Ashram 3 Controversy: विवादित होना, मशहूर होने की पहली शर्त बनती जा रही है!
कहते हैं कि 'नाम में क्या रखा है', लेकिन यहां तो 'नाम' पर इतना कोहराम होता है कि नींद, सुकून और चैन, सब प्रभावित हो जाता है. जैसा कि वेब सीरीज आश्रम के नाम पर बवाल हो रहा है. वैसे ये कोई पहला मामला नहीं है, जब किसी फिल्म या वेब सीरीज और उसके नाम पर बवाल हुआ हो.
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आजकल विवादित होना फैशन और विवाद मशहूर होने का एक बड़ा हथकंडा बन चुका है. कहते हैं कि नकारात्मक प्रचार का असर व्यापक होता है. इसकी पहुंच अधिक से अधिक लोगों तक होती है. शायद यही वजह है कि इनदिनों फिल्मों और वेब सीरीज का विरोध और उस बहाने उनका प्रचार आम हो चला है. ताजा मामला प्रकाश झा के प्रोडक्शन और निर्देशन में बन रही बॉबी देओल की मशहूर वेब सीरीज 'आश्रम' से जुड़ा हुआ है. इस वेब सीरीज के तीसरे सीजन यानी 'आश्रम 3' की शूटिंग इनदिनों मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हो रही है. यहां शूटिंग के दौरान बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने जमकर बवाल किया. इतना ही नहीं विरोध कर रहे कुछ लोगों ने निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा पर स्याही भी फेंक दी. बजरंग दल का आरोप है कि वेब सीरीज में यह दिखाया जा रहा है कि हिंदू संत महिलाओं का शोषण कर रहे हैं.
प्रकाश झा के प्रोडक्शन और निर्देशन में बन रही वेब सीरीज 'आश्रम' में बॉबी देओल लीडस रोल में हैं.
शूटिंग के लिहाज से भोपाल प्रकाश झा की सबसे पसंदीदा जगह मानी जाती है. फिल्म राजनीति से लेकर चक्रव्यूह तक की शूटिंग उन्होंने यही पर की है. यहां की सियासत से लेकर स्थानीय कलाकारों में प्रकाश झा की गहरी पैठ है. ऐसा कहा जाता है कि वो मुंबई से ज्यादा वक्त भोपाल में बिताते हैं. इससे पहले भी आश्रम के दोनों सीजन के कई प्रमुख हिस्से की शूटिंग उन्होंने भोपाल में ही की है. लेकिन इस बार उनको भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. बजरंग दल के विरोध प्रदर्शन से पहले बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने भी वेब सीरीज पर अपनी आपत्ति जताई है. मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सीरीज का नाम 'आश्रम' रखने पर जताई आपत्ति है, तो वहीं भोपाल से सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा है कि इस वेब सीरीज से लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं, इसलिए तुरंत शूटिंग रुकवाई जाए.
Sets of Prakash Jha's web-series 'Ashram 3' vandalised in Bhopal, filmmaker's face smeared with ink#PrakashJha #BajrangDal #Ashram3 #Bhopal pic.twitter.com/05trjGhkKl
— editorji (@editorji) October 25, 2021
वैसे 'आश्रम' के खिलाफ विरोध की ये सारी बातें तब सामने आई हैं, जब वेब सीरीज की शूटिंग का एक बड़ा हिस्सा पहले ही पूरा हो चुका है. कुछ ही दिनों में इसका पोस्ट प्रोडक्शन भी शुरू हो जाएगा. क्योंकि प्रकाश झा इसे अगले साल रिलीज करने की योजना में हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि इस वेब सीरीज के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों का इस पर कितना असर पड़ने वाला है? कहीं ये वेब सीरीज को लाइम लाइट में लाने का हथकंडा तो नहीं है? या फिर कहीं इसके विरोध के बहाने कुछ सियासी दल या संगठन खुद को चमकाने की कोशिश तो नहीं कर रहे हैं? सियासत में ऐसा कई बार होता है कि खुद को लाइमलाइट में बनाए रखने के लिए जानबूझकर ऐसे मुद्दों पर सियासत की जाती है, जिससे की बज क्रिएट हो. लोगों को इसी बहाने उनके बारे में पता चल सके. उनके नाम का प्रचार-प्रसार मिल सके.
