New

होम -> सिनेमा

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 17 अगस्त, 2021 04:07 PM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

इस साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत बॉलीवुड की दो फ़िल्में ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर रिलीज हो रही हैं. सिद्धार्थ मल्होत्रा स्टारर शेरशाह कैप्टन कारगिल वार के अमर शहीद विक्रम बत्रा की कहानी है. इसे 12 अगस्त से अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम किया जाएगा. दूसरी फिल्म अजय देवगन, संजय दत्त, सोनाक्षी सिन्हा स्टारर भुज : द प्राइड ऑफ़ इंडिया है. भुज की कहानी 1971 की जंग में वायुसेना के जाबांजी दिखाने के साथ ही स्थानीय नागरिकों के संघर्ष और बलिदान पर आधारित हैं. दोनों फिल्मों की कहानी इतिहास की सच्ची घटनाओं से उठाई गई हैं.

स्वतंत्रता दिवस की वजह से दोनों फिल्मों पर दर्शकों की नजर है. इन फिल्मों के जरिए दर्शकों को इंडियन आर्म्ड फोर्सेस की बहादुरी को करीब से देखने का मौका मिलेगा. ट्रेलर, टीजर और गानों के रूप में फिल्मों के विजुअल देशभक्ति के साथ बेहतरीन मनोरंजन का दावा करते दिख रहे हैं. फिलहाल नई फिल्मों को आने में वक्त लगेगा. वार फ़िल्में पसंद करने वाले दर्शक हिंदी की कई बेहतरीन फ़िल्में देख सकते हैं इनमें तीनों सेनाओं की बहादुरी को दिखाने वाली कहानियां हैं जो बहादुरी, गर्व और देशप्रेम से भर देती हैं.

आइए जानते हैं ऐसी ही 6 फिल्मों के बारे में जिन्हें एक बार जरूर देखना चाहिए.

bhuj-shershah-650_080921075436.jpg

#1. हकीकत (1964)

अंग्रेजों से आजादी के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में देश ने किसी युद्ध की कल्पना नहीं की थी. स्वाभाविक है कि हम तैयार नहीं थे. हमारे पास संसाधन भी नहीं थे. सालों की गुलामी के बाद देश जब नई राह तलाशने की कोशिश में था, ऐसे मुश्किल वक्त में 1962 में चीन ने विश्वासघात किया और अनावश्यक युद्ध थोपा. चेतन आनंद के निर्देशन में भारत-चीन युद्ध पर बनी हकीकत सबसे बेहतरीन फिल्म है. इसे बॉलीवुड का वॉर क्लासिक भी कहा जा सकता है. फिल्म 184 मिनट की है. इसमें दिखाया गया है कि कैसे लद्दाख के एक मोर्चे पर संसाधनों से जूझ रहे सैनिकों ने जज्बाती युद्ध लड़ा और दुनिया को बहादुरी के असल मायने दिखाए. हकीकत में यह भी दिखा कि युद्ध जैसे मुश्किल हालात में समूचा देश किस तरह सहयोग के लिए आगे आ जाता है. सीमावर्ती स्थानीय नागरिकों के बलिदान भावुक करता है मगर उनके देश प्रेम को देखकर गर्व से माथा ऊंचा हो जाता है. फिल्म में बलराज साहनी, धर्मेंद्र, विजय आनंद, इंद्राणी मुखर्जी ने मुख्य भूमिका निभाई थी. फिल्म के कई गाने ब्लॉक बस्टर हुए थे और आज भी उन्हें सुनकर लोग भावनाओं में बहने लगते हैं.

#2. समाधि (1950)

ये फिल्म अंग्रेजी सेना से आजाद हिंद फ़ौज के सिपाहियों के संघर्ष को केंद्र में रखकर बनाई गई है. फिल्म की कहानी सच्ची है प्रेम और युद्ध के दो पाटों में बॉलीवुड ने ऐसी कोई वॉर फिल्म अबतक नहीं बनाई है. आईएनए का सिपाही शेखर है और उसकी जासूस प्रेमिका जो उसे धोखा देती है. प्रेमिका को अपनी गलती का पश्चाताप होता है और सुभाष चंद्र बोस की वजह से उसकी जान बचती है. बाद में वो आईएनए के लिए जासूसी करने निकलती है. हालत ऐसे बनते हैं कि दोनों एक मिशन के लिए अलग-अलग भूमिका में आगे बढ़ते हैं. क्या युद्ध के हालत में दोनों दोनों फिर मिल पाते हैं फिल्म का यह दिलचस्प ट्विस्ट है. रमेश सहगल के निर्देशन में समाधि आजाद हिंद फ़ौज के सिपाहियों को ट्रिब्यूट है. समाधि में अशोक कुमार, नलिनी जयवंत, कुलदीप कौर और श्याम ने अहम भूमिकाएं निभाई हैं.

