Avrodh 2 Review: सेना के जवानों की वीरगाथा सुनाती एक मनोरंजक वेब सीरीज
Avrodh Web series Season 2 Review in Hindi: शिव अरूर और राहुल सिंह की किताब 'इंडियाज मोस्ट फीयरलेस' पर आधारित वेब सीरीज 'अवरोध 2: द सीज विदिन' ओटीटी प्लेटफॉर्म सोनी लिव पर स्ट्रीम हो रही है. इसमें अबीर चटर्जी, मोहन अगाशे, नीरज काबी, अनंत महादेवन, अहाना कुमरा और संजय सूरी लीड रोल में हैं.
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ओटीटी प्लेटफॉर्म सोनी लिव पर स्ट्रीम हो रही वेब सीरीज 'अवरोध' का पहला सीजन साल 2018 में सीमा पार किए गए सर्जिकल स्ट्राइक पर आधारित था, जबकि दूसरा सीजन उससे दो साल पहले की कहानी लेकर आया है. इसमें साल 2016 में की गई नोटबंदी और उसके साथ देशभर में घट रही आतंकी घटनाओं को पेश किया गया है. वेब सीरीज की कहानी शिव अरूर और राहुल सिंह की किताब 'इंडियाज मोस्ट फीयरलेस' पर आधारित है. इसकी पटकथा बृजेश जयराजन और सुदीप निगम ने लिखी है. राज आचार्य के निर्देशन में बनी इस वेब सीरीज में अबीर चटर्जी, मोहन अगाशे, नीरज काबी, अनंत महादेवन, अहाना कुमरा और संजय सूरी जैसे कलाकार अहम किरदारों में है. बंगाली एक्टर अबीर इस सीरीज के जरिए हिंदी सिनेमा में डेब्यू कर रहे हैं. राज आचार्य 'नायक', 'नीरजा' और 'लव सोनिया' जैसी फिल्मों के एसोसिएट डायरेक्टर रह चुके हैं.
वेब सीरीज 'अवरोध 2: द सीज विदिन' में पहली बार नोटबंदी की नई वजह बताई गई है. अभी तक लोग यही जानते रहे हैं कि देश में डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने और नकली नोटों के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए नोटबंदी की गई थी. लेकिन इस सीरीज में भारतीय सेना और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के नजरिए से नोटबंदी की कहानी को पेश किया गया है. साल 2016 से पहले पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ आर्थिक युद्ध छेड़ रखा था. इसके तहत नकली नोटों का बहुत बड़ा कन्साइनमेंट पानी के जहाज के जरिए हिंदुस्तान भेजा गया था. इन नकली नोटों के सहारे दुश्मन मुल्क हमारी आर्थिक व्यवस्था पर चोट पहुंचाने के साथ आतंकवाद को बढ़ावा देना चाहता था. इसके लिए आरडीएक्स की एक बड़ी खेप भी भेजी गई थी, ताकि देश को दहलाया जा सके. लेकिन सही समय पर हमारी इंटेलिजेंस एजेंसियों ने उनके मंसूबों को नेस्तनाबूत कर दिया था.
Avrodh Season 2 की कहानी
'अवरोध 2: द सीज विदिन' की कहानी अदम्य साहस और वीरता के प्रतीक हमारी भारतीय सेना जवानों की वीरगाथा पर आधारित है. सीरीज में दिखाया गया है कि अतिरिक्त आयकर अधिकारी प्रदीप भट्टाचार्य (अबीर चटर्जी), जो कि सेना में मेजर भी है, नकली नोटों के सिडिंकेट को तोड़ने की कोशिश करता है. दूसरी तरफ पाकिस्तान हिंदुस्तान के खिलाफ एक बड़े हमले की तैयारी करने में लगा हुआ है. उसने कई चरणों में हमले की योजना बनाई है, जिसमें आर्थिक युद्ध और बम धमाके की साजिश भी शामिल है. आईएसआई चीफ एहसान वज़ीरी (संजय सूरी) पाक आर्मी चीफ अजीज के साथ मिलकर साजिश को अंजाम देने में लगा हुआ है. उसके लिए भारत में उकी भरोसेमंद सहयोगी परवीना शहनाज (अहाना कुमरा) पहले से ही काम कर रही होती है. उनकी योजना एक दिन में ही 25 जगहों पर ब्लास्ट की होती है. इसके लिए जरूरी 70 किलो आरडीएक्स, मोबाइल फोन, प्रिंटर, एक बम एक्सपर्ट, नकली नोट की व्यवस्था के साथ अलगाववादी समूहों की मदद लेने की जिम्मेदारी परवीना पर होती है. हालांकि, भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियां उसके बहुत करीब हैं.
