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Updated: 30 दिसम्बर, 2019 07:23 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
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साल 2019 की आखिरी फिल्म Good Newwz लोगों का अच्छा खासा मनोरंजन कर रही है. लोग हंसते-हंसते साल को विदा कर रहे हैं. लेकिन जाते-जाते इस फिल्म ने साल की आखिरी कंट्रोवर्सी भी दे दी है. फिल्म यूं तो एक कॉमेडी फिल्म है लेकिन कुछ लोग इस फिल्म से खुश नहीं हैं. दो विवाद इस फिल्म से जुड़े, जिसपर अक्षय कुमार(Akshay Kumar) की प्रतिक्रिया आई है.

जैसा की सबको पता है कि अक्षय कुमार की फिल्म गुड न्यज sperm swapping पर आधारित है. और इस फिल्म में IVF कराने आए दो जोड़ों के बीच गलती से स्पर्म बदल जाते हैं क्योंकि दोनों परिवारों के सरनेम एक जैसे थे. और इसके बाद दोनों परिवारों का स्ट्रगल लोगों को हंसाता भी है और इमोशनल भी करता है. फिल्म को पब्लिक का बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है और 4 दिनों में इस फिल्म ने 78 करोड़ का बिजनेस किया है. और लोग इसे पैसा वसूल फिल्म बता रहे हैं.

akshay kumarअक्षय कुमार की फिल्म गुड न्यूज पर अक्षय की आलोचना हो रही है

Good Newwz को लेकर आलोचनाएं भी हुईं

कुछ क्रिटिक्स ने इसे कंप्लीट इंटरटेनर कहा तो किसी ने ये कहकर आलोचना की कि ये फिल्म बच्चा गोद लेने और गर्भपात को लेकर समाज में व्यप्त रूढ़ीवाद को बढ़ावा देती है. फिल्म में कियारा करीना से कहती हैं कि 'अपना खून तो आखिर अपना खून होता है', वहीं डॉक्टर बनी टिस्का चोपड़ा भी करीना को ये बता रही हैं कि- 'गर्भवती होना तो किसी भी महिला के लिए आशीर्वाद की तरह है'. ये दोनों ही बातें पुरानी सोच को दर्शाती हैं. तो वहीं इस फिल्म के एक डायलॉग पर अक्षय कुमार की भी आलोचना की गई और कहा गया कि अक्षय ने भगवान राम का मजाक बनाया है.

देखिए राम पर क्या कहा था अक्षय ने-

अक्षय ने कहा फिल्म को फिल्म की तरह से देखें

इस फिल्म से जुड़े विवादों पर जब अक्षय कुमार से पूछा गया तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि- फिल्म का एक किरदार ये सब कह रहा है. भगवान के लिए जब आप कोई फिल्म देखें तो उसके किरदार को देखें, उसमें गलतियां मत निकालें.

अक्षय ने कहा- 'फिल्म में डॉक्टर दीप्ति (करीना) से कहती है कि अगर IVF करवाना है तो उसे जॉब छोड़ना पड़ेगा, लेकिन दीप्ति के पति वरुण (अक्षय) ने तुरंत पूछा- लेकिन मैं काम कर सकता हूं हैं न?? लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि मैं पुरुषों को ये सिखा रहा हूं कि वो भी मेरे जैसे ही बनें. वो सिर्फ एक किरदार है. मैं उन क्रिटिक्स की इज्जत करता हूं जो ये सब करते हैं, लेकिन मैं उनसे प्रार्थना करता हूं कि वो फिल्म को फिल्म की ही तरह से देखें. इसे बेवजह मत खोदें.'

अक्षय कुमार की बात से पूरी तरह सहमत नहीं हुआ जा सकता

माना की अक्षय ने जो कहा वो सही था. फिल्में लोगों का मनोरंजन करने के लिए होती हैं और उन्हें उसी तरह देखना भी चाहिए. लेकिन फिल्में समाज का आईना भी होती हैं. फिल्मों में जो दिखाया जाता है वो समाज का ही एक रूप होता है. अगर इस फिल्म में दिखाया कि बच्चा गोद लेने और गर्भपात को लेकर लोग क्या सोचते हैं तो वो सही है, समाज ऐसा ही है. तभी तो IVF clinics का बाजार चल रहा है. लेकिन अक्षय क्या सभी फिल्म बनाने वालों को ये समझना होगा कि दर्शक थिएटर जाने के बाद फिल्म से जुड़ जाते हैं. वो हर किरदार में खुद को खोजने की कोशिश करते हैं और ऐसा करने पर नैतिक और भावनात्मक आधार पर वो फिल्म से जुड़ते ही हैं. तब इस तरह की कोई भी बात लोगों के दिल और दिमाग पर असर तो करती ही है. तो क्रिटिक्स कुछ कैसे न बोलें. वहीं इस बात पर भले ही अक्षय सही हों, लेकिन नैतिकता की बात करें तो अक्षय ने जो राम के नाम पर मजाक किया उसका बचाव वो किस तरह से करेंगे. क्या लोगों की भावनाएं राम के साथ इसी तरह से जुड़ी हुई हैं? राम लोगों के लिए भगवान हैं और इस नाम के साथ किसी भी तरह का मजाक लोगों की भावनाओं को आहत कर सकता है.

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तो फिलहाल इस फिल्म को देखने वाले लोगों में कुछ हैं जिन्हें फिल्म जबरदस्त entertainer लगी, जिन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि राम के नाम पर मजाक हुआ या फिर गर्भपात या फिर adoption को लेकर कोई गलत बात दिखाई जा रही है. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो फिल्म को उसके डायलॉग्स की वजह से regressive बता रहे हैं. यानी ये दर्शकों पर ही निर्भर करता है कि वो अपनी समझ के हिसाब से फिल्म और फिल्म से जुड़े संदेश को समझें. लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं कि फिल्म में moral values को किनारे रखकर कुछ भी परोस दिया जाए और और बाद में अक्षय कुमार जैसे लोग क्रिटिक्स से अपना नजरिया बदलने की प्रार्थना करते रहें.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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