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Updated: 19 अप्रिल, 2016 06:37 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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90 के दशक में आज के ये सुपर स्टार्स आमिर खान, शाहरुख खान और सलमान खान तीनों बॉलीवुड में जम चुके थे. लड़कियों को इन्होंने अपना दीवाना बना रखा था. लेकिन तभी बॉलीवुड में एक मूछों वाले हीरो की एंट्री हुई, जाहिर है मूछों वाले एक्टर हमेशा से दक्षिण भारतीय फिल्मों में दिखाई देते रहे हैं. लेकिन इस एक्टर ने अपने इनोसेंट लुक्स और मूछों के साथ इन सूपरस्टार्स को चुनौती दी थी. ये स्टार कोई और नहीं रोजा फेम अरविंद स्वामी हैं, जो 15 सालों के बाद बॉलीवुड में एक बार फिर वापसी कर रहे हैं.

बॉलीवुड में फिल्म डियर डैड से वापसी कर रहे हैं अरविंद स्वामी. ये रहा इस फिल्म का ट्रेलर-

कैसा था अरविंद स्वामी का फिल्मी सफर

अरविंद का फिल्मी सफर काफी हैरान करने वाला है. उनकी पहली फिल्म थी तलापति जो 1991 में रिलीज हुई थी. तब से आब तक अरविंद स्वामी ने केवल 20 फिल्में ही कीं, जबकि उनके साथ के कलाकार इस दौरान 60-70 फिल्में कर चुके हैं. इसकी एक नहीं कई सारी वजहें हैं.

एक एक्सिडेंटल एक्टर

अरविंद स्वमी कहते हैं कि वो एक 'एक्सिडेंटल एक्टर हैं', जो अचानक से एक्टर बन गए. उन्होंने फिल्मों में एक्टिंग का सोचा भी नहीं था. कॉलेज के दौरान पॉकेटमनी के वो मॉडलिंग किया करते थे. तभी निर्देशक मणिरत्नम की नजर उनपर पड़ी और उन्हें फिल्म तलापति में काम करने का ऑफर दिया गया. ये अरविंद की पहली फिल्म थी जो 1991 में रिलीज हुई. उसके बाद मणिरत्नम ने उन्हें लीड रोल दिया फिल्म रोजा में.

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फिल्म रोजा  जब रिलीज हुई तब अरविंग केवल 21 साल के थे

रोजा 1992 की सबसे शानदार फिल्म थी. ये फिल्म इतिहास की सबसे प्रभावशाली फिल्मों में से एक रही है, जो लगभग हर भाषा में रिलीज हुई थी और इसलिए फिल्म 'रोजा' को अरविंद की पहली बॉलीवुड फिल्म कहा जाता है. इस फिल्म ने अरविंद स्वामी को रातों रात स्टार बना दिया था.  

चूंकि फिल्मों में वो इत्तेफाक से आए थे और उनका मक्सद फिल्मों में करियर बनाने का नहीं था. फिल्म 'रोजा' रिलीज होने से पहले ही वो आगे पढ़ाई के लिए विदेश चले गए थे, लेकिन 1993 में उनके माता पिता की मृत्यु होने के कारण वो भारत वापस लौट आए.

इस सदमे की वजह से वो अपने काम पर ध्यान नहीं दे पा रहे थे. इस दुख से उबरने के लिए उन्होंने वापस फिल्मों में वापसी का फैसला किया. उन्होंने कुछ 3- 4 फिल्में कीं और घर बसा लिया. 1995 में मणिरत्नम ने उन्हें फिल्म बॉम्बे के लिए साइन किया, जो एक शानदार हिट साबित हुई. इस फिल्म को करने के बाद अरविंद एमबीए करना चाहते थे, लेकिन मणिरत्नम ने उन्हें ऐसा करने से मना किया. क्योंकि पिल्मों में एक शानदार करियर उनका इंतज़ार कर रहा था. लेकिन खुद की सुनने वाले अरविंद ने मणि की बात नहीं मानी और एमबीए कर लिया.

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मणिरत्नम के निर्देशन और ए आर रहमान के संगीत से सजी फिल्म बॉम्बे एक यादगार फिल्म साबित हुई

फिल्मों में करियर नही बनान चाहते थे अरविंद

2000 में बनी फिल्म राजा को रानी से प्यार हो गया उनकी आखिरी बॉलीवुड फिल्म साबित हुई क्योंकि अपनी एक्टिंग से लोगों का दिल जीतने वाले अरविंद को इस इंडस्ट्री की चकाचौंध पसंद नहीं थी. वो इस लाइमलाइट से दूर जाना चाहते थे, और वो करना चाहते थे जिसका फिल्मी दुनिया से दूर दूर तक कोई लेना-देना न हो. अरविंद एक कारोबारी परिवार से ताल्लुक रखते थे, इसलिए उन्होंने आईटी सेक्टर में अपना बिजनेस शुरू किया. उन्होंने अपना सारा ध्य़ान अपने बिजनेस में लगाया और उसे भी बुलंदियों तक पहुंचाया.

