'भुज' ओटीटी नहीं सिनेमाघर की फिल्म है, जहां हर सीन-संवाद पर बजती तालियां
भुज : द प्राइड ऑफ इंडिया का ट्रेलर बहुत लाजवाब है जिसे देखने के बाद मन में सिर्फ एक सवाल पैदा होता है. आखिर निर्माता इसे ओटीटी पर क्यों रिलीज कर रहे हैं? इसमें कोई शक नहीं कि ओटीटी स्ट्रीमिंग की वजह से ये व्यापक रूप से ज्यादा दर्शकों तक नहीं पहुंच पाएगी.
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भुज : द प्राइड ऑफ इंडिया का ट्रेलर बहुत लाजवाब है जिसे देखने के बाद मन में सिर्फ एक सवाल पैदा होता है. आखिर निर्माता इसे ओटीटी पर क्यों रिलीज कर रहे हैं? फिल्म 13 अगस्त को डिजनी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम होगी. इसमें कोई शक नहीं कि ओटीटी स्ट्रीमिंग की वजह से ये व्यापक रूप से ज्यादा दर्शकों तक नहीं पहुंच पाएगी. जबतक कि इसका टीवी प्रीमियर नहीं हो जाता. दरअसल, अभिषेक दुधैया के निर्देशन में बनी भुज वो फिल्म है जिसे सिनेमाघर में देखने से एक अलग रोमांच पैदा होता. बॉक्स ऑफिस पर कोरोना महामारी के खिलाफ बॉलीवुड का एक सशक्त पलटवार जवाब भी भुज से निकलकर सामने आता. इसमें अब तक बनी वॉर फिल्मों के सारे कीर्तिमान तोड़ने का मसाला है. हालांकि ट्रेलर किसी फिल्म की कसौटी नहीं, मगर झलकियों पर भरोसा करें तो ये जेपी दत्ता की बॉर्डर के मुकाबले किसी मायने में कम नजर नहीं आ रही.
ट्रेलर में फिल्म बहुत ही भव्य दिख रही है. इसका हर दृश्य रोमांचित करने वाला है. देशभक्ति के जज्बे से भरा है. फिल्म के दृश्य और संवाद सुनकर भारतीय सेनाओं के पराक्रम पर शीश झुकाने को मन करता है और दिल दिमाग गौरव से भर जाता है. वॉर पीरियड ड्रामा भुज की कहानी लगभग सभी को पता है. ट्रेलर की शुरुआत अचानक गुजरात में भुज एयरबेस की ओर बढ़ रहे पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों के काफिले से होती है. उस वक्त युद्ध आसन्न था मगर यूं अचानक हमले का किसी को अंदाजा नहीं था. उस हमले में भुज का एयरबेस लगभग तबाह हो जाता है. सामरिक रूप से भारत को भारी नुकसान पहुंचा. हमारी तैयारी अधूरी हो गई. उधर, पाकिस्तानी सेना भाड़े के सैकड़ों टैंकों और हजार से ज्यादा सैनिकों को लेकर कच्छ के रण से भारत की पश्चिमी सीमा में घुसने के लिए लगातार आगे बढ़ रहा था. पाकिस्तानी वायुसेना ने उसके लिए लगभग रास्ते बना दिए थे. पाकिस्तान को पश्चिमी सीमा में किसी एक जगह एंट्री करनी थी ताकि भारत का ध्यान पूर्व में बांग्लादेश से हटकर इधर केंद्रित हो जाए.
भुज पर एयर अटैक के बाद पाकिस्तान अपनी योजनाओं पर ही आगे बढ़ रहा था. लेकिन विपरीत परिस्थितियों में भुज एयरबेस के प्रभारी विजय कार्णिक (अजय देवगन) पाकिस्तान को करार जवाब देने के लिए एक मुश्किल चुनौती स्वीकार हाथ में लेते हैं. उनके नेतृत्व में वायुसेना के जाबांज और गांव की स्थानीय महिलाओं का समूह आगे आता है. पाकिस्तानी भारतीय क्षेत्र पर कब्जे के लिए आगे बढ़ रहे हैं तो दूसरी ओर भुज में नागरिक समूह और सैनिक जान की बाजी लगा देने के लिए सर पर कफ़न बांध चुके हैं.
कुछ घंटे बेहद ही महत्वपूर्ण हैं. भारतीय सेना उन्हें रेगिस्तान में एयरबेस फिर से तैयार होने तक रोके रहने के काम में लगी है. थलसेना की मदद रणछोड़ दास पागी (संजय दत्त) के नेतृत्व में कई पागी करते हैं. पागी रेगिस्तान के वो जानकार हैं जो रेत पर निशानों के जरिए किसी के आने जाने और रुकने की सही-सही जानकारी देते हैं. उधर, भारतीय महिला जासूस भी देश के लिए अपनी आबरू तक की परवाह नहीं करती और जरूरी जानकारियां बाहर निकालती है.
भुज का ट्रेलर यहां देख सकते हैं:-
ट्रेलर में दिख रहे दृश्य रोंगटे खड़े करने वाले हैं. युद्ध के विभीषिका, अभिनेताओं की बॉडी लैंग्वेज और संवाद जबरदस्त हैं. बैकग्राउंडस्कोर भी फिल्म के मुताबिक़ ही है. ट्रेलर के आधार पर तो यही लग रहा है कि अजय-संजय की भुज सेनाओं के पराकम पर बनी सभी फिल्मों को पीछे छोड़ने जा रही हैं. स्वतंत्रता दिवस के माहौल में फिल्म निश्चित ही लोगों को आकर्षित करेगी. ट्रेलर में तो अजय देवगन, संजय दत्त, सोनाक्षी सिन्हा, नोरा फतेही, शरद केलकर और एमी विर्क जैसे सितारों का काम बेहतरीन नजर आ रहा है. भुज डी प्राइड ऑफ इंडिया का ट्रेलर हल लिहाज से लाजवाब है.
पहली बार इस फिल्म में सेनाओं के साथ कंधे से कंधा मिलकर लड़ने वाले देश के सीमावर्ती इलाकों के नागरिकों के योगदान को भी प्रमुखता से दिखाया जा रहा है. इससे पहले कई फ़िल्में बनीं मगर सीमावर्ती इलाकों के स्थानीय लोगों के बलिदान और संघर्ष को ज्यादा जगह नहीं दी गई. हां भारत चीन युद्ध पर बनी ऐतिहासिक फिल्म "हकीकत" में जरूर स्थानीय लोगों के योगदान को प्रमुखता से दिखाया गया था. सीमाओं की सुरक्षा में उल्लेखनीय योगदान देने वाले पागियों को भुज एक बेहतरीन ट्रिब्यूट है.
भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया परिवार के साथ एक देखने लायक फिल्म हो सकती है.
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