Atithi Bhooto Bhava Movie Review: एक भूत की प्रेम कहानी जो आपको भावुक कर देगी
Atithi Bhooto Bhava Movie Review in Hindi: क्या भूतों को भी प्यार होता है, क्या उनमें भी प्यार का एहसास होता है? भूतों के प्यार के एहसास इंसानों से अलग कैसे होता है? सही मायने में ये प्यार होता क्या है? इन्हीं सारे सवालों के जवाब समेटे फिल्म 'अतिथि भूतो भव' जी5 पर स्ट्रीम हो रही है.
-
Total Shares
प्यार एक सुखद एहसास होता है. प्यार एक धागा है, जिसके जरिए पूरा संसार बंधा है. प्यार से ही परिवार है. दो इंसानों को यही प्यार आपस में जोड़ता है. एक रिश्ता बनाता है. लेकिन प्यार की डोर बहुत नाजुक भी होती है. उसे बहुत संभाल कर रखना होता है. यही वजह है कि जब भी किसी से प्यार हो, तो उसके सामने इजहार जरूरी होता है. कई बार कुछ लोग प्यार तो बहुत गहराई से करते हैं, लेकिन सोचते हैं कि इसे बार-बार बताने की क्या जरूरत है. ऐसे लोग यहीं मात खा जाते हैं. उनका रिश्ता बहुत जल्द या तो टूट जाता है या फिर दूर हो जाता है. जी5 पर स्ट्रीम हो रही फिल्म 'अतिथि भूतो भव' का संदेश भी कुछ ऐसा ही है. फिल्म में कई बार कहा गया है, ''सिर्फ प्यार करना ही जरूरी नहीं है. प्यार जताना भी आना चाहिए.'' फिल्म में प्यार की अहमियत को बहुत गहराई से दिखाया गया है.
हार्दिक गज्जर के निर्देशन में बनी फिल्म 'अतिथि भूतो भव' में प्रतीक गांधी, जैकी श्रॉफ, शरमीन सहगल, दिवीना ठाकुर और प्रभजोत सिंह अहम किरदारों में है. प्रतीक गांधी और हार्दिक गज्जर इससे पहले फिल्म 'भवई' में एक-दूसरे के साथ काम कर चुके हैं. ये फिल्म भी जी5 पर स्ट्रीम हुई थी. प्रतीक एक बेहतरीन अभिनेता माने जाते हैं. उन्होंने गुजराती सिनेमा में लंबे समय तक काम किया है. लेकिन 2020 में रिलीज हुई हर्षद मेहता की वेब सीरीज 'स्कैम 1992' ने उनको हिंदी बेल्ट में भी लोकप्रिय कर दिया. अपनी बेहतरीन अदाकारी के जरिए वो अपने हर किरदार में जान डाल देते हैं. जैसे कि इस फिल्म में एक अल्हड़ स्टैंडअप कॉमेडियन के किरदार में उन्होंने बहुत ही सहज अभिनय किया है. उनके साथ भूत के किरदार में जैकी श्रॉफ ने भी कमाल का काम किया है. कई सीन में वो भावुक कर जाते हैं.
Atithi Bhooto Bhava फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी एक स्टैंडअप कॉमेडियन श्रीकांत (प्रतीक गांधी) और सरदार माखन सिंह (जैकी श्रॉफ) की जिंदगी के आसपास घूमती है. श्रीकांत अल्हड़ और बेपरवाह है. अपनी गर्लफ्रेंड सुचारिता (शरमीन सहगल) के साथ चार से लिव-इन में रहता है. सुचारिता उससे शादी के लिए कहती है, तो हर बार टाल जाता है. इतना ही नहीं अपनी ही गर्लफ्रेंड का मजाक अपनी कॉमेडी में करता रहता है. दोनों के बीच अक्सर झगड़ा होता रहता है. इसी बीच एक रात झगड़े के बाद श्रीकांत बहुत ज्यादा शराब पी लेता है. नशे में एक पेड़ के नीचे टॉयलेट करता है. उसके बाद उसके सामने माखन सिंह (जैकी श्रॉफ) आ जाता है. माखन श्रीकांत के साथ उसके घर आ जाता है. अगले दिन पता चलता है कि माखन एक भूत है. इतना ही नहीं वो श्रीकांत के पिछले जन्म में उसका पोता होता है. यही वजह है कि माखन सिंह श्रीकांत को बार-बार दादा कहकर पुकारता है.