#Ashram3 crew and #PrakashJha attacked by #BajrangDal workers in Bhopal. pic.twitter.com/Xg7hNUAM3g
— Sonu Kanojia (@NNsonukanojia) October 25, 2021
ठीक उसी तरह फिल्म इंडस्ट्री ने भी विवाद को अपनी फिल्मों या वेब सीरीज को पॉपुलर करने का हथकंडा बना लिया है. कई बार जानबूझकर ऐसे विषय चुने जाते हैं, जिनका लोग विरोध करें. पूरे देश में जब विरोध प्रदर्शन होने लगता है. फिल्म को इसका पूरा माइलेज मिल चुका होता है, तब फिल्म मेकर उसमें मामूली बदलाव करके रिलीज कर देते हैं. इस तरह फिल्म को उतनी पॉपुलैरिटी मिल चुकी होती है, जितनी की करोड़ों खर्च करने के बाद भी नहीं मिल सकती. इसका सबसे बड़ा उदाहरण संजय लीला भंसाली की कुछ फिल्में हैं. उनकी फिल्म 'पद्मावत' आपको जरूर याद होगी. दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह स्टारर इस फिल्म सका निर्देशन संजय लीला भंसाली ने किया है. इस पर कई तथ्य गलत तरीके से पेश करने और राजपूत समुदाय को गलत दिखाने की कोशिश का आरोप लगा था.
इसे लेकर राजपूतों के एक संगठन 'करणी सेना' ने पूरे देश में फिल्म बैन करने के लिए विरोध प्रदर्शन किया था. करीब एक साल तक इस फिल्म का विरोध होता रहा. सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक यह मामला गूंजता रहा. बाद में इसका नाम बदलकर, विवादित सीन हटाकर रिलीज कर दिया गया. सबको लगा कि फिल्म तो फ्लॉप हो जाएगी, लेकिन उसका उल्टा हुआ. फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 585 करोड़ रुपए का कारोबार किया, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है. साल 2012 में आई फिल्म 'ओह माय गॉड' पर भी हिंदू धर्म का मखौल उड़ाने के आरोप लगे थे. यह फिल्म 20 करोड़ रुपए में बनी थी, लेकिन इसने बॉक्स ऑफिस पर 121 करोड़ रुपए की रिकॉर्डतोड़ कमाई कर डाली. इस फिल्म ने लागत से करीब 500 फीसदी ज्यादा कमाई की थी.
साल 2014 में रिलीज फिल्म 'पीके' पर धार्मिक संगठनों ने काफी आपत्ति दर्ज की थी. इसमें पहले न्यूड पोस्टर और बाद में हिंदू धर्म का मखौल उड़ाने के चलते आमिर सभी के निशानों पर आए थे. 122 करोड़ रुपए लागत से बनी इस फिल्म ने 616 करोड़ रुपए की कमाई की थी. यानी 405 फीसदी ज्यादा कमाई हुई. इसी उदाहरण से आप समझ सकते हैं कि विरोध का असर फिल्मों या वेब सीरीज के लिए हमेशा से फायदेमंद रहा है. इसी तरह सैफ अली खान की वेब सीरीज तांडव, जो अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई है, का जमकर विरोध किया गया. इसके खिलाफ देश में कई जगहों पर केस दर्ज कराए गए, लेकिन अंतत: क्या हुआ, न तो वेब सीरीज बैन हुई न कोई गिरफ्तार. इसलिए मेरा हमेशा से मानना रहा है कि विरोध प्रदर्शन करना सिर्फ एक नाटक है. इससे सिर्फ फिल्म मेकर्स को फायदा होता है. हां, इसी बहाने कुछ लोगों या संगठनों की राजनीति जरूर चमक जाती है, लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि ये चमक कितने दिनों तक टिकी रहती है.
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