आकांक्षा दुबे डेथ केस: सिंगर समर सिंह की गिरफ्तारी के बाद क्या मौत की गुत्थी सुलझ पाएगी?
भोजपुरी एक्ट्रेस आकांक्षा दुबे केस में आरोपी समर सिंह को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस द्वारा भले ही इसे खुदकुशी का केस बताया जा रहा है, लेकिन एक्ट्रेस की मां का आरोप है कि उसकी साजिशन हत्या हुई है. हत्या और आत्महत्या के बीच झूल रहे इस केस में हुई गिरफ्तारी के बाद क्या मौत की गुत्थी सुलझ पाएगी, आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं.
-
Total Shares
मौत सत्य है, लेकिन असमय मौत हमेशा सवाल खड़े करती है. अपने पीछे कई तरह के रहस्य छोड़ जाती है. ये रहस्य कई बार सुलझ जाता है, तो कई बार अनसुलझा ही रहता है. जैसे कि कई बॉलीवुड और टीवी सेलिब्रिटी के केस में देखने को मिला है. उनकी मौत लगी तो आत्महत्या जैसी, लेकिन उसके पीछे हत्यारे के हाथ भी नजर आए. दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत, एक्ट्रेस तुनिशा शर्मा, प्रत्यूषा बनर्जी, जिया खान और दिव्या भारती की मौत की गुत्थी आज तक नहीं सुलझ पाई है. ऐसी ही एक मौत भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की एक नामचीन एक्ट्रेस आकांक्षा दुबे की हुई है. इस मामले में पुलिस का कहना है कि ये खुदकुशी है, जबकि मृतिका की मां का आरोप है कि उसकी बेटी की हत्या हुई है. मां की तहरीर के आधार पर दर्ज केस के तहत आरोपी भोजपुरी के नामी सिंगर समर सिंह को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.
भोजपुरी एक्ट्रेस आकांक्षा दुबे की मौत (26 मार्च) के करीब 12 दिनों बाद समर सिंह को गाजियाबाद के राज नगर एक्सटेंशन स्थित एक सोसाइटी से पुलिस ने धर दबोचा है. आरोपी लगातार अपने ठिकाने बदल रहा था. इस मामले में नॉन बेलेबल वारंट जारी होने के बावजूद वो न तो पुलिस के पास आ रहा था, न ही कोर्ट के सामने हाजिर हो रहा था. उसकी ये हरकत ही उसके प्रति शक को पुख्ता कर रही है. इस बात की गवाही दे रही है कि आकांक्षा की मां मधु दुबे जो आरोप लगा रही हैं, उनमें कहीं न कहीं सच्चाई जरूर है. मधु दुबे ने अपनी बेटी की मौत के अगले ही दिन वाराणसी के एक थाने में समर और उसके भाई संजय सिंह के खिलाफ तहरीर दी थी, जिसके आधार पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत के दर्ज किया था. इसके बाद से ही दोनों आरोपियों की तलाश की जा रही थी.
भोजपुरी एक्ट्रेस आकांक्षा दुबे केस में आरोपी समर सिंह को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.
आकांक्षा की मां मधु दुबे के मुताबिक, समर सिंह उनकी बेटी को 3 साल से प्रताड़ित कर रहा था. फिल्म में काम करने पर पैसा नहीं देता था. जब भी आकांक्षा काम के पैसे उससे मांगती थी, तो उसके साथ मारपीट करता था. किसी दूसरे की फिल्म या गाने में काम करने पर भी मारता-पीटता था. इतना ही नहीं उस पर दबाव बनाने के लिए प्राइवेट वीडियो लीक करने की धमकी देता था. मधु दुबे ने अपनी बेटी के लिए इंसाफ की गुहार लगाते हुए कहा, ''मैं योगी सरकार से यही चाहती हूं कि मेरी बेटी आकांक्षा दुबे को न्याय दिलाएं. समर सिंह और संजय सिंह को फांसी की सजा होनी चाहिए. वो (आकांक्षा) आत्महत्या नहीं कर सकती थी. संजय सिंह और समर सिंह ने मिलकर उसे मारा है. पहले भी वो बताती थी कि समर उसे बहुत टॉर्चर करता था. किसी के साथ काम नहीं करने देता था. वो उससे कहता था कि केवल मेरे साथ काम करो.''