माखन श्रीकांत और सुचारिता को बताता है कि वो एक मंजू नामक एक लड़की से प्यार करता था. लेकिन इजहार नहीं कर पाने की वजह से मंजू की शादी दूसरे के साथ हो जाती है. इस गम में माखन मुंबई आ जाता है. यहां ट्रक चलाकर अपना जीवन यापन करने लगता है. कुछ समय बाद दिल का दौरा पड़ने की वजह से उसकी मौत हो जाती है. भूत बनकर वो अपने प्यार का इंतजार करने लगता है. माखन श्रीकांत से कहता है कि वो मंजू से मिलना चाहता है. मंजू मथुरा में रहती है. इस वजह से श्रीकांत, उसकी गर्लफ्रेंड और एक दोस्त माखन के साथ मथुरा जाते हैं. वहां जाने के बाद श्रीकांत को भी अपना पिछला जन्म याद आ जाता है. वो अपने पुराने घर को देखकर रोने लगता है. क्या माखन अपनी प्रेमिका मंजू से मिल पाता है? माखन-मंजू की प्रेम कहानी की वजह से श्रीकांत-सुचारिता की जिंदगी में क्या बदलाव आता है? ये जानने के लिए फिल्म देखनी होगी.
Atithi Bhooto Bhava फिल्म की समीक्षा
बॉलीवुड कई फिल्मों में भूतों और आत्माओं को इंसानों की मदद करते हुए दिखाया गया है. 'एक डाव भुताचा', 'चमत्कार' और 'फिल्लौरी' जैसी फिल्में उदाहरण हैं. लेकिन इन तमाम फिल्मों की फेहरिस्त में फिल्म 'अतिथि भूतो भव' लीक से हटकर नजर आती है. एक बेहत साधारण सी कहानी होते हुए भी पूरे समय बांधे रखती है. कभी हंसाती है, तो कभी रुलाती है. कभी सच्चे प्यार की परिभाषा बता जाती है. आज के वक्त में किसी के पास किसी के लिए समय नहीं है. हर व्यक्ति खुद में उलझा हुआ है. रिश्ते कमजोर पड़ते जा रहे हैं. ऐसे में ये फिल्म एक जरूरी वैक्सीन की तरह लगती है. इसका सबसे ज्यादा श्रेय फिल्म के निर्देशक और लेखन टीम को जाता है. हार्दिक गज्जर ने कमाल का काम किया है. श्रेयस अनिल लोवलेकर, प्रदीप श्रीवास्तव और अनिकेत वाकचौरे ने बेहतरीन पटकथा लिखी है. संतुलित और सहज संवाद लिखे हैं, जो सीधे दिल में उतर जाते हैं.
फिल्म के कलाकारों के अभिनय प्रदर्शन की जहां तक बात है, तो सभी ने अपने किरदार में जान डाल दी है. सबसे पहले प्रतीक गांधी की बात करते हैं. श्रीकांत के किरदार में उन्होंने अपने दमदार अभिनय से साबित कर दिया है कि वो लंबी रेस के घोड़े हैं. उनकी प्रतिभा की चमक आने वाले वक्त में ज्यादा तेज होनी है. जैकी श्रॉफ का तो कहना ही क्या. उम्र के इस पड़ाव में भी वो अपनी अदाकारी से हैरान कर रहे हैं. उनसे बेहतर भूत कोई दूसरा नहीं हो सकता. माखन सिंह के किरदार में उन्होंने अभिनय नहीं किया है, बल्कि उसे जिया भी है. फिल्म मलाल के बाद अभिनेत्री शरमीन सहगल से उम्मीदें बहुत ज्यादा बढ़ गई थीं, लेकिन उनको दूसरा कोई ऐसा मौका ही नहीं मिला, जिसमें वो खुद को दोबारा साबित कर सकें. लेकिन इस बार उनको मौका मिला है और उन्होंने उसे बखूबी इस्तेमाल भी किया है. दिवीना ठाकुर और प्रभजोत सिंह ने भी अपने किरदारों के साथ इंसाफ किया है.
कुल मिलाकर, फिल्म 'अतिथि भूतो भव' में भूत की कहानी होते हुए भी हॉरर नहीं है. इसके भूत को देखने के बाद आपको उससे प्यार हो जाएगा. एक ऐसा भूत जो प्यार करना सीखाता है. प्यार में जीना सीखाता है. प्यार के इजहार की अहमियत बताता है. एक बेहतरीन कहानी और शानदार अभिनय प्रदर्शन के लिए ये फिल्म जरूर देखी जानी चाहिए.
आपकी राय