आमिर खान ने जो किया उसे हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सिस्टम का हिस्सा बना देना चाहिए!
बॉक्स ऑफिस पर फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' के डिजास्टर साबित होने के बाद अभिनेता आमिर खान ने अपनी फीस छोड़ दी है. उनको 100 करोड़ रुपए मिलने थे. लेकिन फिल्म के नुकसान की पूरी जिम्मेदारी उठाते हुए उन्होंने ये कदम उठाया है, जो कि इस वक्त बहुत हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को बचाने के लिए बहुत जरूरी है. आइए जानते हैं कि कैसे?
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बॉलीवुड बायकॉट का असर धीरे-धीरे अब सुपर सितारों पर होने लगा है. अभी तक फ्लॉप हो रही बड़े बजट की फिल्मों का नुकसान सीधे तौर पर फिल्म के निर्माता उठा रहे थे. लेकिन आमिर खान ने जो पहल की है, वो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की घाव पर मरहम लगाने का काम कर सकती है. यदि बॉलीवुड का यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में इसे सिस्टम का हिस्सा भी बनाया जा सकता है. दरअसल, फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' के बॉक्स ऑफिस पर डिजास्टर साबित होने के बाद अभिनेता आमिर खान ने अपनी एक्टिंग फीस छोड़ दी है. उनको 100 करोड़ रुपए बतौर एक्टिंग फीस मिलने वाली थी. लेकिन फिल्म के नुकसान की पूरी जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने ये कदम उठाया है. उनके ऐसा करने से फिल्म मेकर्स को होने वाले नुकसान में कमी आई है, जिनको 110 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा था. लेकिन आमिर की वजह से नुकसान में 100 करोड़ की कमी आ गई है.
आमिर खान, शाहरुख खान, सलमान खान, अक्षय कुमार, अजय देवगन और रितिक रौशन जैसे बॉलीवुड के सुपर स्टार फिल्मों में काम करने के लिए भारी भरकम फीस लेते हैं. इनकी फीस 80 से 120 करोड़ रुपए तक होती है. जैसे कि खान तिकड़ी 100 करोड़ रुपए लेती है, जबकि रितिक ने कुछ फिल्मों के लिए 120 करोड़ रुपए भी चार्ज किया है. इतना ही नहीं ये सुपर सितारे अब फिल्मों के प्रॉफिट में भी अपना हिस्सा लेने लगे हैं. इसके अलावा फिल्मों में बतौर को-प्रोड्यूसर पैसा भी लगाते हैं और उसका मुनाफा अलग से लेते हैं. इस तरह से इनकी फिल्मों की कमाई तीन तरह से होती है. एक्टिंग फीस, प्रॉफिट शेयर और बतौर प्रोड्यूसर. लेकिन जब फिल्म फ्लॉप होती है, तो ये किनारा कर लेते हैं.
फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' के डिजास्टर साबित होने के बाद अभिनेता आमिर खान बहुत निराश हो चुके हैं.
फिल्म फ्लॉप होने पर इन सितारों को कोई नुकसान नहीं होता. इनको इनकी फीस मिल जाती है, जो कि एक बड़ी रकम होती है. चार साल पहले रिलीज हुई फिल्म 'ठग्स ऑफ हिंदोस्तान' के फ्लॉप होने के बावजूद आमिर ने अपनी पूरी फीस ली थी. उसी तरह अक्षय कुमार की हालिया रिलीज 'रक्षा बंधन' डिजास्टर साबित हुई है, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने अपनी पूरी फीस ली है. दबे जुबान तो यहां तक कहा जा रहा है कि 120 करोड़ रुपए में बनी इस फिल्म में 100 करोड़ रुपए तो खुद अक्षय कुमार ने ही लिया है. यदि उन्होंने अपनी फीस कम कर दी होती, तो कम से कम फिल्म के मेकर्स को नुकसान नहीं उठाना पड़ता. इस फिल्म ने अभी तक 67 करोड़ रुपए का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन किया है.
