2015 में भारतीय सिनेमा की 9 बेहतरीन आदाएं
अभिनय की वो छाप जो फिल्म खत्म होने के बाद भी लोगों के दिलों पर पड़ी रही
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'दम लगा के हइशा' में भूमि पेडणेकर-
ससुराल वालों से दो टूक बात करनी हो या फिर अपने पति को रिझाना, संध्या(भूमि पेडणेकर) ने अपनी अदायगी से दर्शकों का दिल जीत लिया. कास्टिंग डायरेक्टर शन्नू शर्मा की असिस्टेंट रह चुकीं भूमि ने अपने डेब्यू रोल के लिए कई किलो वजन बढ़ाया था. पर ये उनका वजन नहीं बल्कि उनके काम का वजन था कि उन्हें इतना पसंद किया गया. फिल्म में उनका किरदार एक युवा दुल्हन का था जो खुद के लिए आवाज उठाती है.
'तनु वेड्स मनू' में कंगना रनाउत-
एक हरियाणवी खिलाड़ी, कुमारी कुसुम सागवान उर्फ दत्तो ने अपनी साफगोई और जोशीले तेवरों से सबके दिलों पर कब्जा कर लिया. उनके बिना 'तनु वेड्स मनू रिटर्न्स' एक भुला देने वाली फिल्म होती. फिल्म ने डेढ़ सौ करोड़ कमा लिए, ये कंगना के टेलेंट और शानदार अभिनय का सुबूत है.
'मसान' में विकी कौशल-
नीरज घेवान की पहली निर्देशित फिल्म में दीपक के किरदार में विकी के शांत और परिपक्व अभिनय को देखकर ये विश्वास करना मुश्किल है कि ये उनकी पहली फिल्म है. दीपक के चेहरे पर पहले प्यार का जादू साफ दिखाई दिया. घाट पर उनके दिल का टूटना, साल के सबसे उदास फिल्मी पलों में से एक है. उनके चेहरे से झलकने वाली पीड़ा कभी भुलाई नहीं जा सकती. कौशल ने दीपक को बहुत दुखी तो दिखाया, लेकिन बहुत रूख नहीं बनाया.
'पिकू' और 'तल्वार' में इरफान खान-
रोल्स खाते वक्त राणा चौधरी का पिकू के साथ लजाते हुए फ्लर्ट करना, कार में किया गया गुस्सा जिससे भास्कर(अमिताभ बच्चन) को भी चुप होन पड़ा. पिकू के पुश्तैनी घर में उनकी 'अरे चुप' यादगार है. एक जिद्दी पिता और उनसे भी जिद्दी बेटी के बीच फंसे राणा का किरदार बहुत ही शांत और आकर्षक था. जब CBI ऑफिसर पुलिस की गलतियों को सही कर रहा था, इरफान खान ने अपने किरदा में जुनून और बनावटी हंसी का सही संतुलन बिठाया. जिसने दर्शकों के सामने एक सवाल खड़ा कर दिया कि क्या तल्वार दंपति वास्तव में दोषी थे.
'बदलापुर' और 'बजरंगी भाईजान' में नवाजुद्दीन सिद्दीकी-
रेलवे स्टेशन पर परेशान होते हुए पाकिस्तानी टीवी रिपोर्टर चांद नवाब का किरदार निभाकर नवाजुद्दीन ने दर्शकों का दिल जीत लिया. बाद में 'बजरंगी भाईजान' में सलमान खान की खिंचाई करना और भी प्यारा लगता है. बदलापुर के एक सीन जिसमें वो सलाखों के पीछे गंदी बात करते हैं, वो तो गजब था.
'कोर्ट' में गीतांजलि कुलकर्णी-
फिल्म 'कोर्ट' में दिन में एक वकील और रात में एक महाराष्ट्रियन हाउस वाइफ के रूप में गीतांजलि कुलकर्णी ने दोनों ही अलग अलग किरदार बहुत ही सरलता से निभाए. ट्रेन का वो सीन जिसमें वो अपनी दोस्त के साथ ऑलिव ऑयल की फायदों पर चर्चा कर रही थीं, वो लेखक-निर्देशक चैतन्य तम्हाने के काम और गीतांजलि के दमदार अभिनय का एक शानदार नमूना है.
'बाजीराव मस्तानी' में रणवीर सिंह-
इस फिल्म में काम करते वक्त उनका कंधा टूट गया था, उन्होंने इसके लिए अपनी मूछें बढ़ाईं, अपना सर मुड़वाया. पेशवा बाजीराव प्रथम का किरदार निभाने के लिए उन्होंने जो भी किया, काबिले तारीफ था. 'मल्हारी' गीत में उनका खो जाना बार बार ये कहता है कि वो बॉलिवुड के सबसे ऊर्जावान अभिनेताओं में से एक हैं. लोकिन एक दुखी प्रेमी जो असंख्य लड़ाइयां जीतने के बावजूद भी मस्तानी के लिए सामाजिक स्वीकृति पाने के लिए संघर्ष करता है, उनका ये अभिनय बेहद शानदार रहा.
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