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Updated: 19 जुलाई, 2022 05:21 PM
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आमिर खान को बतौर अभिनेता सिर्फ परफेक्शन के लिए नहीं जाना जाता. वे बेहतरीन मार्केटिंग रणनीतियों की वजह से भी मशहूर हैं. खराब हालात में भी चीजों को पक्ष में करना उन्हें आता है. यही वजह है कि बॉलीवुड के सबसे सफल अभिनेता और फिल्म मेकर्स में उनकी गिनती होती है. उनकी फिल्म लाल सिंह चड्ढा बनकर तैयार है. इसे स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले 11 अगस्त को रिलीज किया जाएगा. लाल सिंह चड्ढा असल में 1994 में आई टॉम हैंक्स की फॉरेस्ट गंप का आधिकारिक बॉलीवुड रीमेक है. फॉरेस्ट गंप के मेकर्स ने लाल सिंह चड्ढा में दिलचस्पी दिखाई है तो इसे आमिर की ही योजना का हिस्सा माना जा सकता है.

फॉरेस्ट गंप एक कामयाब फिल्म थी. यूनिक कहानी होने की वजह से इसने अमेरिका समेत दुनियाभर के दर्शकों का ना सिर्फ मनोरंजन किया बल्कि जबरदस्त कमाई भी की. फिल्म ने अकेडमी अवॉर्ड समेत सिनेमा क्षेत्र के कई प्रतिष्ठित अवॉर्ड अपने नाम किए थे. फॉरेस्ट गंप के मेकर्स लाल सिंह चड्ढा को प्रमोट करते दिख सकते हैं. असल में फॉरेस्ट गंप को पैरामाउंट पिक्चर्स ने डिस्ट्रीब्यूट किया था. फॉरेस्ट गंप के 28 साल बाद पैरामाउंट पिक्चर्स अब लाल सिंह चड्ढा को भी ग्लोबली वितरित करेगा. आधिकारिक घोषणा हो चुकी है.

LSC aamir khanफॉरेस्ट गंप और लाल सिंह चड्ढा की तुलना स्वाभाविक है.

पैरामाउंट का जुड़ना आमिर खान की रणनीति का बड़ा हिस्सा है?

अब आते हैं असल बात पर. आमिर के लिए फॉरेस्ट गंप से तुलना ही एक बड़ी चुनौती बनकर खड़ी है. एक तो जिस दिन लाल सिंह चड्ढा रिलीज हो रही है- बॉक्स ऑफिस पर उनके सामने अक्षय कुमार की फैमिली एंटरटेनर रक्षाबंधन होगी. बच्चन पांडे और सम्राट पृथ्वीराज को छोड़ दिया जाए तो पिछले एक दशक से अक्षय सबसे बिकाऊ और भरोसेमंद एक्टर नजर आते हैं. आमिर के लिए अक्षय से मुकाबला मुश्किल ही होगा. दूसरा यह भी कि मौजूदा हिंदू-मुस्लिम शोर में सिर्फ आमिर के होने भर से लाल सिंह चड्ढा का विरोध किया जा रहा है. आमिर के अपोजिट करीना हैं तो यह भी विरोध की एक वजह है.

अभी से आमिर और उनकी फिल्म के बहिष्कार की बातें दिख रही हैं. लाल सिंह चड्ढा को रिलीज से पहले ही कमतर बताया जा रहा है और एक तगड़ा निगेटिव कैम्पेन तुलनात्मक रूप से भी नजर आ रहा है. आमिर के फिल्म की झलकियाँ सामने आने के बाद उसकी तुलना फॉरेस्ट गंप से हो रही है. स्वाभाविक है कि आमिर की फिल्म को इससे नुकसान पहुंच रहा है. लेकिन यह नुकसान उस स्थिति में जरूर कमजोर हो सकता है जब फॉरेस्ट गंप के मेकर्स लाल सिंह चड्ढा को भी प्रमोट करने आगे आ जाए.

वर्ल्ड वाइड डिस्ट्रीब्यूशन के लिए पैरामाउंट का आमिर के साथ जुड़ना करीब-करीब इसी दिशा में सोचा समझा कदम है. फारेस्ट गंप की अपनी लीगेसी है. और अब पैरामाउंट के आ जाने की वजह से उसका फायदा आमिर की फिल्म को मिलना तय है. हां- फायदा कितना मिलेगा? यह बाद की बात है. यह भी हो सकता है कि पैरामाउंट मूल फिल्म की स्टारकास्ट के जरिए कोई तगड़ी प्रमोशनल एक्टिविटी भी ड्राइव कर दे. यानी टॉम हैंक्स या रोबिन राइट, लाल सिंह चड्ढा देखने की अपीलें करें. बावजूद यह बड़ा सवाल तो बना ही रहेगा कि आखिर टॉम हैंक्स की फिल्म देख चुके दर्शक आमिर की फिल्म किन वजहों से देखें?

lal-singh-650_071822014640.jpgआमिर खान लाल सिंह चड्ढा के किरदार में हैं.

