लॉप होने की वजह सिर्फ आमिर खान की जिद है
दर्शकों की ओर से मिली ठंडी प्रतिक्रिया ने लाल सिंह चड्ढा (Laal Singh Chaddha) को फ्लॉप (Flop) की कैटेगरी में ला दिया है. क्योंकि, दो दिनों की कमाई के लिहाज से आमिर खान (Aamir Khan) की लाल सिंह चड्ढा रणबीर कपूर की हालिया रिलीज हुई फिल्म शमशेरा से भी पिछड़ गई है.
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आमिर खान की बहुप्रतीक्षित फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' रिलीज के दो दिनों बाद केवल 18.96 करोड़ ही कमा सकी है. लगातार घट रही कमाई को देखते हुए कई जगहों पर 'लाल सिंह चड्ढा' के शो कम कर दिए गए हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो दर्शकों की ओर से मिली ठंडी प्रतिक्रिया ने लाल सिंह चड्ढा को फ्लॉप की कैटेगरी में ला दिया है. क्योंकि, दो दिनों की कमाई के लिहाज से आमिर खान की लाल सिंह चड्ढा रणबीर कपूर की हालिया रिलीज हुई फिल्म शमशेरा से भी पिछड़ गई है. वैसे, आमिर खान ने एक बार फिर दर्शकों को अपनी देशभक्ति का प्रमाण देने की कोशिश की है. उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे 'हर घर तिरंगा' अभियान का समर्थन करते हुए मुंबई स्थित अपने घर पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा दिया है. हालांकि, आमिर खान के इस 'तिरंगा दांव' का दर्शकों पर कितना असर होगा, ये तो वक्त ही बताएगा. लेकिन, एक बात तय कही जा सकती है कि लाल सिंह चड्ढा के फ्लॉप होने की वजह सिर्फ आमिर खान की जिद है. आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों है?
भले ही लाल सिंह चड्ढा अच्छी फिल्म हो. लेकिन, इसकी राह में कांटें तो आमिर खान ने ही लगाए हैं.
आमिर सबकुछ बोल रहे हैं, लेकिन 'बयानों' पर चुप्पी कायम है
आमिर खान की फिल्म लाल सिंह चड्ढा के खिलाफ चलाए जा रहे बायकॉट कैंपेन में उनके पुराने बयानों और तस्वीरों को वायरल किया जा रहा है. आमिर खान को यूं ही बॉलीवुड का मिस्टर परफेक्शनिस्ट नहीं कहा जाता है. आमिर केवल फिल्म नहीं उसकी मार्केटिंग में भी माहिर हैं. जैसे ही आमिर को लगा कि फिल्म लाल सिंह चड्ढा के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ रहा है. तो, उन्होंने कहा कि 'कुछ लोगों को लगता है कि मुझे इस मुल्क से प्यार नहीं है. लेकिन, मैं उन्हीं लोगों से कहना चाहता हूं कि वो जैसा सोच रहे हैं, वो सच नहीं है. मुझे प्यार है अपने देश से और यहां के लोगों से. मैं उनसे यही गुजारिश करूंगा कि प्लीज मेरी फिल्म को बायकॉट न करें और थिएटर पर जाकर फिल्म देखें.' लेकिन, आमिर खान ने यहां भी अपना परफेक्शन दिखाने की कोशिश करते हुए 'कुछ लोगों' पर ही सारा ठीकरा फोड़ दिया. जबकि, उनकी फिल्म का व्यापक विरोध हो रहा था.
दरअसल, आमिर खान की फिल्म लाल सिंह चड्ढा का विरोध उनके सेलेक्टिव बयानों को लेकर ही किया जा रहा है. गोधरा दंगों से लेकर देश में फैली असहिष्णुता तक पर खुलकर अपनी राय रखने वाले आमिर खान को इस्लामिक उन्माद में की गई हालिया हत्याओं पर भी अपना विचार रखना चाहिए था. क्योंकि, ऐसा न करने की वजह से ही आमिर खान की इन मामलों पर मौन सहमति टाइप का माहौल बना दिया गया. और, ऐसे लोगों के हमदर्द का सीधा सा मतलब यही निकाला गया कि आमिर खान भी कट्टर मुस्लिम सोच वाले अभिनेता ही हैं. जबकि, ऐसे मामलों में या तो आप हर विषय पर खुलकर बोलिए या फिर हर मामले पर चुप्पी ही लगा जाइए. क्योंकि, ऐसे हर बयान का असर किसी न किसी दर्शक वर्ग पर पड़ता ही है. जो न आमिर खान के लिए अच्छा है और ना ही बॉलीवुड के लिए.
