4 साल बाद हिंदी में आ रही है तमिल की ये ब्लॉकबस्टर फिल्म, मोदी समर्थकों ने क्यों किया था विरोध?
विजय की तमिल ब्लॉकबस्टर मेर्सल हिंदी में डब होकर रिलीज होगी. चार साल पहले जब फिल्म आई थी उसके कंटेंट की वजह से मोदी समर्थक और विरोधी आमने-सामने हो गए थे.
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चार साल पहले दीपावली के त्योहारी वीकएंड में तमिल सुपरस्टार विजय की फिल्म आई थी मेर्सल. अब इसी फिल्म को हिंदी में डब कर रिलीज करने की तैयारी है. मेर्सल के हिंदी वर्जन का टीजर आ चुका है. इसे गोल्डमाइंस टेलेफिल्म्स ने जारे एकिया है. इसे टीवी पर प्रीमियर किया जाएगा. टीजर आते ही ट्विटर पर फिल्म को लेकर तगड़ा बज देखने को मिल रहा है. कहा जा रहा है कि फिल्म 'ढिंचैक चैनल' पर रिलीज होगी. मेर्सल से पहले भी साउथ की कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों को गोल्ड माइंस ने इसी तरह हिंदी में डब करके रिलीज किया है.
टीवी प्रीमियर और यूट्यूब पर हिंदी में डब फिल्मों को खूब देखा गया है. मेर्सल एक्शन थ्रिलर मूवी है. तमिल में इसे जिस तरह हाथोंहाथ लिया गया, संभावना है कि हिंदी में भी दर्शकों का मनोरंजन करे. इसे एटली ने बनाया था. एटली को तमिल के सबसे होनहार फिल्म मेकर्स में शुमार किया जाता है. वे इस वक्त शाहरुख खान को भी लेकर एक एक्शन थ्रिलर बना रहे हैं जिसकी कई महीनों से चर्चा है. मेर्सल के साथ ही साउथ की कई और फिल्मों को हिंदी में डब कर इसी तरह लाने की योजना है.
मेर्सल में विजय.
मेर्सल का हिंदी टीजर नीचे देखें:-
#ThalapathyVijay's Blockbuster #Mersal (Hindi) Teaser.@actorvijay @Atlee_dirComing Soon Only On #Dhinchaak pic.twitter.com/1qwF4yVoNj
— Suresh Kondi (@SureshKondi_) January 27, 2022
मेर्सल के आने पर मोदी समर्थकों ने क्यों किया था विरोध?
साल 2017 में आई मेर्सल असल में एक डॉक्टर की कहानी है जो अपने स्तर पर मेडिकल सिस्टम में व्याप्त हालात से लड़ रहा है. विजय ने मारन नाम के एक डॉक्टर की भूमिका निभाई थी जो आम लोगों को होने वाली समस्याओं को उठाता है. रिलीज के बाद फिल्म के एक सीन को लेकर खूब राजनीति हुई. फिल्म रिलीज से पहले मोदी सरकार ने जीएसटी लागू किया था. इसे लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर तीखे आरोप लगा अरह था. एक सीन में संवाद के जरिए नायक सरकार पर सीधे सवाल उठाता है. वह कहता है कि जिन देशों में जीएसटी वसूला जाता, वहां सरकार की तरफ से लोगों को बदले में बेहतरीन सुविधाएं मिलती हैं. जबकि भारत में ऐसा नहीं है.
इसमें दवाइयों पर 12 प्रतिशत टैक्स लगाने और शराब कोई जीएसटी नहीं लगाने पर भी सवाल किया था. अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति को लेकर भी तीखे सवाल थे. उस वक्त उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में ऑक्सीजन की कमी से दर्जनों बच्चों की मौत हुई थी और अस्पतालों की दयनीय दशा लोगों के बीच चर्चा का केंद्र थी. फिल्म में नायक यह आरोप लगाते दिखता है कि टैक्स देने के बावजूद सरकार की कमियों की वजह से लोगों की मौत होती है. इन्हीं संवादों को लेकर भाजपा समर्थकों ने ख़ासा विरोध किया था और उस वक्त यह मोदी बनाम विजय की फिल्म का मुद्दा बन गया था.
भाजपा और विरोधी दलों ने फिल्म के बहाने खूब की राजनीति
तमिलनाडु की बीजेपी इकाई ने तो यहां तक आरोप लगाया कि फिल्म के जरिए मोदी के खिलाफ नफरती अभियान चलाया जा रहा है. राजनीतिक विवाद किस तरह सुर्ख़ियों में था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गैरभाजपा विरोधी तमाम दिग्गज नेताओं ने सोशल मीडिया पर विजय की फिल्म का सपोर्ट किया था. यहां तक कि राहुल गांधी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी एक ट्वीट किया गया. पूरे मामले में विपक्षी नेताओं ने विजय और उनकी फिल्म का सपोर्ट किया.
खैर मेडिकल क्षेत्र में कालाबाजारी और सरकारों के रवैये पर चोट करने वाली फिल्म मनोरंजक साबित हुई. राजनीतिक विवाद से मिली सुर्ख़ियों ने भी फिल्म के कारोबार को सपोर्ट किया. मेर्सल ने बॉक्स ऑफिस पर 200 करोड़ से ज्यादा की कमाई करने में कामयाब हुई थी. फिल्म में विजय के साथ नित्या मेनन, काजल अग्रवाल अहम भूमिका में थीं. इसकी कहानी केवी विजेंद्र प्रसाद और एस रमना गिरीवसन ने लिखा है. संगीत एआर रहमान का था. फिल्म के एक्शन सीन्स ने जमकर वाहवाही बटोरी थी.
शाहरुख को लेकर रीमेक बनाने की चर्चा क्यों हुई थी?
ब्लॉकबस्टर होने के बाद मेर्सल के हिंदी रीमेक की भी चर्चाएं सामने आई. शुरू शुरू में कहा तो यह भी गया कि एटली के साथ शाहरुख खान जो फिल्म कर रहे हैं असल में वो मेर्सल का ही हिंदी रीमेक है. मगर बाद में यह साफ़ हुआ कि किंग खान के साथ एटली की फिल्म एक फ्रेश कहानी है. हो सकता है कि बॉलीवुड ने हिंदी रीमेक में इसलिए भी दिलचस्पी बना दिखाई हो क्योंकि इसे लेकर खूब सारा राजनीतिक विवाद हुआ. वैसे भी बॉलीवुड पर सरकार विरोधी फिल्मों से बचने बचाने का आरोप लगता रहा है.
हिंदी में मेर्सल का अक्या होगा यह देखने वाली बात है. हिंदी वर्जन फरवरी में सामने आएगा.
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