फिल्म इंडस्ट्री में करोड़ों लोगों के दिल धड़काने वाला ये सितारा अपनी ही दुनिया में मसरूफ था. और इस मसरूफियत का आलम ये था कि 7-8 सालों तक अरविंद ने न तो कोई फिल्म देखी और न ही फिल्मी दुनिया से जुड़े किसी भी व्यक्ति से कोई संबंध ही रखा. अरविंद के दो बच्चे हैं एक बेटी और एक बेटा, जिनके साथ वो समय बिता रहे थे, लेकिन पत्नी से उनके संबंध ठीक नहीं चल रहे थे और वो उनसे अलग रहने लगीं थीं. 2003-2004 में वो अपने बच्चों का एक सिंगल पेरेंट बनकर ध्यान रख रहे थे. 2004 में उनका तलाक हो गया. 2005 तक वो अपने काम में इनना व्यस्त रहने लगे थे कि दिन में 18 से 20 घंटे काम किया करते थे.

लेकिन 2008 से उन्होंने दोबारा फिल्में देखना शुरू किया, उसके पीछे वजह ये थी कि किसी अवार्ड फंक्शन के लिए अरविंद को ज्यूरी का सदस्य बनाया गया था, उन्हें फिल्में देखनी ही पड़ीं क्योंकि उन्हें देखने के बाद ही वो अपनी राय दे पाते.

एक हादसा और फिल्मों में वापसी

तभी अरविंद के साथ एक हादसा हुआ. उन्हें स्पाइनल इंजरी हुई जिसकी वजह से उन्हें पार्शियल पेरालिसिस हो गया. क्योंकि वो एक लंबे समय तक बीमार रहे इसलिए अपने शरीर पर ध्यान नहीं दे सके, और उनका वजन काफी बढ़ गया. वो आत्मविश्वास खो चुके थे. और ऐसे में मणिरत्नम ने उन्हें काफी प्रोत्साहित किया कि वो वापस शेप में आएं.

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 बीमारी की वजह से अरविंद का वजन काफी बढ़ गया था

अरविंद ने शेप में आने के लिए काफी मेहनत की और डेढ महीने में ही उन्होंने 19 किलो वजन कम किया. और इसका सारा श्रेय वो मणिरत्नम को ही देते हैं जो अरविंद के बुरे समय में हर रोज मेसेज कर उनका हौसला बढ़ाते रहते थे. वो मणी ही थे जिन्होंने अरविंद को फिल्मी दुनिया में वापस खींच लिया और उनके साथ 2013 में फिल्म कदल बनाई.

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अरविंद के जीवन में मणिरत्नम एक खास जगह रखते हैं

इसी बीच अरविंद ने अपर्णा मुखर्जी से दूसरी शादी की, जो पेशे से वकील हैं. वो उन्हें बचपन से जानते थे. वो केप्टन लक्ष्मी सहगल के परिवार से हैं और भारत के पहले एयर चीफ मार्शल शुब्रोतो मुखर्जी की पोती हैं. वो अरविंद की फिल्मों के लिए रोमांचित रहती हैं, वो हमेशा उन्हें प्रेरित करती हैं और उनसे कहती हैं कि वो वही करें जो वो करना चाहते हैं. अब अरविंद अपने परिवार के साथ बेहद खुश हैं.

उन्होंने 2015 में मोहन राजा की फिल्म थनी ओरुवन की जिसमें उनका किरदार हीरो का नहीं बल्कि एक विलेन का था, फिल्म जबरदस्त हिट रही.

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 निर्देशक मोहन राजा के साथ अरविंद स्वामी

अब अरविंद फिल्मों के साथ-साथ अपना ऑफिस भी संभालते हैं. उनका कहना है कि उन्हें बहुत सारी फिल्में नहीं करनी, वो वहीं फिल्म करेंगे जिसकी स्क्रिप्ट उन्हें अलग लगेगी. और इसीलिए एक अलग कहानी के साथ अरविंद स्वामी बॉलीवुड में 15 सालों के बाद वापसी कर रहे हैं. ये फिल्म है डियर डैड जिसे बना रहे हैं तनुज भरमार.

अरविंद स्वामी फिल्मों से बंधकर नहीं रहना चाहते थे, उन्हें और भी बहुत सारी चीजें करनी थीं, आईटी सेक्टर में तो वो काम करते ही हैं साथ ही वो चाहते हैं कि आगे फिल्मों का निर्देशन भी करें. अब तक उन्होंने जो भी किया उसका आनंद लिया, लेकिन एक चीज जो उनके हिस्से थी और उन्हें नहीं मिली वो है स्टारडम. लेकिन अरविंद स्वामी वो एक्टर हैं जो स्टारडम के लिए काम नहीं करते. और इसीलिए उनकी वापसी की खबर ने लाखों दिलों को एक बार फिर से धड़का दिया है. अब इंतज़ार है 'डियर डैडी' का जो 5 मई को रिलाज हो रही है.

लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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