पाकिस्तान की योजना के मुताबिक, ब्लास्ट के दौरान जब पूरे देश में अफरा-तफरी मच हुई होगी. उसी वक्त वो देश में चारों तरफ नकली नोटों का पहुंचा देगा. लेकिन इसके लिए सबसे पहले बम ब्लास्ट की योजना को अंजाम देना ज्यादा जरूरी है. आईएसआई आरडीएक्स भेजने के बाद अफगानिस्तान के बम एक्सपर्ट जफर हमीदी को भारत भेजता है. वो कश्मीर से सीमा पारके देश में दाखिल होता है. इसके बाद दूसरी जगह जाने की कोशिश करता है. लेकिन भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियां भी अपने काम में लगी हुई होती हैं. समानांतर उनके पास हर साजिश की सूचना मिलती रहती है, जिसकी वजह से उनकी तैयारी भी मजबूत है. इसमें सबसे अधिक मदद प्रदीप भट्टाचार्य के कश्मीर में मौजूद सोर्सेस के जरिए मिलती है. क्या आईएसआई और पाक आर्मी अपने मंसूबों में सफल हो पाते हैं? क्या जफर हमीदी पकड़ा जाता है? किस हालात में देश में नोटबंदी का फैसला लिया जाता है? नोटबंदी के फैसले में भारतीय सेना की क्या भूमिका होती है? नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक कैसे एक-दूसरे से जुडा़ हुआ है? इनका जवाब जानने के लिए आपको वेब सीरीज देखनी चाहिए.
Avrodh Season 2 की समीक्षा
आठ एपिसोड की ये वेब सीरीज भारतीय सेना और अपने देश की खुफिया एजेंसियों की विजय गाथा पेश करती है. कुछ रचनात्मक स्वतंत्रताओं के साथ सीरीज के लेखक बृजेश जयराजन और सुदीप निगम इस बात का विस्तृत विवरण देते हैं कि कैसे कैप्टन प्रदीप भट्टाचार्य ने आतंकवादी गतिविधियों को खत्म करने के लिए एक खुफिया नेटवर्क का गठन किया. यदि आप 'बॉर्डर', 'लक्ष्य' और 'उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक' जैसा सिनेमा देखना पसंद करते हैं तो आपको ये सीरीज देखकर आनंद आएगा. आर्मी और इंटेलिजेंस के साथ मिलकर देश की दूसरी एजेंसियां किस तरह से किसी मिशन को अंजाम देती हैं, इसे सीरीज में बखूबी दिखाया गया है. सीरीज के निर्देशक राज आचार्य को थोड़ी मेहनत ज्यादा करने की जरूरत थी. यदि ऐसा होता, तो इसे स्लो होने से बचाया जा सकता था. 45-50 मिनट के एपिसोड कई बार खींचे हुए से लगते हैं. हालांकि, तकनीकी टीम ने बेहतरीन काम किया है. सिनेमैटोग्राफी बढिया है. कश्मीर के कई हिस्सों को बहुत खूबसूरती से पेश किया गया है. बैकग्राउंड स्कोर परिस्थिति के अनुसार सटीक लगता है.
हिंदी सिनेमा में डेब्यू करने वाले बंगाली एक्टर अबीर चटर्जी ने एक आयकर अधिकारी और मेजर की भूमिका में बेहतरीन प्रदर्शन किया है. यहां बस एक बात खटकती है कि कोई आयकर अधिकारी एक ही समय में सेना का मेजर कैसे हो सकता है? लेकिन अबीर ने अपनी दमदार अदाकारी से दोनों ही भूमिकाओं के साथ न्याय किया है. सेना के अफसर इम्तियाज के किरदार में विजय कृष्ण ने भी अच्छा अभिनय प्रदर्शन किया है. उन्होंने कम स्क्रीन स्पेस मिलने के बावजूद अपने सशक्त अभिनय से गहरी छाप छोड़ी है. आईएसआई चीफ एहसान वज़ीरी के किरदार में संजय सूरी, पाक आर्मी चीफ अजीज के किरदार में राजेश खट्टर, हिंदुस्तान के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर के किरदार में नीरज काबी, पीएम के किरदार में मोहन अगाशे और पाकिस्तानी एजेंट परवीना शहनाज के किरदार में अहाना कुमरा ने औसत अभिनय प्रदर्शन किया है. कुल मिलाकर, 'अवरोध' का दूसरा सीजन पहले के मुकाबले बेहतर लगता है. इसमें नई कहानी के जरिए रोमांच पैदा करने की कोशिश की गई है. सीरीज थोड़ी स्लो है, लेकिन एक बार देखा जा सकता है.
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