जनता के बॉयकॉट के विरोध में उतरे अर्जुन कपूर उड़ते तीर के पीछे दौड़े हैं!
अर्जुन कपूर ने रोष जताते हुए कहा है कि, जनता का बॉयकॉट कुछ ज्यादा ही हो रहा. हमने काफी कीचड़ झेल लिया है.अर्जुन का मानना है कि अब पूरे बॉलीवुड को बॉयकॉट बॉलीवुड ट्रेंड के खिलाफ एकजुट हो जाना चाहिए.
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हाय कमाल करते हो अर्जुन बाबू ! एक तो तुम्हारी कोई फिल्म अपने दम पर चली नहीं. उस पर तुमने छोड़ा ये बम का गोला की 'ये ज़्यादा हो रहा है. हम सबको यानि की फिल्मी दुनिया को एक होना चाहिए इस #बॉयकॉट ट्रेंड के खिलाफ'! ... हाय दईया वारी जाऊं! इत्ती हिम्मत किसी और मुद्दे पर नहीं देखी न इसलिए. देखो तुम्हारी पढ़ाई लिखाई के बारे में तो ज्यादा पता नहीं लेकिन गणित कमज़ोर है तुम्हारी, क्योंकि ये फिल्मी दुनिया नहीं हैं जहां अंत में हीरो ही जीतेगा. समझे ना ! ये आम आदमी की दुनिया है और जब बॉलीवुड स्टाइल में वो कहता है आता माझी सटकली तो करोड़ों की फिल्म धुआं हो जाती है और लाखों की फिल्म करोड़ो कमाई कर जाती है.
बॉयकाट बॉलीवुड को लेकर अर्जुन कपूर के तर्क बहुत बचकाने है जिसका खामियाजा एक इंडस्ट्री के रूप में बॉलीवुड को भुगतना होगा
नकल पर इतना दुलार
चलो पीछे बाद में जायेंगे पहले ये बताओ गुस्सा किसे दिखा रहे हो और किस बात पर? लाल सिंह चड्ढा - फिल्म सीन दर सीन कॉपी की गई है और अपनी क्रिएटिविटी के नाम पर वही पुराने मुद्दों पर बिल फाड़े गए है तो क्यों,आखिर क्यों तुम्हारे भीतर का कलाकार हाहाकार कर रहा है? अच्छी फिल्म देखनी है तो ओरिजनल देखेंगे! टॉम हैंक्स वाली. क्या चाहते हैं हींग लगे न फिटकरी और रंग चोखा! क्या है न कि सौ सौ करोड़ कमा कर आप लोगों का दिमाग खराब हो गया है और वो कहते है न मुंह को खून लग जाना वही हुआ है आप सबके साथ!
कहानी के नाम पर कचरा
तुम आज एक होने की बात इस धौंस से सिर्फ इसलिए कह पा रहे क्योंकि भैया आप लोगों की आदत जो बिगाड़ दी हम लोगों ने . मतलब बेसरपैर की फिल्में भी हम पॉप कॉर्न और कोल्ड ड्रिंक के जरिए गटका जाते थे. छीछोरे गानों पर नाचती कैटरीना-करीना अल्कोहल के साथ तंदूरी मुर्गी पेश करती और शीला की जवानी मचल उठती! इस बेहूदे तरीके से तुम लोगों ने पैसे कमाए और हद है दिमागी दिवालियेपन की हम लोगों ने ही तुमको इतना बड़ा बना दिया की आज करीना कपूर की हिम्मत हो गई ये कहने की, कि 'आप लोगो ने ही हमे बनाया है मत देखिए फिल्म!' अब हमने नहीं देखने की ठानी है! तो बाबू काहे ततैया का नाच , नाचत हो?
ये मुंह और मसूर की दाल
देखो तुम्हारी डायरेक्ट बेइज्जती का कोई इरादा नहीं है लेकिन यकीन जानो तुम मॉडलिंग मैटेरियल ठीक हो क्योंकि एक्टिंग तुमको ढेले की नहीं आती. शक्ल पर भाव भंगिमा यानी की फेशियल एक्सप्रेशन के नाम पर ठंडे नान के चबाए जाने का सा एहसास होता है. लेकिन जय हो नेपोटिज्म्म की, कि तुमको एक्टर की कटेगेरी में भी रखते है और तुमको रोजगार भी देते है वरना टैलेंट की कमी तो नहीं है.
हां और भूले हम सुशांत सिंह राजपूत को भी नहीं है जिसको तुम जैसों के गुट ने इस हद तक अकेला कर दिया कि उसने इस दुनिया से अलविदा कह दिया. अमीर अनपढ़ों की पूरी जमात है जिसे अपने शक्ल सूरत और पैसे का गुरुर है और वही अकड़ है जो तुम्हारे इस बयान में झलक रही है.
काम से काम न रखने का नतीजा
अब देखो तुम लोगो के नाम पूरी इंडस्ट्री कर दी.फिल्मे बनाओ, कला से एंटरटेनमेंट भी करो और इस सबमें अगर करोड़पति हो जाओ तो हम दिक्कत नहीं . भोली भाली जनता 250 रुपए की टिकट पर 400 रुपए के पॉपकॉर्न तुम पर स्वाहा कर के भी खुश है. बदले में तुम अपने काम से काम रखो. अपनी अक्ल का प्रदर्शन सिलेक्टिव मत करो. टुकड़े टुकड़े गैंग के साथ दीपिका फिल्म प्रमोट करने चली गई, आमिर को हिंदुस्तान में डर लगता है मतलब क्या है भाई.
राय दो तो हर मुद्दे पर दो सीना ठोक के दो, कश्मीर में हिंदू मारे तब भी और दलित बच्चे की पिटाई हुई तब भी,मंदिर मस्जिद हो तब भी, और किसी बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ तब भी और हां सर तन से जुदा हुआ तब भी. सेलेक्टिव सामाजिक प्रतिक्रिया, हिम्मत नहीं मौकापरस्ती होती है.
सेंसिबल फिल्म बफ्स
समझ आया क्या लिखा है ? नहीं आया होगा क्योंकि सेंसिबल फिल्मों का तुम हिस्सा नहीं रहे. सुनो पिछले दो साल में केवल बड़ी फिल्मों की शूटिंग बंद हुई और रिलीज़ टली, लेकिन एंटरटेनमेंट हम तक पहुंचा. वेबसिरीज के जरिए बेहतरीन कहानियां, निर्देशन, एक्टिंग सब कुछ, फुल पेकेज यू सी! और बोनस में वर्ल्ड सिनेमा, जापानी कोरियाई सिरीज़ सब कुछ... वही जियो के प्लेटिनम प्लान में घर तक!
क्या समझे!
फूल आपको मिले तो कीचड़ भी आपके हिस्से ही आएगा. वरना खुद ही बनाइए और खुद ही फिल्म देखिए! वैसे तुम बोल भी सकते हो क्योंकि क्या है ना कि तुमको यूं भी कोई देखने नहीं जा रहा बॉयकॉट होने के लिए भी कमर्शियल सफलता और पॉपुलैरिटी चाहिए. तो जाओ खेलो यूनिटी यूनिटी!
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