#3. हिंदुस्तान की कसम (1973)

चेतन आनंद के निर्देशन में बनी फिल्म की कहानी 1971 में भारत-पाकिस्तान की जंग के दौरान ऑपरेशन कैक्टस लिली पर आधारित है. फिल्म की कहानी बेहद शानदार है. चेतन आनंद ने हकीकत के बाद फिर दिखाया कि युद्ध जैसे विषयों में उनसे बेहतर मनोरंजक फ़िल्में कोई और नहीं बना सकता. जंग के बीच रोमांस, ड्रामे और ख़ूबसूरत गानों के लिए भी इसे देखा जा सकता है. हिंदुस्तान की कसम में राज कुमार, प्रिया राजवंश, बलराज साहनी और पद्मा खन्ना ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं.

#4. बॉर्डर (1997)

बॉर्डर जंग पर बनी बॉलीवुड की पहली फिल्म है जिसकी भव्यता से ऐसा जादू हुआ कि बॉक्स ऑफिस पर उस वक्त के सारे रिकॉर्ड टूट गए थे. जेपी दत्ता के निर्देशन में बनी फिल्म 1971 की जंग में राजस्थान के एक सीमावर्ती चौकी लोंगेवाला की है. यहां कुछ सैनिकों के मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने मोर्चा ले रखा है. वो सेना से यहां और सैनिकों को भेजने की गुजारिश करते हैं. सेना के बड़े अफसरों को लगता है कि पाकिस्तान इस चौकी से घुसने की कोशिश नहीं करेगा. हालांकि कुलदीप अपने गिने चुने साथियों के साथ पूरी तरह से चौकन्ना हैं. पाकिस्तान भारतीय अफसरों की सोच को गलत बताते दर्जनों टैंकों के दस्ते लेकर हमला कर देता है. कुलदीप और उनके साथी अदम्य साहस का परिचय देते हैं. वायुसेना भी आखिर में मौके पर पहुंच जाती है. पाकिस्तान की भारी भरकम पलटन को सिर पर पैर रखकर वापस भागना पड़ता है. बॉर्डर में सनी देओल, सुनील शेट्टी, अक्षय खन्ना और जैकी श्रॉफ ने अहम भूमिका निभाई है.

#5. एलओसी कारगिल (2003)

जेपी दत्ता ने 1999 की कारगिल वॉर पर भी फिल्म बनाई. 1999 में धोखे से पाकिस्तानी सेना के जवान भेष बदलकर सामरिक रूप से कारगिल की महत्वपूर्ण चौकियों पर कब्जा कर लिया. पाकिस्तानी पूरी तैयारी से थे और पॉइंट्स पर उनकी मौजूदगी सामरिक बढ़त लिए हुए थी. देश को जब पता चला तो अपने इतिहास की सबसे मुश्किल जंग में उतरना पड़ा. कारगिल वॉर में भारतीय सेना के कई बहादुर और काबिल अफसरों ने शहादत दी, लेकिन भारत ने एक-एक चौकी पर वापस कब्जा किया और पाकिस्तानी सेना के घुसपैठियों को सबक सिखाया. फिल्म में संजय दत्त, अजय देवगन, सैफ अली खान, और सुनील शेट्टी जैसे सितारों ने अहम भूमिकाएं निभाई थीं.

#6. द गाजी अटैक (2017)

संकल्प रेड्डी के निर्देशन में ये फिल्म तेलुगु और हिंदी में बनी थी. संभवत युद्ध के दौरान इंडियन नेवी की बहादुरी को दिखने वाले पहली फिल्म है. द गाजी अटैक की कहानी 1971 की जंग के दौरान पीएनएस गाजी के रहस्यमयी तरीके से डूब जाने की कहानी है. पीएनएस गाजी पाकिस्तान की शक्तिशाली पनडुब्बी में शुमार किया जाता था. मगर इंडियन नेवी के जवानों ने विपरीत हालात में गाजी के गहरे समुद्र में डुबो दिया. फिल्म बहुत ही रोमांचक है. गाजी में राणा दग्गुबती, तापसी पन्नू, केके मेनन, और अतुल कुलकर्णी ने अहम भूमिकाएं निभाई थीं. गाजी को तमिल में भी डब करके रिलीज किया गया था.

वैसे इन फिल्मों के अलावा दो दर्जन से ज्यादा फ़िल्में हिंदी में बनी हैं जिनमें युद्ध भी एक विषय है. हालांकि इन फिल्मों में युद्ध के अलावा जासूसी, पाकिस्तान में बंद युद्धबंदियों के भागने की कोशिशों आदि को प्रमुखता से दिखाया गया है.

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय