Annabelle Rathore Review: ऐसी हॉरर फिल्मों की कॉमेडी से भगवान बचाए
ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर हॉरर-कॉमेडी फिल्म 'भूत पुलिस' के बाद अब तापसी पन्नू (Taapsee Pannu) और विजय सेतुपति (Vijay Sethupathi) की तमिल-तेलुगु फिल्म 'एनाबेल सेतुपति' (Annabelle Sethupathi) रिलीज हुई है. इसे हिंदी में नए नाम 'एनाबेल राठौर' के नाम से रिलीज किया गया है.
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दर्शक हॉरर-कॉमेडी जॉनर की फिल्मों को हमेशा से ही पसंद करते रहे हैं. यही वजह से इस जॉनर की फिल्में अक्सर रिलीज की कतार में रहती हैं. पिछले कुछ सालों में 'स्त्री', 'रूही' और 'लक्ष्मी' जैसी हॉरर-कॉमेडी फिल्में रिलीज़ हुई हैं, जिन्होंने इस जॉनर को एक नई दिशा दी है. खासकर राजकुमार राव और श्रद्धा कपूर की फिल्म 'स्त्री' ने मेकर्स में यह समझ विकसित की है कि हॉरर फिल्मों में कॉमेडी का तड़का एक नए अंदाज में लगाया जा सकता है. हाल ही में रिलीज हुई सैफ अली खान और अर्जुन कपूर की हॉरर-कॉमेडी फिल्म भूत पुलिस के बाद डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर अब तापसी पन्नू और विजय सेतुपति की तमिल-तेलुगु फिल्म 'एनाबेल सेतुपति' रिलीज हुई है. इसे हिंदी में नए नाम 'एनाबेल राठौर' के नाम से रिलीज किया गया है.
'एनाबेल' नाम सुनते ही हॉलीवुड हॉरर फिल्म सीरीज एनाबेल का नाम जेहन में आ जाता है. हॉलीवुड फिल्म एनाबेल 2014 में रिलीज हुई अब तक की सबसे डरावनी फिल्मो में से एक है. इसके कई सीक्वल आ चुके हैं. पूरी दुनिया में इस फिल्म को पसंद किया गया है. सही मायने में 'एनाबेल' हॉरर शब्द का पर्याय बन चुका है. 'एनाबेल सेतुपति' फिल्म के मेकर्स ने इस शब्द की लोकप्रियता को भुनाने के लिए ही शायद टाइटल में इसका इस्तेमाल किया है. इसके टाइटल का दूसरा शब्द है 'सेतुपति' जो साउथ सिनेमा के सुपरस्टार विजय सेतुपति का सरनेम है. इसे उनकी लोकप्रियता को भुनाने का प्रयास मान सकते हैं. विजय फिल्म में लीड रोल में हैं. उनके साथ एक्ट्रेस तापसी पन्नू, साउथ एक्टर जगपति बाबू, योगी बाबू भी हैं.
फिल्म 'एनाबेल सेतुपति (राठौर)' में तापसी पन्नू और विजय सेतुपति मुख्य भूमिका में हैं.
Annabelle Rathore फिल्म की कहानी
फिल्म 'एनाबेल सेतुपति (राठौर)' की कहानी देश की आजादी के तुरंत बाद के उस दौर में पहुंचती है, जब रियासत-जमींदारी और राजे-रजवाड़े हुआ करते थे. उस समय एक जमींदार चंद्रभान (जगपति बाबू) अपनी बेइंतहा संपत्ति को बेंचकर पैसा बनाना चाहता है. उसको पता चल जाता है कि आजाद भारत की सरकार बहुत जल्द जमींदारों से उनकी जमीनें लेकर गरीबों और जरूरतमंदों के देने वाली है. इससे पहले वो अपनी जमीनें बेचने के लिए बोली लगवाता है. उसी समय राजा देवेंद्र सिंह राठौर (विजय सेतुपति) नीलामी में पहुंचकर उसकी एक पहाड़ी खरीद लेता है. चंद्रभान में सोच में पड़ जाता है कि आखिर राजा ने पहाड़ी क्यों खरीदी है, इसी चिंता में दिन-रात डूबा रहता है. इधर, राजा देवेंद्र सिंह राठौर की मुलाकात सरेराह एक अंग्रेज लड़की एनाबेल (तापसी पन्नू) से होती है.
देवेंद्र सिंह राठौर और एनाबेल पहली मुलाकात में ही एक-दूसरे को अपना दिल दे बैठते हैं. दोनों शादी कर लेते हैं. राजा राठौर अपनी रानी ऐनाबेल से प्यार की निशानी के तौर पर उसी पहाड़ी पर एक भव्य महल बनवाते हैं. उस महल को देख जमींदार चंद्रभान की नीयत खराब हो जाती है. वो राजा से महल बेचने के लिए कहता है, लेकिन वो इंकार कर देते हैं. इससे नाराज होकर चंद्रभान राजा-रानी की जहर देकर हत्या करा देता है. इसके बाद फिल्म की कहानी आज के दौर में आ जाती है. चोरों का एक गैंग ट्रेन में चोरी की वारदात करते हुए पुलिस के हत्थे चढ़ जाता है. इस गैंग की लीडर रुद्रा (तापसी पन्नू) होती है. इस गैंग में उसके अपने माता-पिता और भाई शामिल होते हैं. पुलिस इंस्पेक्टर के सामने पूरा परिवार इस तरह का नाटक करता है कि वो इन्हें छोड़ने के लिए तैयार हो जाता है.