वैसे जानकर हैरानी होगी कि आजकल बनने वाली ज्यादातर फिल्मों के बजट का बड़ा हिस्सा उसमें काम करने वाले एक्टर्स की फीस में चला जाता है. खासकर के आमिर खान, शाहरुख खान, सलमान खान, अक्षय कुमार और अजय देवगन जैसे सुपरस्टार्स को लेकर यदि किसी फिल्म मेकर्स ने काम करने का फैसला किया को समझिए कि उनकी कुछ नहीं चलने वाली है. मोटी फीस के साथ हर निर्णय इन सितारों का ही होता है. यदि फिल्म 150 करोड़ रुपए की बनी है, तो उसमें 100 करोड़ सुपरस्टार की फीस ही होती है. यदि फिल्म 100 करोड़ की है, तो उसमें 60 से 80 करोड़ रुपए फीस में चली जाती है. हालही में तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री ने इस समस्या को हल करने के लिए बहुत बड़ा कदम उठाया है.
तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री ने अपने वहां एक महीने के लिए शूटिंग बंद कर दी थी. इसके बाद फिल्म मेकर्स ने एक साथ बैठकर तय किया कि किसे कितना लाभ दिया जाना है. जिससे कि किसी को भी नुकसान न हो और सारा फायदा केवल एक्टर को न जाए. वहां इसके लिए आपसी सहमति से एक स्ट्रक्चर बना दिया गया है. तेलुगू इंडस्ट्री के इस फैसले पर 'द कश्मीर फाइल्स' के निर्माता निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने बहुत सही बात कही है. उन्होंने लिखा है, ''एक स्टार 150 करोड़ की फिल्म के लिए 120 करोड़ रुपये चार्ज करता है या 60-70 करोड़ बजट की फिल्म के लिए 30-40 करोड़ लेता है या 25 करोड़ की फिल्म के लिए 12 करोड़ लेता है, किसी बेवकूफ व्यक्ति के लिए भी इसे हजम करना मुश्किल है. वो भी लगातार हो रही फिल्मों को देखने के बाद भी ऐसा हो रहा है. ऐसे में नई कहानियां और नए सितारे कहां से उभरेंगे, यदि स्टूडियोज मरे हुए घोड़ों पर ही दाव लगाते रहेंगे.''
विवेक अग्निहोत्री ने आगे कहा कि ये बड़े सितारे लेखकों को लिखने नहीं देते, निर्देशकों को निर्देशन नहीं करने देते. कंटेंट, कास्ट, म्यूजिक, मार्केटिंग, सभी पर उनका फैसला अंतिम होता है. जमीनी हकीकत से उनका रिश्ता जीरो होता है. यही वजह है कि बॉलीवुड फिल्मों का स्टूडेंट किसी दूसरे स्टूडेंट की तरह नहीं होता. यह परिवार किसी आम भारतीय परिवार की तरह नहीं होते. ऐसे हालात में फिल्में सिर्फ प्रोजेक्ट बनकर रह गई हैं, जिन्हें ओटीटी पर बेचकर वो लागत निकाल लेना चाहते हैं. विवेक इन बातों में दम है. पूरी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री कुछ लोगों के इर्द-गिर्द सिमट कर रह गई है. यही वजह है कि बॉलीवुड को आज ये दिन देखना पड़ रहा है. लोग जमकर बायकॉट कर रहे हैं.
अभी भी वक्त है. यदि संभल गए तो बर्बाद होने से बच जाएंगे. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सभी प्रोड्यूसर को भी एक साथ बैठकर एक नियम बनाना चाहिए. जिसके तहत किसी भी फिल्म में एक्टर के लिए एक निश्चित फीस तय की जाए. फीस भी फिल्म के कुल बजट का एक छोटा हिस्सा होना चाहिए. इसके बाद फिल्म में होने वाले प्रॉफिट में से एक्टर को शेयर दिया जाना चाहिए. ऐसे में यदि फिल्म हिट होगी तो एक्टर को ज्यादा पैसा मिलेगा, यदि फ्लॉप हुई तो मेकर्स नुकसान से बच जाएंगे. इसके अलावा कमीशन के आधार पर भी एक्टर को किसी फिल्म में शामिल किया जा सकता है. हालांकि, कोई भी बड़ा कलाकार इन शर्तों पर काम करने को तैयार नहीं होने वाला है. लेकिन कम से कम आमिर की तरह बड़ा दिल दिखाते हुए अपनी फीस में कटौती करके या फीस वापस करके इंडस्ट्री को तो बचा ही सकता है. वरना न प्रोड्यूसर बचेंगे न डिस्ट्रीब्यूटर, फिर फिल्में कैसे बनेंगी.
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