आसान शब्दों में कहा जाए, तो आमिर खान को या तो पूरी तरह से स्वरा भास्कर बन जाना चाहिए या फिर पूरी तरह से ऋतिक रोशन. वैसे, आमिर खान को अपनी फिल्म को बचाने के लिए ताजा मामलों पर टिप्पणी करते हुए सहिष्णुता स्थापित करनी चाहिए थी. यानी इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा की गई हत्याओं को नाजायज ठहरा कर वह फिर से अपने सबसे बड़े दर्शक वर्ग का दिल जीत सकते थे. क्योंकि, जिन्हें फिल्म लाल सिंह चड्ढा देखनी थी. वो तो आमिर की इस सफाई के बिना फिल्म देखने पहुंचते ही. लेकिन, आमिर को लगा होगा कि फिल्म लाल सिंह चड्ढा के साथ 'फॉरेस्ट गंप' की आधिकारिक रीमेक समेत कई फैक्टर हैं. जो फिल्म को हिट करा ले जाएंगे. तो, उन्होंने खुद को देशभक्त साबित कर सोच लिया कि फिल्म ठीकठाक कारोबार कर ले जाएगी. लेकिन, ऐसा हुआ नहीं. और, उनका ये दांव उलटा पड़ गया.
विरोध के बावजूद हिट हुईं थी पीके, दंगल और सीक्रेट सुपरस्टार
लाल सिंह चड्ढा के समर्थन में तर्क दिया जा रहा है कि एक विचारधारा विशेष के लोग ही इसका विरोध कर रहे हैं. जबकि, असलियत ये है कि आमिर खान की फिल्म लाल सिंह चड्ढा अपने विरोध से ज्यादा फिल्म के रीमेक होने की वजह से पिटी है. जो लोग 'फॉरेस्ट गंप' देख चुके हैं, उनमें से बहुत से लोगों को इस फिल्म में कुछ नया नहीं मिलने वाला है. तो, वे फिल्म से दूर हैं. फिल्म की कहानी भी दर्शकों में कुछ खास क्रेज पैदा नहीं कर सकी है. वहीं, कोरोना महामारी के बाद जो फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल हुई हैं. उनकी कहानी दमदार रही है. जो दर्शकों को खुद-ब-खुद सिनेमाघरों तक खींच लाई थी. लेकिन, लाल सिंह चड्ढा में ऐसा कुछ भी नजर नहीं आता है. वरना केवल विरोध के कारण ही आमिर खान की फिल्म पिटनी होती, तो पीके, दंगल और सीक्रेट सुपरस्टार जैसी फिल्में सुपरहिट नहीं होतीं.
वहीं, कोरोना महामारी के बाद ओटीटी प्लेटफॉर्म का दबदबा भी बढ़ा है. दर्शक साल भर का ओटीटी सब्सक्रिप्शन लेने के बाद इतनी आसानी से सिनेमाघर की ओर रुख नहीं करता है. जब तक फिल्म को बेहतर रिव्यू या वर्ड-माउथ पब्लिसिटी न मिले. तो, भले ही आमिर खान खुद को देशभक्त बताएं या फिर अपने घर पर तिरंगा लगा लें. इससे दर्शकों में आमिर के सेलेक्टिव बयानों को लेकर भरा गुस्सा इतनी आसानी से नहीं निकलने वाला है. संभव है कि लाल सिंह चड्ढा कई मायनों में एक अच्छी फिल्म हो. लेकिन, आमिर खान ने अपनी फिल्म की राह में कांटे अपनी ही जिद से बिछाए हैं. तुर्की की यात्रा से लेकर इजरायल के प्रधानमंत्री का बायकॉट तो बस जाने-अनजाने में की गई कुछ ऐसी गलतियां हैं, जो जगजाहिर हो गई हैं.
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