पुलिस इंस्पेक्टर उन्हें एक शर्त पर रिहा करने की बात करता है. वो ये कि पूरे परिवार सहित रुद्रा इंस्पेक्टर की एक पुश्तैनी हवेली की साफ-सफाई करेगी. रुद्रा तैयार हो जाती है. लेकिन उनको नहीं पता होता कि उस हवेली में भूतों का साया है. हवेली में पहुंचकर रुद्रा का परिवार योजना बनाता है कि महल की बेशकीमती चीजें लेकर चंपत हो जाएंगे, लेकिन वहां मौजूद भूत उनको काबू में करने की योजना बनाते हैं. वो खाने में जहर डाल देते हैं, ताकि उनकी मौत हो जाए और वो भी उनकी तरह भूत बन जाए. लेकिन ऐसा हो नहीं पाता. रुद्रा खाना खाती तो है, लेकिन वो मरने की बजाए भूतों को देखने लगती है. उसका परिवार जहर खाने से बच जाता है. इस तरह रुद्रा और भूतों के बीच लंबी बातचीत होती है, जिसमें पूर्नजन्म की कहानी बुनी गई है. इसमें रुद्रा कैसे भूतों को मुक्ति दिलाने में कामयाब होती है? रुद्रा जो कि पिछले जन्म में रानी होती है, उसकी मुलाकात इस जन्म में देवेंद्र सिंह राठौर से कैसे होती है? ये जानने के लिए फिल्म देखनी पड़ेगी.
Annabelle Rathore फिल्म की समीक्षा
फिल्म 'एनाबेल सेतुपति (राठौर)' बहुत ही निराश करती है. मुझे एक बात समझ में नहीं आती है कि कुछ फिल्म मेकर्स को ये बात क्यों नहीं समझ में आ रही है कि अब फार्मूला बेस्ड फिल्में नहीं चलने वाली हैं, खासकर ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर, जहां ओरिजनल और यूनिक कंटेंट की लड़ाई पहले ही कठिन हो चुकी है. पहले फिल्में सुपरस्टारों के कंधों पर उनके स्टारडम के सहारे ढोई जाती थीं, लेकिन अब दर्शक जरा सी खराब फिल्म को सिरे से नकार देते हैं. फिल्म 'एनाबेल सेतुपति (राठौर)' में सारे पैंतरे अपना गए हैं, जो इसे हिट बना सकते थे. जैसे कि फिल्म में साउथ के सुपरस्टार विजय सेतुपति और बॉलीवुड की दमदार एक्ट्रेस तापसी पन्नू को कास्ट किया गया है. सेतुपति का नाम भुनाने के लिए फिल्म के तमिल-तेलुगु टाइटल में उनका शामिल किया गया है. हिंदी में राठौर शब्द का इस्तेमाल किया गया है. आपको अक्षय कुमार की सुपरहिट फिल्म 'राउडी राठौर' याद होगी. राठौर शब्द इसिलिए लिया गया है ताकि लोग आसानी से कनेक्ट कर सकें.
फ़िल्म को हॉरर-कॉमेडी जॉनर का बताया गया है, लेकिन इसमें हॉरर और कॉमेडी दोनों नज़र नहीं आते. एक भी ऐसा सीन नहीं है, जिसे देखकर दर्शकों के मन में जरा भी डर पैदा हो, न ही ऐसा कोई सीन या डायलॉग है, जो दर्शकों को हंसा सके. 'बंगले में भूत है' जैसी कहानियां एक लंबे अरसे से फिल्मों और टीवी शो में देख-देखकर दर्शक पहले ही ऊब चुके हैं. ऐसे में इस फिल्म को क्या सोचकर बनाया गया है, ये मेरे समझ से परे हैं. फ़िल्म को दीपक सुंदरराजन ने निर्देशित किया है. इसकी कहानी भी उन्होंने ही लिखी है. कमजोर कहानी और ढीला निर्देशन पूरी फिल्म पर भारी पड़ता है. वरना विजय सेतुपति और तापसी पन्नू को लेकर एक बेहतरीन फिल्म बनाई जा सकती थी. फिल्म को प्रदीप ई रागव ने एडिट किया है. बैकग्राउंड स्कोर कृष्णा किशोर ने क्रिएट किया है, जो कि बेहद खराब है. एक हॉरर फिल्म की सबसे बड़ी ताकत उसका बैकग्राउंड स्कोर/म्यूजिक होता है, जो कि इस फिल्म में कॉमेडी करता हुआ नजर आता है.
कुल मिलाकर, फिल्म 'एनाबेल सेतुपति (राठौर)' तापसी पन्नू जैसी एक्ट्रेस के लिए अबतक की सबसे खराब फिल्म मानी जा सकती है. इसे नहीं देखना ही ज्यादा सही रहेगा. समय और सेहत दोनों का नुकसान होने से बच जाएगा. अभी तो इसके दूसरे पार्ट का ऐलान भी इस फिल्म के अंत में किया गया है. पहली फिल्म हमारे जैसे दर्शक तो झेल नहीं पाए, दूसरे से भगवान ही बचाए.
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