ये एक मां का दर्द है, जो अपनी मृतक बेटी के लिए इंसाफ की गुहार लगा रही है. जो अपनी बेटी के लिए न्याय चाहती है. जो उसकी बेटी की मौत के पीछे के दोषियों को सजा दिलाना चाहती है, ताकि किसी दूसरे की बेटी के साथ ऐसा न हो. लेकिन क्या सरकार, पुलिस-प्रशासन ऐसा कर पाएगा. क्या समर की गिरफ्तारी मौत की गुत्थी सुलझा पाएगी. ये बहुत बडे़ सवाल हैं, जिनके जवाब भविष्य के गर्भ में हैं. लेकिन अतीत के उदाहरणों को देखते हुए यही लगता है कि न्याय मिलना आसान नहीं है. केस दर्ज हो जाता है. आरोपी पकड़े जाते हैं. पूछताछ होती है. कोर्ट ट्रायल चलता है. इन सबमें एक लंबा वक्त निकल जाता है. इस दौरान परिवार टूट जाता है. आरोपी अपने धन और बल के सहारे केस को खत्म करने की कोशिश करते हैं. बहुत बार सफल भी होते हैं. इस तरह मौत एक रहस्य बनकर हमेशा के लिए दफ्न हो जाती है.
सुशांत सिंह राजपूत, एक्ट्रेस तुनिशा शर्मा, प्रत्यूषा बनर्जी, जिया खान और दिव्या भारती, ऐसे अनेकों नाम हमारे सामने हैं. ये सभी मायानगरी की चकाचौंध में ऐसे गुम हुए कि आजतक इनकी मौत के रहस्य से पर्दा नहीं उठ पाया. जिया खान की मां राबिया खान तो आज तक लड़ रही हैं. लेकिन क्या हुआ, आदित्य पंचोली का बेटा सूरज बाइज्जत बरी हो चुका है. उसके खिलाफ कोई भी आरोप सिद्ध नहीं हो सका. लेकिन मां आज भी यही कहती हैं कि बेटी की हत्या हुई है. सीबीआई जांच में न्याय नहीं मिला तो अमेरिकी एजेंसी एफबीआई से जांच तक कराने की मांग कर चुकी हैं, लेकिन इस मामले में कोर्ट भी अपने हाथ पीछे खींच चुकी है. यहां तक कि मां को फटकार भी लगा चुकी है. इसी तरह सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर कितना हंगामा बरपा, लेकिन क्या हुआ. इसे खुदकुशी बताकर हमेशा के लिए क्लोज कर दिया गया.
इन सभी उदाहरणों को देखते हुए आकांक्षा दुबे के केस में किसी तरह के सच के सामने आने की बात कोरी कल्पना लगती है. समर सिंह के खिलाफ जिस तरह के आरोप लगे हैं, उससे उसके नेचर को समझा सकता है. यदि उन आरोपों में जरा भी सच्चाई है, तो ये निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि वो दबंग स्वभाव का है. उसे न तो सरकार से डर है ना ही पुलिस-प्रशासन से. ऐसे लोगों पुलिस को अपनी जेब में लेकर चलने की बात करते हैं. इसकी बड़ी वजह ये है कि इनके पास बेहिसाब पैसा है. वही पैसा जिसे इनके जैसे लोगों ने दूसरे के खून पसीने को चूस कर कमाया है. इस पैसे की बदौलत वो कुछ करने का गुमान रखते हैं. वैसे भी भोजपुरी फिल्म और म्युजिक इंडस्ट्री में ऐसे अनेकों उदाहरण भरे पड़े हैं. बस कुछ के नाम सामने आ जाते हैं, तो कुछ सफेदपोश बने अपने गुनाहों के पहाड़ के पीछे छिपे बैठे होते हैं. देखते हैं आकांक्षा दुबे के केस का अंजाम क्या होता है.
आपकी राय