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Updated: 24 दिसम्बर, 2021 03:18 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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कई बार हम कुछ चीजों के बारे में अपनी एक राय बना लेते हैं. अपनी समझ के मुताबिक हमारे में मन में जो खाका बनता है, वो नहीं होने पर दुख होता है, लेकिन कई बार खुशी भी मिलती है, 'चलो अच्छा हुआ, मैंने जो सोचा वो गलत साबित हुआ'. फिल्म अतरंगी रे (Atrangi Re Movie) का ट्रेलर देखने के बाद मैंने भी दो राय बनाई. पहली ये कि फिल्म की कहानी 'पकड़वा विवाह' (बिहार में जबरन किसी लड़के से लड़की की शादी कराना) जैसे घिसे-पिटे-पुराने मुद्दे पर आधारित है. दूसरा ये कि चाहे जो भी रहे फिल्म के हीरो तो अक्षय कुमार ही होंगे. लेकिन मेरी दोनों राय गलत साबित हुई. फिल्म न तो पकड़वा विवाह पर आधारित है, न ही अक्षय कुमार इसके हीरो हैं. सच कहूं तो अक्षय का किरदार 'धोखा' है. आपने गांवों में खेतों में लगे मानव पुतलों को देखा होगा, जो जंगली जानवरों को भगाने के लिए लगाया जाता है. उन्हें 'धोखा' कहा जाता है. जो दिखते तो इंसान हैं, लेकिन असलियत में होते नहीं हैं. वैसे ही अपने किरदार में अक्षय गैर-जरूरी लगे हैं.

हिंदी पट्टी में फिल्म 'अतरंगी रे' का पूरा प्रचार बॉलीवुड के 'खिलाड़ी' अक्षय कुमार के चेहरे को सामने रखकर किया गया है. वैसे ही फिल्म में वो महज चेहरा ही नजर आते हैं. उनका किरदार यदि कोई भी दूसरा अभिनेता निभाता तो फिल्म पर शायद ही कोई फर्क पड़ता. 138 मिनट की फिल्म में अक्षय महज 15 से 20 मिनट ही स्क्रीन पर दिखाई देते हैं. हालांकि, फिल्म के आखिरी हिस्से में निर्देशक ने उनके किरदार को केंद्रीय महत्व का बनाने की कोशिश की है, लेकिन उस समयावधि में फिल्म बहुत ज्यादा स्लो हो जाती है. यहां तक कि ये समझ आने लगता है कि फिल्म अब खत्म होने वाली है. सच कहें तो फिल्म 'अतरंगी रे' की असली जान धनुष और सारा अली खान की बेहतरीन अदाकारी, आनंद एल राय का कसा हुआ उम्दा निर्देशन और एआर रहमान का मधुर संगीत है. रहमान का संगीत फिल्म में सरप्राइज फैक्टर है.

sara-650_122421124917.jpgअक्षय कुमार की फिल्म अतरंगी रे के असली हीरो निकले धनुष और सारा अली खान.

Atrangi Re Movie की कहानी

फिल्म 'अतरंगी रे' की कहानी एक बिहारी लड़की रिंकू सूर्यवंशी (सारा अली खान) और तमिल लड़के विशू (धनुष) के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसमें एक जादूगर सज्जाद अली (अक्षय कुमार) की भूमिका भी अहम है. अपने नानी (सीमा बिस्वास) के घर रहने वाली रिंकू सूर्यवंशी जादूगर सज्जाद अली से प्यार करती है. उसके साथ जाने के लिए घर से 21 बार भाग चुकी है. इस वजह से उसकी कई बार जमकर पिटाई हुई है. रिंकू की हरकतों से तंग आकर नानी उसकी शादी करने का फैसला करती है. इसके लिए बिहार के बाहर के रहने वाले लड़के को पकड़कर रिंकू से जबरन शादी की योजना बनाई जाती है. इधर विशू अपने मेडिकल कॉलेज के दोस्तों के साथ बिहार आया हुआ है. उसकी भी चेन्नई में सगाई होने वाली होती है. इसी बीच उसको पकड़कर नानी के लोग घर ले आते हैं. जबरन रिंकू और विशू की शादी करा दी जाती है.

इसके बाद नानी रिंकू और विशू को दिल्ली जाने वाली ट्रेन में बिठाकर विदा कर देती है. रास्ते में विशू और रिंकू को बातचीत के बाद पता चलता है कि दोनों इस शादी से खुश नहीं है और अपने-अपने प्यार को पाना चाहते हैं. विशू रिंकू को लेकर अपने हॉस्टल आ जाता है. वहां दोनों कुछ दिन साथ रहते हैं. सज्जाद के अफ्रीका से वापस आने का इंतजार करते हैं. तभी विशू को अपनी सगाई के लिए चेन्नई जाना पड़ता है. रिंकू भी उसके साथ चली आती है. सगाई वाले दिन विशू का भेद खुल जाता है और उसकी सगाई टूट जाती है. इसके बाद विशू-रिंकू दिल्ली वापस चले आते हैं. कुछ दिन साथ में रहने के बाद दोनों एक-दूसरे से प्यार करने लगते हैं. विशू तमिल में अपने इजहार भी करता है, लेकिन रिंकू समझ नहीं पाती. उसी वक्त उसका प्रेमी सज्जाद वापस आ जाता है. वो उससे मिलने के लिए विशू को छोड़कर चली जाती है.

रिंकू अपने प्रेमी सज्जाद के साथ जाने की तैयारी कर रही होती है, तभी विशू के दोस्त को उसका एक राज पता चल जाता है. यही राज इस फिल्म की कहानी का मूल आधार है. एक ऐसा राज, जिसे निर्देशक आनंद एल राय ने फिल्म के लिए बचाकर रखा था. इस राज को खुलने के बाद जिस तरह फिल्म के किरदार हैरान होते हैं, वैसे ही सिनेमाघर में बैठे दर्शक भी दंग रह जाएंगे. फिल्म की मूल कहानी भले ही संवेदनशील है, लेकिन उसे दर्शाने के लिए दुनिया उतनी ही चटख और खुशदिल गढ़ी गई है. यही वजह है कि फिल्म एक ओर जहां आपको हंसने-मुस्कुराने के भरपूर मौके देती है, वहीं कई बार विषय की गंभीरता और रिंकू-विशू के दर्द से जुड़ने नहीं देती. दर्शक जैसे ही किसी सीन को देखकर भावुक होना शुरू होते हैं, एक नई कॉमेडी सीन सामने आ जाती है. अंत जानने के लिए फिल्म देखना जरूरी है.

Atrangi Re Movie की समीक्षा

किसी भी फिल्म में 6 चीजें सबसे ज्यादा अहम मानी जाती हैं. कहानी, निर्देशन, अभिनय, संगीत, कैमरा वर्क और संपादन. फिल्म की कहानी हिमांशु शर्मा और आनंद एल. राय ने लिखी है. इसमें सामाजिक संदेश प्रधान है, लेकिन ड्रामे-इमोशन के बीच कॉमेडी का ऐसा तड़का लगाया गया है कि दर्शक ठहाके लगाने पर मजबूर हो जाते हैं. फिल्म पकड़वा विवाह जैसी सामाजिक कुरूती पर ध्यान आकर्षित करती है, तो वही मानसिक बीमारियों के बारे में हमें आगाह करती है. ऐसे विषयों पर बॉलीवुड में बहुत कम फिल्में अभी बनी हैं. खासकर इतने गंभीर विषय को इतने सहज और सरल तरीके से पेश करना भी एक चुनौती पूर्ण काम है, जिसे आनंद एल राय ने बखूबी किया है. उनके निर्देशन में वो खास बात है, जो दर्शकों को 138 मिनट की फिल्म में एक सेकंड के लिए भी हिलने न दे. पलक न झपकने दे. कुर्सी से बांधकर रखे.

फिल्म का तीसरा मजबूत पक्ष इसके कलाकारों का दमदार अभिनय प्रदर्शन है. खासकर, सारा अली खान और धनुष अपनी अदाकारी से दिल जीत लेते हैं. अक्षय कुमार और धनुष जैसे अनुभवी अभिनेताओं के सामने सारा ने जो कमाल का प्रदर्शन किया है, उसे देखकर लगता ही नहीं कि वो नवोदित कलाकार हैं. रिंकू के किरदार में उन्होंने अपनी जान लगा दी है. वो अपने अभिनय प्रदर्शन को साहस और जबरदस्त विश्वास के साथ पेश करती हैं. उन्होंने साबित कर दिया है कि वो सैफ अली खान और अमृता सिंह की बेटी होने की वजह से नहीं बल्कि अपने शानदार काम की वजह से अभी बहुत आगे जाने वाली है. धनुष के बारे में तो सभी जानते हैं कि वो एक बहुमुखी कलाकार है. उन्होंने फिल्म के लिए विशू का किरदार जिया है. अलग-अलग परिस्थितियों में उनकी भावना अभिव्यक्ति और अभिनय प्रदर्शन मन मोह लेती है.

नितिन जिहानी चौधरी का प्रोडक्शन डिजाइन फिल्म को एक समृद्ध और जीवंत रूप देता है, जो बिहार के सीवान से शुरू होकर दिल्ली और चेन्नई तक जाता है. सिनेमैटोग्राफर पंकज कुमार का कैमरा वर्क बेतरीन है. उन्होंने विभिन्न शहरों के चरित्र को अलग-अलग तरीके से कैद करने का अच्छा काम किया है, जिससे फिल्म का लुक शानदार हो गया है. सबसे बेहतरीन फिल्म का संगीत है, जिसे एआर रहमान ने दिया है. उन्होंने एक बार फिर साबित किया है कि फिल्म इंडस्ट्री में उसे बेहतरीन संगीतकार अभी कोई नहीं है. इस फिल्म के गीतों के बोल इरशाद कामिल ने लिखे है, जो सीधे दिल में उतर जाते हैं. चाहे वो फिल्म का गाना 'चाका चक', 'तेरा रंग', 'तुम्हें मुहब्बत' हो या फिर 'लिटिल लिटिल' और 'रीत जरा सी', कर्णप्रिय है. रीमेक और रीक्रिएट के जमाने में ऐसा संगीत बहुत विरले फिल्मों में सुनने को मिलता है.

कुल मिलाकर, आनंद एल राय के निर्देशन में बनी फिल्म 'अतरंगी रे' एक बेहतरीन मनोरंजक फिल्म है, जिसे देखने के दौरान सामाजिक संदेश भी मिलेगा. इसे धनुष और सारा की कमाल की एक्टिंग, आनंद एल राय के शानदार निर्देशन और एआर रहमान के बेहतरीन संगीत के लिए जरूर देखा जाना चाहिए.

iChowk.in रेटिंग: 5 में से 4 स्टार

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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