जब फॉरेस्ट गंप से तुलना हो रही है, मूल फिल्म के मेकर्स ही LSC का प्रचार करें तो इससे बढ़िया और क्या?

मानवतावादी युद्ध विरोधी फिल्म 'फॉरेस्ट गंप' को दुनियाभर में क्लासिक का मिला है. इसे यूं ही दुनिया की सबसे बेहतरीन युद्ध विरोधी फिल्मों में शुमार नहीं किया जाता. टॉम हैंक्स ने फिल्म के जरिए अभिनय के सभी स्थापित मानदंडों को ध्वस्त कर दिया था. दुनिया के किसी भी अभिनेता (आमिर खान भी) के लिए फिल्म में उनका काम- मील का पत्थर है. अभी कुछ हफ्ते पहले जब लाल सिंह चड्ढा का ट्रेलर आया था - आमिर की फिल्म से जुड़े कई रहस्यों से पर्दा उठ गया था.

लाल सिंह चड्ढा की कहानी और आमिर के अलग-अलग लुक्स से पर्दा उठने के बाद स्वाभाविक था कि लाल सिंह चड्ढा की मूल फिल्म से तुलना भी दिखे. हुआ भी. समीक्षकों ने फिल्म की रिलीज तक इंतज़ार करने को तो कहा, मगर टॉम हैंक्स और आमिर की तुलना में जमीन-आसमान का अंतर बताने लगे. अंतर दिखा भी. ठीक यही अंतर फॉरेस्ट गंप और लाल सिंह चड्ढा की स्टोरी, मेकिंग को लेकर भी हुई. लगभग सभी ने माना कि अद्वैत चंदन के निर्देशन में फॉरेस्ट गंप का बॉलीवुड अडाप्शन भले ही भारतीय दर्शकों के लिहाज से बहुत मनोरंजक बना दी जाए, मगर अभिनय और कंटेंट के मामले में वो बात नजर नहीं आ रही जो मूल फिल्म में दिखती है.

ट्रेलर के बाद सोशल मीडिया पर लाल सिंह चड्ढा में आमिर के किरदार के अलग-अलग भावों को साझा कर लोगों ने उसे वाहियात करार दिया था. कुछ ने तो यहां तक दावा किया कि कम से कम बॉलीवुड में क्षमता नहीं है कि वह टॉम हैंक्स की फिल्म का रीमेक सही ढंग से बना पाए. कुछ तकनीकी वजहें भी बताई गईं. उदाहरण के लिए भारत और अमेरिका के समाज और राजनीति में फर्क को भी बड़ी वजह के रूप में पॉइंट आउट किया गया. फॉरेस्ट गंप अमेरिका की कहानी है. अमेरिका आर्थिक रूप से दुनिया के सबसे समृद्ध देशों में शुमार है.

फॉरेस्ट गंप के संदर्भ दुनियाभर के ऑडियंस को क्लिक करते हैं, आमिर कहां से लाएंगे यह बात

स्वाभाविक है कि आर्थिक समृद्धि का असर अमेरिकी समाज और राजनीति की सोच और उसके विजन पर भी पड़ा है. भारत आर्थिक, सामजिक और राजनीतिक रूप से अमेरिका से बहुत पीछे नजर आता है. दोनों देशों में संस्कृति का भी बड़ा अंतर है. फॉरेस्ट गंप की कहानी के जरिए अमेरिकी संस्कृति और उसके आधुनिक इतिहास को दिखाया गया है. इसमें समाज और राजनीति को प्रभावित करने वाली घटनाओं का संदर्भ लिया गया है. अमेरिका ने दुनिया के तमाम देशों में जाकर युद्ध लड़े हैं. इन युद्धों ने अमेरिकी समाज और व्यवस्था पर हर लिहाज से गहरा असर डाला.

शांति सेनाओं को बाहर भेजने के मामलों को छोड़ दिया जाए तो भारत के पास ऐसा कोई अनुभव ही नहीं है. राजनीतिक चीजों को ईमानदारी से कहने की बोल्डनेस भी बॉलीवुड में तो नहीं दिखती है. तो इस आधार पर भी लाल सिंह चड्ढा, फॉरेस्ट गंप की नकली और थोपी गई कहानी जैसी लगती है. फिल्म आने तक इस बात की गुंजाइश बनी रहेगी कि लाल सिंह चड्ढा में भारतीय दर्शकों को देखने के लिए बहुत चीजें मिलें, मगर सौ टके का सवाल तो यही है कि ग्लोबली ऑडियंस के लिए क्या होगा? क्योंकि फॉरेस्ट गंप से ग्लोबली ऑडियंस के जुड़ने की एक वजह तो यह भी रही है कि वहां जिन घटनाओं के संदर्भ लिए गए हैं- दुनिया के तमाम देशों पर उसका किसी ना किसी रूप में असर था. पड़ोसी देशों से युद्ध को छोड़ दिया जाए तो भारत में ऐसी घटनाएं शायद ही मिलें.

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